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'तिरहुत स्टेट' में असली-नकली राजा की जंग, मंत्री और विधायकों की भी उड़ी नींद, जानिए क्या है मामला

'तिरहुत स्टेट' में गद्दी को लेकर खींचतान (Battle of real and fake king in Tirhut state) चल रही है. दोनों दावेदार अपनी-अपनी दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं. तहसीलदार को विवादों के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं.

'तिरहुत स्टेट'
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Published : Jul 3, 2023, 6:00 PM IST

Updated : Jul 3, 2023, 6:38 PM IST

गद्दी को लेकर चल रही खींचतान.

सुलतानपुर : जिला मुख्यालय से 24 किमी की दूरी पर 'तिरहुत स्टेट' है. सुलतानपुर और अमेठी जिले की सीमा पर मौजूद इस तिरहुत स्टेट के दो दावेदारों ने मंत्री और विधायकों की भी नींद उड़ा दी है. असली और नकली के फेर में मंत्री और विधायक भी उलझ गए हैं. न्याय की लड़ाई में वह किसके पाले में रहे इसे लेकर वे भी असमंजस की स्थिति में हैं. फिलहाल डीएम ने कुंवर मुकेश सिंह की मांग को संज्ञान में लेते हुए पूरे मामले में तहसीलदार से जांच रिपोर्ट तलब की है.

ये है विवाद का कारण : मामला सुलतानपुर जिले के बल्दीराय तहसील इलाके के 'तिरहुत स्टेट' राज शाही खानदान से जुड़ा है. आजादी के पहले राजा चौहरजा बख्श सिंह थे. उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद नागेश्वर बक्श सिंह अस्तित्व में आए. उनके बाद उनकी दो संतान विजयपाल सिंह और जगदंबा बक्स सिंह का राज शुरू हुआ. जगदंबा की कोई संतान नहीं होने के नाते राजशाही विजय पाल सिंह को मिली. विजयपाल सिंह के बेटे भगवान बक्श सिंह की भी कोई औलाद नहीं हुई. इसके बाद भगवान बक्श सिंह की पत्नी देव रती कुंवारी को अपना वारिस बनाया. पंजीकृत वसीयतनामा के जरिए कुंवर मुकेश सिंह वर्तमान दावेदार राजा के रूप में सामने आए हैं. वहीं गैर पंजीकृत वसीयत के जरिए शुभम सिंह और राय बहादुर दूसरे राजा के रूप में गद्दीनशीन है. संपत्ति के अधिकतर भूभाग पर इन्हीं का कब्जा है. यही राजशाही पर कब्जा जमाए हुए हैं.

एक सप्ताह में ही खारिज हो गया था आदेश : 10 जनवरी 2022 को राजस्व न्यायालय तहसीलदार के यहां आदेश अमल दरामद सुबल सिंह और रायबहादुर के पक्ष में किया गया. ठीक 1 सप्ताह के बाद आदेश को गलत करार देते हुए राजस्व अधिकारियों ने उत्तराधिकार के आदेश को रद्द कर दिया. इसके बाद से असली और नकली राजा को लेकर ठन गई है. तिरहुत का भाले सुल्तानी का यह क्षेत्र 2 राजाओं की लड़ाई के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां पक्षकार अमेठी संसदीय क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी से मदद मांग रहे हैं. वहीं स्थानीय इसौली से समाजवादी पार्टी के विधायक अबरार अहमद से न्याय की गुहार कर रहे हैं.

तहसीलदार करेंगे निस्तारण : जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि पुराने राजा के उत्तराधिकार के क्रम में कुछ लोग वसीयत के आधार पर आना चाहते हैं. कुछ लोग अपने को उत्तराधिकारी दर्शा रहे हैं. तहसीलदार को पक्षकारों से आपत्तियां लेते हुए विवाद के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं. निस्तारण गंभीर होने की दशा में सिविल न्यायालय से न्याय प्राप्त करने का रास्ता भी खुला रहेगा.

