सुलतानपुर: लॉकडाउन में शासन ने शराब की दुकानें तो खुलवा दी हैं. सुरक्षाकर्मी लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए शराब की बिक्री कराई जा रही है. वहीं किताब की दुकानों पर प्रशासनिक शिकंजा कसा गया है. ऐसे में अभिभावक कह रहे हैं कि अगर लॉकडाउन में शराब बेची जा सकती है तो किताब की दुकानें खोलने पर रोक क्यों लगायी गयी है.
कई दुकानदारों की तरफ से ऑनलाइन आवेदन किया गया, जिससे बच्चों को किताब और कॉपियां मुहैया कराई जा सके, लेकिन इन आवेदनों को लॉकडाउन का उल्लंघन मानते हुए निरस्त किया जा चुका है. शराब की दुकानें खुलने से अभिभावक नाराज हैं. उनका कहना है कि शराब जरूरी है या किताब?
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अभिभावकों का कहना है कि किताबें मिलने में समस्या हो रही है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षा बेहद अनिवार्य है. कारोबारी पवन पोपटानी कहते हैं कि किताबें मिलनी चाहिए. किताब नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं. प्रशासनिक अधिकारियों को समय नियत कर आधे-एक घंटे के लिए किताब की दुकानें खुलवानी चाहिए, जिससे बच्चों को आवश्यक सामग्री मिल सके. आजकल अभिभावकों को सब्जी और फल की जरूरत है, न कि शराब की.
वहीं जिलाधिकारी सी. इंदुमती ने कहा कि डोर स्टेप डिलीवरी प्लान के तहत लोगों को घर-घर किताब और कापियां वितरण सुनिश्चित करायी जाएंगी. इसके लिए पास जारी कर दिया जाएगा. ऐसे लोग आवेदन करें, उनकी मदद की जाएगी.