सोनभद्रः खरीफ की फसल के दौरान कुछ सहकारी समिति के सचिवों और अन्य लोगों ने यूरिया की जमकर ब्लैक मार्केटिंग की. जिसके चलते बड़ी संख्या में किसानों को समय से यूरिया उपलब्ध नहीं हो पाई. इस मामले की जांच के लिए डीएम ने जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय के नेतृत्व में टीम का गठन किया है.
टीम ने जांच में पाया कि 6 सहकारी समिति के सचिव एवं दो थोक विक्रेताओं ने यूरिया क्रय करने वाले किसानों के नाम से अधिक मात्रा में यूरिया का अलॉटमेंट दिखाया. जबकि उन्हें कम मात्रा में यूरिया दिया गया. जनपद में 29 किसान ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें कागजों पर 3700 बोरी यूरिया दी गई है. लेकिन जांच में सामने आया कि उनके नाम पर दूसरों को यूरिया दिया गया है.
इस मामले में प्रेमचंद्र सचिव केकराही किसान सेवा सहकारी समिति पॉपी, प्रवीण सचिव केकराही किसान सेवा सहकारी समिति करमा, प्रदीप सचिव आरोली साधन सहकारी समिति, राहुल सचिव साधन सहकारी समिति हिंदूआरी, उमेश कुमार साधन सहकारी समिति तरावा, पूजा सचिव साधन सहकारी समिति दुरावल खुर्द और थोक विक्रेता अमरनाथ पटेल खाद भंडार नगवा व विकास कुमार कृषक सेवा केंद्र पलिया के विरुद्ध यूरिया की कालाबाजारी करने और वितरण में हेराफेरी करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है.
जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने बताया कि खरीफ मौसम में यूरिया का पीक समय चल रहा था. इस दौरान हम लोगों को भारत सरकार से सूची प्राप्त हुई. जिसमें सर्वाधिक यूरिया क्रय करने वाले कृषकों की उनके द्वारा क्रय की गई यूरिया के संबंध में जांच की गई. जांच में यह सामने आया कि जो सहकारी समिति के सचिव हैं, उनके द्वारा ई-पॉश मशीन पर कृषकों का अंगूठा लगवा दिया गया है और अधिक मात्रा में स्टॉक खरीदकर उनके नाम से कर दिया गया है, लेकिन उन्हें कम मात्रा में यूरिया बेची गई है. इसी जांच के क्रम में 6 सचिव सहित 2 उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध विभिन्न थानों में मुकदमा दर्ज कराया गया है.