ETV Bharat / state

सुलतानपुर: लॉकडाउन में किताबें ने मिलने पर अभिभावक नाराज - sultanpur lockdown effect

लॉकडाउन के दौरान शासन के आदेश पर शराब की दुकानों का संचालन शुरू हो गया है. ऐसे में अब अभिभावक शासन व प्रशासन से ये सवाल कर रहे हैं कि यदि शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो किताबों की क्यों नहीं?

sultanpur news
जिलाधिकारी सी. इंदुमती
author img

By

Published : May 18, 2020, 8:35 AM IST

सुलतानपुर: लॉकडाउन में शासन ने शराब की दुकानें तो खुलवा दी हैं. सुरक्षाकर्मी लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए शराब की बिक्री कराई जा रही है. वहीं किताब की दुकानों पर प्रशासनिक शिकंजा कसा गया है. ऐसे में अभिभावक कह रहे हैं कि अगर लॉकडाउन में शराब बेची जा सकती है तो किताब की दुकानें खोलने पर रोक क्यों लगायी गयी है.

शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो किताबों की क्यों नहीं?

कई दुकानदारों की तरफ से ऑनलाइन आवेदन किया गया, जिससे बच्चों को किताब और कॉपियां मुहैया कराई जा सके, लेकिन इन आवेदनों को लॉकडाउन का उल्लंघन मानते हुए निरस्त किया जा चुका है. शराब की दुकानें खुलने से अभिभावक नाराज हैं. उनका कहना है कि शराब जरूरी है या किताब?

ये भी पढ़ें- मथुरा बॉर्डर पर खड़ी मजदूरों से भरी बसें, प्रियंका ने योगी से घर पहुंचाने की लगाई गुहार

अभिभावकों का कहना है कि किताबें मिलने में समस्या हो रही है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षा बेहद अनिवार्य है. कारोबारी पवन पोपटानी कहते हैं कि किताबें मिलनी चाहिए. किताब नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. प्रशासनिक अधिकारियों को समय नियत कर आधे-एक घंटे के लिए किताब की दुकानें खुलवानी चाहिए, जिससे बच्चों को आवश्यक सामग्री मिल सके. आजकल अभिभावकों को सब्जी और फल की जरूरत है, न कि शराब की.

वहीं जिलाधिकारी सी. इंदुमती ने कहा कि डोर स्टेप डिलीवरी प्लान के तहत लोगों को घर-घर किताब और कापियां वितरण सुनिश्चित करायी जाएंगी. इसके लिए पास जारी कर दिया जाएगा. ऐसे लोग आवेदन करें, उनकी मदद की जाएगी.

सुलतानपुर: लॉकडाउन में शासन ने शराब की दुकानें तो खुलवा दी हैं. सुरक्षाकर्मी लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए शराब की बिक्री कराई जा रही है. वहीं किताब की दुकानों पर प्रशासनिक शिकंजा कसा गया है. ऐसे में अभिभावक कह रहे हैं कि अगर लॉकडाउन में शराब बेची जा सकती है तो किताब की दुकानें खोलने पर रोक क्यों लगायी गयी है.

शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो किताबों की क्यों नहीं?

कई दुकानदारों की तरफ से ऑनलाइन आवेदन किया गया, जिससे बच्चों को किताब और कॉपियां मुहैया कराई जा सके, लेकिन इन आवेदनों को लॉकडाउन का उल्लंघन मानते हुए निरस्त किया जा चुका है. शराब की दुकानें खुलने से अभिभावक नाराज हैं. उनका कहना है कि शराब जरूरी है या किताब?

ये भी पढ़ें- मथुरा बॉर्डर पर खड़ी मजदूरों से भरी बसें, प्रियंका ने योगी से घर पहुंचाने की लगाई गुहार

अभिभावकों का कहना है कि किताबें मिलने में समस्या हो रही है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षा बेहद अनिवार्य है. कारोबारी पवन पोपटानी कहते हैं कि किताबें मिलनी चाहिए. किताब नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. प्रशासनिक अधिकारियों को समय नियत कर आधे-एक घंटे के लिए किताब की दुकानें खुलवानी चाहिए, जिससे बच्चों को आवश्यक सामग्री मिल सके. आजकल अभिभावकों को सब्जी और फल की जरूरत है, न कि शराब की.

वहीं जिलाधिकारी सी. इंदुमती ने कहा कि डोर स्टेप डिलीवरी प्लान के तहत लोगों को घर-घर किताब और कापियां वितरण सुनिश्चित करायी जाएंगी. इसके लिए पास जारी कर दिया जाएगा. ऐसे लोग आवेदन करें, उनकी मदद की जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.