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फिर से कलकल बहेगी सोनभद्र की बेलन नदी, प्रशासन करा रहा जीर्णोद्धार - सोनभद्र प्रशासन करा रहा बेलन नदी का जीर्णोद्धार

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बेलन नदी का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर था. जिला प्रशासन सराहनीय पहल करते हुए इस नदी का जीर्णोद्धार करा रहा है. जनपद के तीन विकासखंडों के 47 ग्राम पंचायत से गुजरने वाली इस नदी से यहां के किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध होंगे साथ ही बारिश के समय में लगने वाले पानी से किसानों को नुकसान नहीं होगा.

बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार
बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार
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Published : Jun 17, 2020, 8:26 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: जनपद के चतरा विकासखंड के करद गांव से निकलकर प्रयागराज की टोंस नदी में मिलने वाली बेलन नदी का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर था. अतिक्रमण की वजह से यह नदी नाले का रूप ले ली थी. इस कोरोना काल में सोनभद्र जिला प्रशासन सराहनीय पहल करते हुए इस नदी का जीर्णोद्धार करा रहा है. इससे जहां एक ओर प्रवासी श्रमिक सहित अन्य लोगों को काम मिल रहा है, वहीं जनपद के तीन विकासखंडों के 47 ग्राम पंचायत से गुजरने वाली इस नदी से यहां के किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध होंगे साथ ही बारिश के समय में लगने वाले पानी से किसानों को नुकसान नहीं होगा, साथ ही जल स्तर भी बढ़ेगा. बेलन घाटी सभ्यता 17,000 वर्ष पुरानी मानी जाती है. बता दें कि सबसे पहले धान की पैदावार की शुरुआत बेलन नदी से ही हुई थी.

बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार

बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार

बेलन नदी की खुदाई का काम मुख्य विकास अधिकारी अजय द्विवेदी की देख-रेख में चल रहा है. मुख्य विकास अधिकारी अजय द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि बेलन नदी पौराणिक नदी है. धान की पैदावार के सबसे पहले सबूत प्रागैतिहासिक समय में इस नदी से मिलते हैं. लेकिन वर्तमान में यह नदी अपना मूल स्वरूप खो चुकी थी और लगभग विलुप्त हो चुकी थी. इसको फिर से अस्तित्व में लाने के लिए इसके जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया है. ताकि यह फिर से मूल रूप में आ सके और यहां के किसानों को इसका लाभ मिल सके.

नदी के जीर्णोद्धार से किसानों को मिलेगी सिंचाई की सुविधा

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि इसको जीर्णोद्धार कराने के पीछे कई उद्देश्य हैं. सर्वप्रथम जो नदी विलुप्त हो चुकी थी वह अपने मूल स्वरूप में आ जाएगी. कोरोना वायरस के चलते श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौटकर आए हैं, उनको रोजगार मिल सकेगा. इसके जीर्णोद्धार में प्रतिदिन 3,000 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं. इससे डेढ़ लाख से ज्यादा मानव दिवस क्रिएट होने की संभावना है. इससे यहां का प्राकृतिक संतुलन मेंटेन होगा. इस नदी के किनारे जितने किसान हैं, उनको सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी.

नदी के दोनों तटों पर होगा पौधरोपण

सीडीओ ने बताया कि यहां बारिश के समय में पानी भर जाता है, जिससे फसलों को नुकसान होता है. उन्होंने बताया कि जब यह नदी मूल स्वरूप में आ जाएगी तो सारा पानी नदी से बह जाएगा और किसानों की फसलों को पानी भरने से नुकसान नहीं होगा साथ ही जलस्तर भी बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि नदी के दोनों तटों पर पौधों का भी रोपण कराया जाएगा, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होगा. उन्होंने बताया कि इस नदी की लंबाई 49 किलोमीटर है, जिसमें 30 किलोमीटर पर काम किया जा रहा है.

बेलन नदी से 60,000 हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित

बेलन नदी की लंबाई जनपद में 49 किलोमीटर है. यह जनपद के तीन विकासखंडों चतरा विकासखंड के करद गांव से निकलकर रॉबर्ट्सगंज और घोरावल विकासखंड से होते हुए मिर्जापुर के रास्ते प्रयागराज की टोंस नदी में जाकर मिल जाती है. टोंस नदी जो कि गंगा नदी की सहायक नदी है. यह कुल 47 ग्राम पंचायतों से होकर जाती है, जिसमें चतरा विकासखंड की 17 ग्राम पंचायतें, राबर्ट्सगंज विकासखंड की 18 ग्राम पंचायत और घोरावल विकासखंड के 12 ग्राम पंचायतों से होकर गुजरती है. इस नदी से जनपद की लगभग 60,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.

