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सुलतानपुर: जान हथेली पर रखकर रेलवे फाटक पार करते हैं ग्रामीण - Lucknow Varanasi Rail Section

यूपी के सुलतानपुर स्थित बधुआ कला स्टेशन पर रोज ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर क्रॉसिंग को पार करना पड़ता है. कई बार स्थानीयों ने रेल अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मुकम्मल इंतजाम किए जाने की मांग की, लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी.

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मौत की क्रॉसिंग, जहां से सैकड़ों बच्चों का शुरू होता तालीम का सफर
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Published : Jan 27, 2020, 11:03 AM IST

सुलतानपुर: जिले के बधुआ कला स्टेशन का ऐसा नजारा सामने आया है, जहां रोजाना स्कूली छात्र रेलवे क्रॉसिंग पार करने को मजबूर हैं. वहीं इस क्रॉसिंग पर आए दिन हादसे होते रहते हैं, लेकिन रेल अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. दरअसल, क्रॉसिंग को बंदकर दिया गया है, लेकिन स्कूली छात्र और ग्रामीण दोहरा रेल पथ पार करने को मजबूर हैं.

रेल क्रॉसिंग बनी मौत की वजह.
  • जिले के बधुआ कला स्टेशन का मामला.
  • क्रॉसिंग बंद होने के बावजूद छात्र और ग्रामीण दोहरा रेल पथ पार करने को मजबूर हैं.
  • बताया जा रहा है कि कोई और रास्ता न होने की वजह से ग्रामीण रेल पथ पार करते हैं.
  • 52 यात्री गाड़ियां और अतिरिक्त माल गाड़ियां इस रूट पर रोजाना दौड़ती हैं.

स्थानीय नागरिकों ने जनप्रतिनिधि व रेल अधिकारियों से आए दिन मुकम्मल इंतजाम किए जाने की मांग करते हैं, लेकिन अधिकारी और नेता सुनते हैं और आश्वासन का घूंट पिलाते हुए चले जाते हैं. वहीं इस मामले पर 7वीं कक्षा के छात्र अशफाक कहते हैं कि फाटक बंद करा दिया गया है, इसकी वजह से क्रॉसिंग पार कर गुजरना पड़ता है. स्थानीय सुरेश कुमार कहते हैं कि मदरसा जामा इस्लामिया के बच्चे यहां पढ़ते हैं और करीब 500 बच्चों को यहां से गुजरना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें: 1857 की क्रांति में अंग्रेजों को धूल चटाने वाले रणबांकुरों को भूली सरकार

सुलतानपुर: जिले के बधुआ कला स्टेशन का ऐसा नजारा सामने आया है, जहां रोजाना स्कूली छात्र रेलवे क्रॉसिंग पार करने को मजबूर हैं. वहीं इस क्रॉसिंग पर आए दिन हादसे होते रहते हैं, लेकिन रेल अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. दरअसल, क्रॉसिंग को बंदकर दिया गया है, लेकिन स्कूली छात्र और ग्रामीण दोहरा रेल पथ पार करने को मजबूर हैं.

रेल क्रॉसिंग बनी मौत की वजह.
  • जिले के बधुआ कला स्टेशन का मामला.
  • क्रॉसिंग बंद होने के बावजूद छात्र और ग्रामीण दोहरा रेल पथ पार करने को मजबूर हैं.
  • बताया जा रहा है कि कोई और रास्ता न होने की वजह से ग्रामीण रेल पथ पार करते हैं.
  • 52 यात्री गाड़ियां और अतिरिक्त माल गाड़ियां इस रूट पर रोजाना दौड़ती हैं.

स्थानीय नागरिकों ने जनप्रतिनिधि व रेल अधिकारियों से आए दिन मुकम्मल इंतजाम किए जाने की मांग करते हैं, लेकिन अधिकारी और नेता सुनते हैं और आश्वासन का घूंट पिलाते हुए चले जाते हैं. वहीं इस मामले पर 7वीं कक्षा के छात्र अशफाक कहते हैं कि फाटक बंद करा दिया गया है, इसकी वजह से क्रॉसिंग पार कर गुजरना पड़ता है. स्थानीय सुरेश कुमार कहते हैं कि मदरसा जामा इस्लामिया के बच्चे यहां पढ़ते हैं और करीब 500 बच्चों को यहां से गुजरना पड़ता है.

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Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी
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शीर्षक : सुलतानपुर : मौत की क्रॉसिंग, जहां से सैकड़ों बच्चों का शुरू होता तालीम का सफर।


एंकर : यह बंद हुआ समपार फाटक है। जहां से सैकड़ों बच्चे अपनी तालीम का सफर तय करते हैं। 2 प्राथमिक , एक जूनियर और एक मदरसा विद्यालय के नौनिहाल यहीं से रोजाना गुजरते हैं अपनी जान हथेली पर लेकर। रेल अफसरों के संवेदनहीनता से आए दिन हादसे होते हैं। जिंदगी सहम जाती है । लेकिन जरूरत शिक्षा की है, दैनिक जरूरतों को पूरा करने की है। इसलिए फिर से दिल थाम कर मौत का सफर शुरू हो जाता है।


Body:वीओ : वाकया लखनऊ वाराणसी रेल खंड का है। सुल्तानपुर जंक्शन से एक स्टेशन पहले बधुआ कला स्टेशन का यह नजारा है। जहां की एक क्रॉसिंग को बंद कर दिया गया है। इसकी वजह से बच्चे रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के बावजूद दोहरा रेल पथ पार करने को मजबूर हो रहे हैं। दूसरी रेलवे क्रॉसिंग भी समीप है। लेकिन रास्ता मुकम्मल नहीं होने से ग्रामीणों को मजबूरी में यहां से गुजरना पड़ता है। 52 यात्री गाड़ियां और अतिरिक्त माल गाड़ियां इस रूट पर रोजाना दौड़ती हैं । इनसे बचकर निकलना होता है भोले भले मासूमों को। स्थानीय नागरिक जनप्रतिनिधि व रेल अधिकारियों से आए दिन मुकम्मल इंतजाम किए जाने की मांग करते हैं । लेकिन अधिकारी और नेता सुनते हैं और आश्वासन का घूंट पिलाते हुए चले जाते हैं।




Conclusion:बाइट : सातवीं कक्षा के छात्र अशफाक कहते हैं कि फाटक बंद करा दिया गया है। इसकी वजह से क्रॉसिंग पार कर गुजरना पड़ता है। सुरेश कुमार कहते हैं कि मदरसा जामा इस्लामिया के बच्चे यहां पढ़ते हैं। 500 के करीब बच्चों को यहां से गुजरना पड़ता है। बहुत दुश्वारियां का सामना करना पड़ता है। कहते हैं इन बच्चों को गुजरने के लिए रास्ते की जरूरत है। मोहम्मद फरीद कहते हैं कि आस पड़ोस के गांव के 70% बच्चे और लोग यहीं से गुजरते हैं। दो जूनियर हाई स्कूल है, मदरसा है, लोग यहीं से गुजरते हैं।


आशुतोष मिश्रा सुल्तानपुर 94 15049 256
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