सुलतानपुर: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गौरीगंज थाने में दर्ज मुकदमे से संबंधित केस वापसी की अर्जी पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने करारा झटका दिया है. अर्जी को खारिज करते हुए चार्ज बनाने की विधिक कार्रवाई न्यायालय में सुनिश्चित की गई. 3 नवंबर को साक्ष्य इस मसले पर लिया जाएगा. वहीं मुसाफिरखाना थाने से संबंधित केस में आरोप वापस लेने की अर्जी पर कोर्ट ने विचार करने का निर्णय लिया है. दोनों मामले में जमानत अर्जी मुख्यमंत्री केजरीवाल की मंजूर कर ली गई है.
गौरीगंज थाना क्षेत्र में दर्ज मुकदमे में आरोप पत्र से नाम वापस लेने की अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट ने निरस्त कर दी. जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए साक्ष्य ग्रहण करने के लिए 3 नवंबर की तिथि नियत की गई है. वहीं मुसाफिरखाना मामले में केस वापसी अर्जी पर 3 नवंबर को सुनवाई नियत की गई है. दोनों मुकदमे में सुनवाई की तारीख नियत करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दोनों केस में जमानत प्रदान कर दी गई है.
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास समेत अन्य समर्थकों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान दर्ज मुकदमे में आरोपी बनाया गया था. आचार संहिता का उल्लंघन करने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी जग प्रसाद मौर्या और उड़नदस्ता प्रभारी प्रेमचंद्र की शिकायत पर यह मुकदमा दर्ज किए गए थे.
मुख्यमंत्री के अधिवक्ता मदन सिंह ने बताया कि 2014 में गौरीगंज और मुसाफिरखाना थाने में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. उच्चतम न्यायालय ने कोर्ट में उपस्थित होने की बाध्यता से मुख्यमंत्री केजरीवाल को छूट प्रदान की थी. न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित न हो, अदालत समय से अपनी कार्यवाही सुनिश्चित करें. इसके चलते हुए वे स्वयं उपस्थित हुए हैं. जमानत अर्जी न्यायालय ने स्वीकार करते हुए आरोप तय किया गया है. वहीं दूसरे मामले में मुसाफिरखाना प्रकरण में चार्ज शीट से नाम वापस लेने की अर्जी दी गई है. मुकदमा वापसी से संबंधित कुमार विश्वास का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया है. जब नाम वापस होगा, तो सभी आरोपियों के नाम एक साथ वापस होगा.
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