सोनभद्र: जिले में रविवार को पुत्रवती स्त्रियों ने पुत्र की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाले जिउतिया व्रत को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया. आपको बता दें कि विंध्य क्षेत्र के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की दीर्घायु हेतु करती हैं.
इस दौरान वह जीमूतवाहन अथवा जिउतिया की प्रतीकात्मक आकृति की पूजा अर्चना कर गुझिया, पापड़ इत्यादि पकवान भी चढाती हैं. इस पूजा में क्षेत्र के लोकगीत भी गाए जाते हैं. पुत्र की दीर्घायु के लिए पुत्रवती स्त्रियां 36 घण्टे तक बिना कुछ खाए-पिए निर्जला व्रत रखती हैं.
पुत्र की दीर्घायु के लिए करती हैं 36 घण्टे तक व्रत
इस व्रत में महिलाएं शाम के समय नदी, तालाब, गंगाजी, अन्य क्षेत्रों में गड्ढा खोदकर मिट्टी और गोबर की सहायता से जीमूतवाहन अथवा जिउतिया की प्रतीकात्मक आकृति को पृथ्वी पर अंकित करती हैं. इस आकृति में आंखों के स्थान पर कौड़ियां चिपकाई जाती है. कहीं-कहीं पर कुसी का जूड़ी भी पृथ्वी पर स्थापित की जाती है. इसके बाद चारों ओर बैठी हुई स्त्रियां केला, नारियल, मूली,ईख,खीरा, माला, फूल, मिठाई, पान, सुपारी सात अन्न और जल चढ़ाकर पूजा करती हैं.
पुत्र की प्राप्ति एवं विवाह के पश्चात घर की बुजुर्ग स्त्रियां इस स्थान पर डाल भरती हैं, और गुझिया, पापड़ इत्यादि पकवान भी चढाती हैं. पुत्रों की दीर्घायु हेतु कुछ स्त्रियां सोने और चांदी के बने हुए जिउतिया, धागे की बनी हुई जिऊतियां को चढाती हैं. इसके बाद सोने- चांदी की जिउतियां वापस लाकर बच्चों के गले में पहनाती है.
परिवार के सुख-समृद्धि और पुत्र की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखा जाता है. इस व्रत में गन्ना, नारियल,पान, सुपाड़ी समेत अन्य समान भी चढ़ाया जाता है.
-प्रतिभा, व्रती महिला
जिउतिया का व्रत पुत्र की दीर्घायु के लिए रखा जाता है, यह व्रत ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इसमें माताएं 36 घण्टे निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत के दिन माताएं नदी के किनारे जाकर जिउतिया की पूजा करती हैं. इस अवसर पर 7 अनाज चढ़ाने और 8 कहानियां सुनने की परंपरा है.
-दीपक केसरवानी, साहित्यकार