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सुलतानपुर: बीमारी से जंग हार गया सीआरपीएफ जवान

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के रहने वाले एक सीआरपीएफ जवान की इलाज के दौरान वाराणसी में मौत हो गई. सीआरपीएफ जवान तीन महीने से कैंसर से पीड़ित था.

सीआरपीएफ जवान की मौत
सीआरपीएफ जवान की मौत
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Published : Aug 23, 2020, 7:39 PM IST

सुलतानपुर: पिछले तीन महीने से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहा सीआरपीएफ जवान जिंदगी की जंग हार गया. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. जवान के मौत की खबर मिलते ही गांव में शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए लोगों का तांता लग गया. शनिवार की रात जवान का शव उनके गांव पहुंचा. जैसे ही गांव में सीआरपीएफ जवान का शव पहुंचा वैसे ही परिजनों की चीख-चीखकर रोने की आवाज सुनते ही गांव में मातम सा छा गया. रविवार को धोपाप घाट पर सम्मान के साथ जवान के शव का अंतिम संस्कार किया गया.

लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के शोभीपुर के रहने वाले इंद्र बहादुर सिंह के 37 वर्षीय बेटे संतोष सिंह वर्ष 2004 में सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे. इस समय उनकी तैनाती सीआरपीएफ प्रयागराज ग्रुप सेंटर पर थी. कुछ महीने पहले बीमार होने पर जांच के बाद पता चला कि उन्हें कैंसर है, तो वह इलाज के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल वाराणसी में भर्ती हो गए. तीन माह तक लगातार इलाज चलने के बाद अब उनकी मौत हो गई. मौत के बाद उनके सहयोगी साथी जवान का शव लेकर ग्रुप सेंटर प्रयागराज पहुंचे. वहां पर अन्य जवान साथियों व उनके अधिकारियों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी.

शनिवार की देर रात सीआरपीएफ जवान का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा, वैसे ही उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया. जवान के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. जवान की पत्नी अंतिमा सिंह रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी. जवान की 4 वर्षीय पुत्री आराध्या और 3 वर्षीय पुत्र शिव सिंह पापा के पार्थिव शरीर से चिपके रहे. सीआरपीएफ जवान संतोष सिंह के पिता इंद्रभान सिंह और बड़े भाई दिनेश सिंह का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया था. रविवार को धोपाप घाट पर सम्मान के साथ जवान के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. उनके भाई सतीश सिंह ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. घाट पर सीओ लाल चंद्र चौधरी समेत सीआरपीएफ के जवान तथा काफी संख्या में क्षेत्र के लोग मौजूद थे.

सुलतानपुर: पिछले तीन महीने से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहा सीआरपीएफ जवान जिंदगी की जंग हार गया. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. जवान के मौत की खबर मिलते ही गांव में शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए लोगों का तांता लग गया. शनिवार की रात जवान का शव उनके गांव पहुंचा. जैसे ही गांव में सीआरपीएफ जवान का शव पहुंचा वैसे ही परिजनों की चीख-चीखकर रोने की आवाज सुनते ही गांव में मातम सा छा गया. रविवार को धोपाप घाट पर सम्मान के साथ जवान के शव का अंतिम संस्कार किया गया.

लंभुआ कोतवाली क्षेत्र के शोभीपुर के रहने वाले इंद्र बहादुर सिंह के 37 वर्षीय बेटे संतोष सिंह वर्ष 2004 में सीआरपीएफ में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे. इस समय उनकी तैनाती सीआरपीएफ प्रयागराज ग्रुप सेंटर पर थी. कुछ महीने पहले बीमार होने पर जांच के बाद पता चला कि उन्हें कैंसर है, तो वह इलाज के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल वाराणसी में भर्ती हो गए. तीन माह तक लगातार इलाज चलने के बाद अब उनकी मौत हो गई. मौत के बाद उनके सहयोगी साथी जवान का शव लेकर ग्रुप सेंटर प्रयागराज पहुंचे. वहां पर अन्य जवान साथियों व उनके अधिकारियों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी.

शनिवार की देर रात सीआरपीएफ जवान का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा, वैसे ही उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया. जवान के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. जवान की पत्नी अंतिमा सिंह रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी. जवान की 4 वर्षीय पुत्री आराध्या और 3 वर्षीय पुत्र शिव सिंह पापा के पार्थिव शरीर से चिपके रहे. सीआरपीएफ जवान संतोष सिंह के पिता इंद्रभान सिंह और बड़े भाई दिनेश सिंह का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया था. रविवार को धोपाप घाट पर सम्मान के साथ जवान के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. उनके भाई सतीश सिंह ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. घाट पर सीओ लाल चंद्र चौधरी समेत सीआरपीएफ के जवान तथा काफी संख्या में क्षेत्र के लोग मौजूद थे.

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