सोनभद्रः जिले के मांची और कोन थाना क्षेत्र में जयराम और उदय प्रताप कनौजिया की निर्मम हत्या के मामले में शुक्रवार को 15 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एहसानुल्लाह खान की अदालत ने आरोपी नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और लालब्रत कोल को दोषी करार करते हुए उम्रकैद और कुल 2.37 लाख अर्थिक दंड का फैसला सुनाया. कोर्ट ने अर्थदंड न देने पर 3-3 वर्ष की अतिरिक्त कैद की सजा का फैसला सुनाया है. अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख रूपये मृतक उदय प्रताप कनौजिया की पत्नी लीलावती को मिलेगी. दोषी नक्सलियों के अधिवक्ता ने दावा किया पुलिस ने 23 साल पहले दस लाख के इनामी लालव्रत को मुठभेड़ में दिखाकर प्रमोशन लिया था. जिसे कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सजा सुनाई है. अधिवक्ता ने अपील करने का बात कही.
बता दें कि 2006 और 2007 में दोनो नक्सलियों ने मांची और कोन थाना क्षेत्र दो हत्याएं की. एक हत्या लाल व्रत और मुन्ना विश्वकर्मा दोनों ने साथ मिलकर की. वहीं, दूसरी हत्या मुन्ना विश्वकर्मा ने अकेले की. अभियोजन पक्ष के मुताबिक मांची थाना क्षेत्र के चिचलिक गांव के गुलाब ने 11 जुलाई 2006 को थाने में तहरीर दी. उसमें उसने बताया कि उसका भाई जयराम औक चौरा गांव से खोडैला के रास्ते पर मेठ का काम करता था. वह 9 जुलाई 2006 को घर से काम पर चला गया और गहबड़िया जंगल में शाम को उसके भाई की हत्या कर दी गई है. उसका गर्दन सर से अलग पड़ा हुआ था.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की. जिसमें जिले के राबर्टसगंज का नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और नक्सली लालव्रत कोल का नाम सामने आया. इस मामले में अदालत ने दोनों नक्सलियों को उम्रकैद और 54-54 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई. वहीं अर्थदंड न देने पर इन्हें 3-3 वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
वहीं, दूसरा मामला कोन थाना क्षेत्र का 2007 का है. कोन थाना में 26 फरवरी 2007 को तहरीर देकर लीलावती पत्नी उदय प्रताप कनौजिया ने पुलिस को बताया कि 25 फरवरी 2007 को रात में नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा अपने साथियों के साथ उसके पति की हत्या कर दी. वह उसके पति को पकड़ कर घर से कुछ दूर ले गया और कुल्हाड़ी से उसका गला काटकर हत्या कर दी. साथ ही घर में आग लगा दी. इस मामले में अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मुन्ना विश्वकर्मा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और एक लाख 29 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अर्थदंड न देने पर 3 वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
वहीं नक्सली मुन्ना विश्कर्मा का बेटा अरविंद विश्वकर्मा ने बताया कि उसके पिता ने तत्कालीन एसपी सुभाष दुबे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बावजूद उन्हें रिपोर्ट में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार दिखाया गया. अरविंद का आरोप है कि तत्कालीन एसपी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि कुछ साल बाद उसे जेल से बाहर निकाल दिया जाएगा. लेकिन उन्हें नहीं छोड़ा गया और अब कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी.
वहीं, दोनों नक्सलियों के वकील रोशन लाल यादव का कहना है कि वर्ष 2000 में मिर्जापुर के मड़िहान लालव्रत कोल को पुलिस ने मुठभेड़ में मृत दिखा दिया था. इसके बाद 2006 में लाल व्रत कोल कोल को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार दिखाया. फिर 2000 में पुलिस ने किसका एनकाउंटर किया था? लेकिन आज तक यह नहीं पता चला कि मुठभेड़ में मारा गया लालव्रत कोल कौन था? पुलिस ने आजतक नहीं बताया. गौरतलब है कि मुन्ना विश्वकर्मा के ऊपर 10 लाख रूपये का इनाम था. इसका 5 प्रांतो यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में आतंक था.
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