असली राजा के दावेदार कुंवर मुकेश सिंह का कहना है कि फर्जी वसीयत और फर्जी गवाह लगाकर संपत्ति हड़पने का कुचक्र रचा जा रहा है. मैं डीएम से न्याय मांगने आया हूं. असलहों का प्रदर्शन कर वह हमारी जमीन पर कब्जा जताने का प्रयास कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : 200 बीघे जमीन की कब्जेदारी को लेकर कोर्ट पहुंची दो राजाओं की वरासत की जंग

गद्दी को लेकर चल रही खींचतान.

सुलतानपुर : जिला मुख्यालय से 24 किमी की दूरी पर 'तिरहुत स्टेट' है. सुलतानपुर और अमेठी जिले की सीमा पर मौजूद इस तिरहुत स्टेट के दो दावेदारों ने मंत्री और विधायकों की भी नींद उड़ा दी है. असली और नकली के फेर में मंत्री और विधायक भी उलझ गए हैं. न्याय की लड़ाई में वह किसके पाले में रहे इसे लेकर वे भी असमंजस की स्थिति में हैं. फिलहाल डीएम ने कुंवर मुकेश सिंह की मांग को संज्ञान में लेते हुए पूरे मामले में तहसीलदार से जांच रिपोर्ट तलब की है.

ये है विवाद का कारण : मामला सुलतानपुर जिले के बल्दीराय तहसील इलाके के 'तिरहुत स्टेट' राज शाही खानदान से जुड़ा है. आजादी के पहले राजा चौहरजा बख्श सिंह थे. उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद नागेश्वर बक्श सिंह अस्तित्व में आए. उनके बाद उनकी दो संतान विजयपाल सिंह और जगदंबा बक्स सिंह का राज शुरू हुआ. जगदंबा की कोई संतान नहीं होने के नाते राजशाही विजय पाल सिंह को मिली. विजयपाल सिंह के बेटे भगवान बक्श सिंह की भी कोई औलाद नहीं हुई. इसके बाद भगवान बक्श सिंह की पत्नी देव रती कुंवारी को अपना वारिस बनाया. पंजीकृत वसीयतनामा के जरिए कुंवर मुकेश सिंह वर्तमान दावेदार राजा के रूप में सामने आए हैं. वहीं गैर पंजीकृत वसीयत के जरिए शुभम सिंह और राय बहादुर दूसरे राजा के रूप में गद्दीनशीन है. संपत्ति के अधिकतर भूभाग पर इन्हीं का कब्जा है. यही राजशाही पर कब्जा जमाए हुए हैं.

एक सप्ताह में ही खारिज हो गया था आदेश : 10 जनवरी 2022 को राजस्व न्यायालय तहसीलदार के यहां आदेश अमल दरामद सुबल सिंह और रायबहादुर के पक्ष में किया गया. ठीक 1 सप्ताह के बाद आदेश को गलत करार देते हुए राजस्व अधिकारियों ने उत्तराधिकार के आदेश को रद्द कर दिया. इसके बाद से असली और नकली राजा को लेकर ठन गई है. तिरहुत का भाले सुल्तानी का यह क्षेत्र 2 राजाओं की लड़ाई के चलते चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां पक्षकार अमेठी संसदीय क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी से मदद मांग रहे हैं. वहीं स्थानीय इसौली से समाजवादी पार्टी के विधायक अबरार अहमद से न्याय की गुहार कर रहे हैं.

तहसीलदार करेंगे निस्तारण : जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि पुराने राजा के उत्तराधिकार के क्रम में कुछ लोग वसीयत के आधार पर आना चाहते हैं. कुछ लोग अपने को उत्तराधिकारी दर्शा रहे हैं. तहसीलदार को पक्षकारों से आपत्तियां लेते हुए विवाद के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं. निस्तारण गंभीर होने की दशा में सिविल न्यायालय से न्याय प्राप्त करने का रास्ता भी खुला रहेगा.

असली राजा के दावेदार कुंवर मुकेश सिंह का कहना है कि फर्जी वसीयत और फर्जी गवाह लगाकर संपत्ति हड़पने का कुचक्र रचा जा रहा है. मैं डीएम से न्याय मांगने आया हूं. असलहों का प्रदर्शन कर वह हमारी जमीन पर कब्जा जताने का प्रयास कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : 200 बीघे जमीन की कब्जेदारी को लेकर कोर्ट पहुंची दो राजाओं की वरासत की जंग

Last Updated : Jul 3, 2023, 6:38 PM IST
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