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सोनभद्र: आर्थिक संकट के चलते उन्नत कृषि से वंचित किसान, हाल बेहाल - modern agriculture in sonbhadra

यूपी के सोनभद्र जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों की हालत बद से बदतर है. दरअसल, आर्थिक विपन्नता के चलते किसान उन्नत खेती करने से वंचित हैं.

किसान.
आर्थिक विपन्नता के चलते किसान उन्नत खेती करने से वंचित हैं.
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Published : Jul 31, 2020, 5:44 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST

सोनभद्र: एक तरफ जहां सरकार डिजिटल और आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सोनभद्र जिले में किसानों की हालत खस्ता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी किसान आर्थिक विपन्नता के चलते उन्नत खेती नहीं कर पा रहे हैं. वहीं ज्यादातर जगहों पर किसान अपने खेत पुराने ढंग से जोतते हुए दिखाई दे रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

एक तरफ जहां शासन-प्रशासन और कृषि विभाग किसानों को उन्नत बीज-खाद और कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के दावे कागजों पर करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ज्यादातर किसान आर्थिक विपन्नता के चलते ट्रैक्टर से जुताई तक नहीं कर पाते. ट्रैक्टर समेत अन्य कृषि यंत्रों का प्रयोग उनके लिए सपने जैसा ही है. बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान आज भी हल-बैल से खेत तैयार करते हुए देखे जा सकते हैं. जिला कृषि अधिकारी का कहना है यदि बुंदेलखंड के किसानों की तरह सोनभद्र के किसानों को भी बीज और कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाए, तो उनकी स्थिति में सुधार आ सकता है.

सोनभद्र के दुद्धी क्षेत्र के महोली गांव के किसान कैलाश सिंह बताते हैं कि उनके पास लगभग 1 बीघा जमीन है और वह आर्थिक विपन्नता के चलते खेतों में ट्रैक्टर से जुताई नहीं करा सकते. इसलिए खुद ही खेतों में बैलों की सहायता से जुताई करते हैं और रवि की फसल की बुवाई कर रहे हैं. उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता कृषि विभाग या अन्य संबंधित विभाग से नहीं मिलती है. ऐसे में वह स्वयं अपने श्रम से रिप्लाई करके धान की फसल की बुवाई कर रहे हैं.

वहीं जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय का कहना है कि सोनभद्र के पहाड़ी इलाकों में जोत बहुत छोटी है और वहां कृषि यंत्रीकरण का स्तर बहुत कम है. उनका दावा है कि विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि कुछ छोटी जोत वाले किसान ऐसे हैं, जो इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते. जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि बुंदेलखंड और सोनभद्र की भौगोलिक परिस्थिति मिलती-जुलती है. इसलिए बुंदेलखंड की तरह ही सोनभद्र के किसानों को भी बीजों पर 80% तक अनुदान उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने कृषि उत्पादन आयुक्त से मांग की है. यदि साथ ही साथ इस तरह की अनुदान की योजना कृषि यंत्रों पर भी लागू कर दी जाए, तो किसानों को इससे बहुत लाभ होगा और कृषि सघनता और उत्पादकता में भी वृद्धि होगी.

इसे भी पढ़ें- सोनभद्र: निराश्रित बालिकाएं जिला जेल के कैदियों के लिए बना रहीं राखी

सोनभद्र: एक तरफ जहां सरकार डिजिटल और आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सोनभद्र जिले में किसानों की हालत खस्ता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी किसान आर्थिक विपन्नता के चलते उन्नत खेती नहीं कर पा रहे हैं. वहीं ज्यादातर जगहों पर किसान अपने खेत पुराने ढंग से जोतते हुए दिखाई दे रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

एक तरफ जहां शासन-प्रशासन और कृषि विभाग किसानों को उन्नत बीज-खाद और कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के दावे कागजों पर करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ज्यादातर किसान आर्थिक विपन्नता के चलते ट्रैक्टर से जुताई तक नहीं कर पाते. ट्रैक्टर समेत अन्य कृषि यंत्रों का प्रयोग उनके लिए सपने जैसा ही है. बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान आज भी हल-बैल से खेत तैयार करते हुए देखे जा सकते हैं. जिला कृषि अधिकारी का कहना है यदि बुंदेलखंड के किसानों की तरह सोनभद्र के किसानों को भी बीज और कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जाए, तो उनकी स्थिति में सुधार आ सकता है.

सोनभद्र के दुद्धी क्षेत्र के महोली गांव के किसान कैलाश सिंह बताते हैं कि उनके पास लगभग 1 बीघा जमीन है और वह आर्थिक विपन्नता के चलते खेतों में ट्रैक्टर से जुताई नहीं करा सकते. इसलिए खुद ही खेतों में बैलों की सहायता से जुताई करते हैं और रवि की फसल की बुवाई कर रहे हैं. उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता कृषि विभाग या अन्य संबंधित विभाग से नहीं मिलती है. ऐसे में वह स्वयं अपने श्रम से रिप्लाई करके धान की फसल की बुवाई कर रहे हैं.

वहीं जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय का कहना है कि सोनभद्र के पहाड़ी इलाकों में जोत बहुत छोटी है और वहां कृषि यंत्रीकरण का स्तर बहुत कम है. उनका दावा है कि विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि कुछ छोटी जोत वाले किसान ऐसे हैं, जो इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते. जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि बुंदेलखंड और सोनभद्र की भौगोलिक परिस्थिति मिलती-जुलती है. इसलिए बुंदेलखंड की तरह ही सोनभद्र के किसानों को भी बीजों पर 80% तक अनुदान उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने कृषि उत्पादन आयुक्त से मांग की है. यदि साथ ही साथ इस तरह की अनुदान की योजना कृषि यंत्रों पर भी लागू कर दी जाए, तो किसानों को इससे बहुत लाभ होगा और कृषि सघनता और उत्पादकता में भी वृद्धि होगी.

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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST
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