सोनभद्र: जनपद के चतरा विकासखंड के करद गांव से निकलकर प्रयागराज की टोंस नदी में मिलने वाली बेलन नदी का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर था. अतिक्रमण की वजह से यह नदी नाले का रूप ले ली थी. इस कोरोना काल में सोनभद्र जिला प्रशासन सराहनीय पहल करते हुए इस नदी का जीर्णोद्धार करा रहा है. इससे जहां एक ओर प्रवासी श्रमिक सहित अन्य लोगों को काम मिल रहा है, वहीं जनपद के तीन विकासखंडों के 47 ग्राम पंचायत से गुजरने वाली इस नदी से यहां के किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध होंगे साथ ही बारिश के समय में लगने वाले पानी से किसानों को नुकसान नहीं होगा, साथ ही जल स्तर भी बढ़ेगा. बेलन घाटी सभ्यता 17,000 वर्ष पुरानी मानी जाती है. बता दें कि सबसे पहले धान की पैदावार की शुरुआत बेलन नदी से ही हुई थी.

बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार

बेलन नदी का हो रहा जीर्णोद्धार

बेलन नदी की खुदाई का काम मुख्य विकास अधिकारी अजय द्विवेदी की देख-रेख में चल रहा है. मुख्य विकास अधिकारी अजय द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि बेलन नदी पौराणिक नदी है. धान की पैदावार के सबसे पहले सबूत प्रागैतिहासिक समय में इस नदी से मिलते हैं. लेकिन वर्तमान में यह नदी अपना मूल स्वरूप खो चुकी थी और लगभग विलुप्त हो चुकी थी. इसको फिर से अस्तित्व में लाने के लिए इसके जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया गया है. ताकि यह फिर से मूल रूप में आ सके और यहां के किसानों को इसका लाभ मिल सके.

नदी के जीर्णोद्धार से किसानों को मिलेगी सिंचाई की सुविधा

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि इसको जीर्णोद्धार कराने के पीछे कई उद्देश्य हैं. सर्वप्रथम जो नदी विलुप्त हो चुकी थी वह अपने मूल स्वरूप में आ जाएगी. कोरोना वायरस के चलते श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौटकर आए हैं, उनको रोजगार मिल सकेगा. इसके जीर्णोद्धार में प्रतिदिन 3,000 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं. इससे डेढ़ लाख से ज्यादा मानव दिवस क्रिएट होने की संभावना है. इससे यहां का प्राकृतिक संतुलन मेंटेन होगा. इस नदी के किनारे जितने किसान हैं, उनको सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी.

नदी के दोनों तटों पर होगा पौधरोपण

सीडीओ ने बताया कि यहां बारिश के समय में पानी भर जाता है, जिससे फसलों को नुकसान होता है. उन्होंने बताया कि जब यह नदी मूल स्वरूप में आ जाएगी तो सारा पानी नदी से बह जाएगा और किसानों की फसलों को पानी भरने से नुकसान नहीं होगा साथ ही जलस्तर भी बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि नदी के दोनों तटों पर पौधों का भी रोपण कराया जाएगा, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होगा. उन्होंने बताया कि इस नदी की लंबाई 49 किलोमीटर है, जिसमें 30 किलोमीटर पर काम किया जा रहा है.

बेलन नदी से 60,000 हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित

बेलन नदी की लंबाई जनपद में 49 किलोमीटर है. यह जनपद के तीन विकासखंडों चतरा विकासखंड के करद गांव से निकलकर रॉबर्ट्सगंज और घोरावल विकासखंड से होते हुए मिर्जापुर के रास्ते प्रयागराज की टोंस नदी में जाकर मिल जाती है. टोंस नदी जो कि गंगा नदी की सहायक नदी है. यह कुल 47 ग्राम पंचायतों से होकर जाती है, जिसमें चतरा विकासखंड की 17 ग्राम पंचायतें, राबर्ट्सगंज विकासखंड की 18 ग्राम पंचायत और घोरावल विकासखंड के 12 ग्राम पंचायतों से होकर गुजरती है. इस नदी से जनपद की लगभग 60,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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