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सोनभद्र: मृतक आश्रित पर नहीं दी नौकरी, नागरिकता खत्म करने की मांग कर रहा बेटा

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Published : Oct 11, 2019, 5:04 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक मृतक आरक्षी का बेटा नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है. कहीं से उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उसने सरकार से अपने परिवार की नागरिकता खत्म करने की मांग की है.

नौकरी के लिए भटक रहा मृतक आरक्षी का बेटा

सोनभद्र: आदिवासियों को न्याय दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सरकार को उनका हितैषी बता रहे हो, लेकिन 10 वर्षों से एक मृतक आरक्षी का बेटा नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक का चक्कर लगा चुका है. इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं की गई. थक-हारकर अब युवक ने सरकार से अपने परिवार की नागरिकता खत्म करने की मांग की है.

नौकरी के लिए भटक रहा मृतक आरक्षी का बेटा.

क्या है पूरा मामला

  • आरक्षी कौशल प्रसाद पाठक निवासी सेमरिया कला मिर्जापुर की तैनाती सोनभद्र पुलिस लाइन में थी.
  • किडनी खराब होने के कारण 23 नवम्बर 2010 को आरक्षी की मृत्यु हो गई थी.
  • उस समय कौशल प्रसाद पाठक के बच्चे छोटे थे.
  • मृतक आश्रित के लिए 21 दिसंबर 2011 को पाठक की पत्नी ने अपने पुत्र के लिए आवेदन किया था.
  • थोड़े दिनों बाद अवसाद में आकर कौशल पाठक की पत्नी की भी मृत्यु हो गई.
  • अब पुत्र देवमणि पाठक वर्तमान मुख्यमंत्री योगी के कार्यालय के कई बार चक्कर लगा चुका है.
  • 2017 में मुख्यमंत्री का कहना था कि 2 महीने में नौकरी मिल जाएगी, लेकिन नौकरी नहीं मिली.
  • अब मृतक आरक्षी का बेटा न्याय की गुहार लगाते-लगाते थक चुका है.
  • सरकार से परिवार की नागरिकता खत्म करने की मांग कर रहा है.

यह भी पढ़ें: बिहार के छपरा में ट्रेन के आगे मौत का LIVE स्टंट

मुख्यमंत्री से 2017 में चार बार मिल चुका हूं, उनका का कहना था कि 2 महीने में मुझे नौकरी मिल जाएगी,लेकिन नौकरी नही मिली. मेरा परिवार चाहता है कि मुख्यमंत्री योगी जी मेरे परिवार से मिलें, मेरे परिवार की मानसिक प्रताणना को समझें और उसका निवारण करें.अगर ऐसा नहीं करते हैं तो मेरे परिवार को भारत राष्ट्र की नागरिता से ही निष्कासित कर दें.
-देवमणि पाठक, पीड़ित

सोनभद्र: आदिवासियों को न्याय दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सरकार को उनका हितैषी बता रहे हो, लेकिन 10 वर्षों से एक मृतक आरक्षी का बेटा नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक का चक्कर लगा चुका है. इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं की गई. थक-हारकर अब युवक ने सरकार से अपने परिवार की नागरिकता खत्म करने की मांग की है.

नौकरी के लिए भटक रहा मृतक आरक्षी का बेटा.

क्या है पूरा मामला

  • आरक्षी कौशल प्रसाद पाठक निवासी सेमरिया कला मिर्जापुर की तैनाती सोनभद्र पुलिस लाइन में थी.
  • किडनी खराब होने के कारण 23 नवम्बर 2010 को आरक्षी की मृत्यु हो गई थी.
  • उस समय कौशल प्रसाद पाठक के बच्चे छोटे थे.
  • मृतक आश्रित के लिए 21 दिसंबर 2011 को पाठक की पत्नी ने अपने पुत्र के लिए आवेदन किया था.
  • थोड़े दिनों बाद अवसाद में आकर कौशल पाठक की पत्नी की भी मृत्यु हो गई.
  • अब पुत्र देवमणि पाठक वर्तमान मुख्यमंत्री योगी के कार्यालय के कई बार चक्कर लगा चुका है.
  • 2017 में मुख्यमंत्री का कहना था कि 2 महीने में नौकरी मिल जाएगी, लेकिन नौकरी नहीं मिली.
  • अब मृतक आरक्षी का बेटा न्याय की गुहार लगाते-लगाते थक चुका है.
  • सरकार से परिवार की नागरिकता खत्म करने की मांग कर रहा है.

यह भी पढ़ें: बिहार के छपरा में ट्रेन के आगे मौत का LIVE स्टंट

मुख्यमंत्री से 2017 में चार बार मिल चुका हूं, उनका का कहना था कि 2 महीने में मुझे नौकरी मिल जाएगी,लेकिन नौकरी नही मिली. मेरा परिवार चाहता है कि मुख्यमंत्री योगी जी मेरे परिवार से मिलें, मेरे परिवार की मानसिक प्रताणना को समझें और उसका निवारण करें.अगर ऐसा नहीं करते हैं तो मेरे परिवार को भारत राष्ट्र की नागरिता से ही निष्कासित कर दें.
-देवमणि पाठक, पीड़ित

