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किशोरी से गैंगरेप करने वाले आरोपियों को कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा - गैंगरेप करने वाले आरोपियों को सजा

सुलतानपुर में किशोरी से जबरन दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनवाई है. साथ ही 1 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

जिला सत्र न्यायालय
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Published : Oct 19, 2021, 7:27 AM IST

सुलतानपुरः शौच के लिए गई किशोरी से जबरन दुष्कर्म किए जाने के मामले में न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है. पॉक्सो और गैंगरेप की धाराओं में दोष सिद्ध होने के बाद 20-20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 1 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

मामला अमेठी जिले के पीपरपुर थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. जहां के एक गांव के रहने वाले अरुण कुमार और राम सजीवन पर गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया था. पीड़िता के आरोप के मुताबिक 17 सितंबर 2015 को किशोरी शौच के लिए गई थी. इसी दौरान दोनों आरोपियों ने उसे पकड़ लिया और जबरन दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था.

मामले में परिजनों की तहरीर पर स्थानीय थाने पीपरपुर में मुकदमा पंजीकृत किया गया. शुरुआत में फर्जी फसाए जाने की बात आरोपी पक्ष ने कही थी, लेकिन पुलिस ने साक्ष्य और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोप पत्र न्यायालय भेज दिया था. जहां पर शासकीय अधिवक्ता रमेश चंद्र सिंह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता सीएल द्विवेदी ने गवाह और साक्ष्यों को अपने-अपने पक्ष में पेश किया था.

अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने पॉक्सो एक्ट और गैंगरेप की धाराओं में दोनों आरोपियों को दोषी पाया. जिसके आधार पर दोनों आरोपियों को 20-20 वर्ष के कैद की सजा सुनाई. सजा के साथ 1 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. ‌

सुलतानपुरः शौच के लिए गई किशोरी से जबरन दुष्कर्म किए जाने के मामले में न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है. पॉक्सो और गैंगरेप की धाराओं में दोष सिद्ध होने के बाद 20-20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 1 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

मामला अमेठी जिले के पीपरपुर थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. जहां के एक गांव के रहने वाले अरुण कुमार और राम सजीवन पर गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया था. पीड़िता के आरोप के मुताबिक 17 सितंबर 2015 को किशोरी शौच के लिए गई थी. इसी दौरान दोनों आरोपियों ने उसे पकड़ लिया और जबरन दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था.

मामले में परिजनों की तहरीर पर स्थानीय थाने पीपरपुर में मुकदमा पंजीकृत किया गया. शुरुआत में फर्जी फसाए जाने की बात आरोपी पक्ष ने कही थी, लेकिन पुलिस ने साक्ष्य और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोप पत्र न्यायालय भेज दिया था. जहां पर शासकीय अधिवक्ता रमेश चंद्र सिंह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता सीएल द्विवेदी ने गवाह और साक्ष्यों को अपने-अपने पक्ष में पेश किया था.

अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने पॉक्सो एक्ट और गैंगरेप की धाराओं में दोनों आरोपियों को दोषी पाया. जिसके आधार पर दोनों आरोपियों को 20-20 वर्ष के कैद की सजा सुनाई. सजा के साथ 1 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. ‌

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