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सुलतानपुर: महज 200 रुपये के लिए वाहन को सैनिटाइज कर रहे बच्चे - डीएम सी इंदुमती

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में लॉकडाउन खुलने के बाद गरीब परिवार के बच्चे भी दो वक्त की रोटी के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. चंद रुपये कमाने के लालच में पीठ पर स्कूल बैग की जगह सैनिटाइजर किट लादे वाहनों को सैनिटाइज कर रहे बच्चे.

वाहन को सैनिटाइज कर रहा बच्चा
वाहन को सैनिटाइज कर रहा बच्चा
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Published : Jun 13, 2020, 3:07 PM IST

सुल्तानपुर: कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन देशवासियों को बेरोजगारी की ओर लाकर खड़ा कर दिया है. निचले तबके से लेकर बड़े-बड़े उद्योग व्यापारी भी परेशान हैं. ऐसे में गरीब परिवार में जन्में बच्चे भी पढ़ने-लिखने की उम्र में रुपये कमाने को मजबूर हैं. चंद पैसे के लिए ये मासूम कड़ी धूप हो या आंधी-तूफान बेपरवाह सड़कों पर धूम रहे हैं.

चंद रुपये के लिए वाहन को सैनिटाइज कर रहे बच्चे

ऐसा ही एक नजारा सुल्तानपुर जिले के बल्दीराय तहसील क्षेत्र में देखने को मिला. यहां पारा गनापुर गांव में कुछ छोटे बच्चे जिनकी उम्र 10 वर्ष के अंदर है, दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर सैनिटाइजर किट पीठ पर लादे हुए सड़कों पर धूम रहे हैं. दरअसल, ये बच्चे सड़क पर निकल रहे लोगों के वाहन को सैनिटाइज कर रहे हैं. इसके एवज में बच्चों को 100 से 200 रुपये मिल जाते हैं.

कोविड-19 महामारी को लेकर जहां लोग घर से निकलने से परहेज कर रहे हैं वहीं इन मासूम बच्चों का संघर्ष दिलों को झकझोर देने वाला प्रतीत होता है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इन बच्चों से बातचीत की तो उनका जवाब क्या था ? आईए जानते हैं...

100 से 200 रुपये मिल जाते हैं
वाहनों को सैनिटाइज करने के लिए घर से निकले एक बच्चे ने बताया कि 100 से 200 रुपये इस काम के लिए मिल जाते हैं. आगे उसने कहा कि समाज सेवा करने निकले हैं. जब समाज सेवा कर रहे हैं, तो शुल्क कैसा. चंद लम्हे ही ईटीवी भारत से बातचीत करने के बाद वह वापस अपने काम पर लग जाता है और वाहनों को सैनिटाइज करने लगता है.


वहीं, मामले को लेकर सुल्तानपुर की डीएम सी इंदुमती ने कहा कि बच्चों द्वारा सैनिटाइज करने के बारे में कोई जानकारी किसी की तरफ से नहीं दी गई है. यदि कोई ऐसी जानकारी मिलती है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

सुल्तानपुर: कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन देशवासियों को बेरोजगारी की ओर लाकर खड़ा कर दिया है. निचले तबके से लेकर बड़े-बड़े उद्योग व्यापारी भी परेशान हैं. ऐसे में गरीब परिवार में जन्में बच्चे भी पढ़ने-लिखने की उम्र में रुपये कमाने को मजबूर हैं. चंद पैसे के लिए ये मासूम कड़ी धूप हो या आंधी-तूफान बेपरवाह सड़कों पर धूम रहे हैं.

चंद रुपये के लिए वाहन को सैनिटाइज कर रहे बच्चे

ऐसा ही एक नजारा सुल्तानपुर जिले के बल्दीराय तहसील क्षेत्र में देखने को मिला. यहां पारा गनापुर गांव में कुछ छोटे बच्चे जिनकी उम्र 10 वर्ष के अंदर है, दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर सैनिटाइजर किट पीठ पर लादे हुए सड़कों पर धूम रहे हैं. दरअसल, ये बच्चे सड़क पर निकल रहे लोगों के वाहन को सैनिटाइज कर रहे हैं. इसके एवज में बच्चों को 100 से 200 रुपये मिल जाते हैं.

कोविड-19 महामारी को लेकर जहां लोग घर से निकलने से परहेज कर रहे हैं वहीं इन मासूम बच्चों का संघर्ष दिलों को झकझोर देने वाला प्रतीत होता है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इन बच्चों से बातचीत की तो उनका जवाब क्या था ? आईए जानते हैं...

100 से 200 रुपये मिल जाते हैं
वाहनों को सैनिटाइज करने के लिए घर से निकले एक बच्चे ने बताया कि 100 से 200 रुपये इस काम के लिए मिल जाते हैं. आगे उसने कहा कि समाज सेवा करने निकले हैं. जब समाज सेवा कर रहे हैं, तो शुल्क कैसा. चंद लम्हे ही ईटीवी भारत से बातचीत करने के बाद वह वापस अपने काम पर लग जाता है और वाहनों को सैनिटाइज करने लगता है.


वहीं, मामले को लेकर सुल्तानपुर की डीएम सी इंदुमती ने कहा कि बच्चों द्वारा सैनिटाइज करने के बारे में कोई जानकारी किसी की तरफ से नहीं दी गई है. यदि कोई ऐसी जानकारी मिलती है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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