Intro:Anchor- आदिवासियों को न्याय दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सरकार को उनका हितैषी बता रहे हो, लेकिन सोनभद्र पुलिस की कार्य गुजारी का आलम यह है कि पिछले 10 वर्षों से एक मृतक आश्रित युवक कोटा से नौकरी की फाइल को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक का चक्कर लगा चुका है, लेकिन उसकी सुनवाई मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद नहीं हो सकी। जिससे विभागीय अधिकारियों व सियासतदारो का चक्कर लगाकर थक चुके युवक ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपने पूरे परिवार सहित भारत की नागरिकता खत्म करने की मांग किया है।


Body:Vo1- आरक्षी कौशल प्रसाद पाठक निवासी सेमरिया कला मिर्जापुर की तैनाती जनपद सोनभद्र हेडक्वाटर पुलिस लाइन में थी,जिनकी किडनी खराब होने के कारण 23 नवम्बर 2010 को मृत्यु हो गयी।उस समय कौशल प्रसाद पाठक के बच्चे छोटे थे। इसके बाद मृतक आश्रित के लिए 21 दिसंबर 2011 को पाठक जी की पत्नी ने अपने पुत्र के लिए आवेदन किया था,।जिसके बाद डीजीपी,डीआईजी रेंज मिर्जापुर,एडीजीपी वाराणसी,एसपी सोनभद्र,एसपी मिर्जापुर समेत मुख्यमंत्री के दरबार हर जगह शिकायत किया,लेकिन समस्या का कही से भी निदान नही मिला। जिसके बाद अवसाद में आकर पाठक जी की पत्नी की भी मृत्यु हो गयी।इसके बाद उनका पुत्र देवमणि पाठक वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय भी 150 बार चक्कर लगाने के बाद 2017 में मुख्यमंत्री का कहना था कि 2 महीने में नौकरी मिल जाएगी,लेकिन नौकरी नही मिली।यह बालक लगातार 1000 पन्नो का पत्राचार हर जगह किया है।अब न्याय की गुहार लगाते लगाते थक चुके परिवार भारत सरकार से देश की नागरिकता छोड़ने की मांग परिवार कर रहा है।


Conclusion:Vo2-मृतक आश्रित देवमणि पाठक ने बताया कि मेरे पिताजी आरक्षी कौशल प्रसाद पाठक निवासी सेमरिया कला, मिर्जापुर उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में थे,उनकी किडनी खराब होने के कारण उनकी मृत्यु 23 नवम्बर 2010 को हो गयी।इसके बाद मेरी मम्मी ने मृतक आश्रित में मेरे लिए 21 दिसंबर 2011 को आवेदन किया था,और मैं एक जुलाई 2013 को 18 वर्ष का हो गया।मेरे द्वारा मृतक आश्रित की सारी प्रक्रिया 10 जनवरी 2014 को कम्प्लीट हो गया था,लेकिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय सोनभद्र द्वारा मेरा फाइल पुलिस हेड क्वाटर पर फरवरी 2016 में पहुचाया गया।मृतक आश्रित में नौकरी पांच वर्ष के अंदर मिलती है।मेरा पांच वर्ष 23 नवम्बर 2010 से 23 नवम्बर 2015 तक के बीच मे था।इतना ही नही परिवार द्वारा एपी आफिस सोनभद्र में कई बार पत्राचार किया गया।सारी प्रक्रिया,दोबारा,तिबारा पूरा करवाया गया। आगे बताया कि मेरे परिवार द्वारा भारत के सभी प्रतिष्टित कार्यालय में सन 2014 से ही शिकायत करता चला आ रहा हु।जिसमे डीजीपी,डीआईजी रेंज मिर्जापुर,एडीजीपी वाराणसी,एसपी सोनभद्र,एसपी मिर्जापुर समेत हर जगह शिकायत किया,लेकिन समस्या का कहि से भी निदान नही मिला। इसके बाद वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय भी 150 बार जा चुका हूं,इसके पहले 2015 में अखिलेश यादव जी जब मुख्यमंत्री थे,वहां भी गए थे लेकिन हमारे परिवार का कही भी निवारण नही हुआ।मुख्यमंत्री से 2017 में चार बार मिल चुला हूँ, मुख्यमंत्री का कहना था कि 2 महीने में मुझे नौकरी मिल जाएगी,लेकिन नौकरी नही मिली। इसी मानसिक अवसाद में आकर मेरी मम्मी की मृत्यु हो गयी।क्योकि मेरा परिवार भारत राष्ट्र के किसी भी प्रतिष्ठित कार्यालय पर से अपना विश्वास खो चुका है।हम लोगो ने 1000 पन्नो का पत्राचार हर जगह किया है। मेरा परिवार चाहता है की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी मेरे परिवार से मिले,और मेरे परिवार की मानसिक प्रतारणा को समझ सके और उसका निवारण कर सके।अगर ऐसा नही होता तो मेरे परिवार को भारत राष्ट्र की नागरिता से ही निष्कासित कर दे।क्योकि आत्महत्या करने से कही उत्तम है राष्ट्र की नागरिकता ही छोड़ देना।मेरे परिवार द्वारा 2016 में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से भारत की नागरिकता छोड़ने की मांग कर चुका हूं। Byte-देवमणि पाठक(मृतक आश्रित की नौकरी के लिए डर-दर भटकता युवक) चन्द्रकान्त मिश्रा सोनभद्र मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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