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सीतापुर: मनरेगा की जांच में अफसरों की लापरवाही, डीएम के आदेश पर भी नहीं हुए अमल - सीतापुर मनरेगा की जांच

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मनरेगा की जांच हुई है. मनरेगा की कार्यों जांच में अफसरों की लापरवाही सामने आई है. अधिकांश अधिकारियों ने डीएम के आदेश का पालन नहीं किया.

मनरेगा की जांच में अफसरों की लापरवाही आई सामने.
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Published : Sep 7, 2019, 11:13 AM IST

सीतापुर: मनरेगा के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में कराए गए कार्यों की जांच में यहां के अफसर लापरवाही बरत रहे हैं. इक्का दुक्का जांच अधिकारियों को छोड़कर अधिकांश अधिकारियों ने न तो मौका मुआयना ही किया है और न ही अपनी जांच आख्या अभी सौंपी है. ऐसी स्थिति में इस योजना का सत्यापन कितना सटीक हो पायेगा यह कह पाना अभी मुश्किल है.

मनरेगा की जांच में अफसरों की लापरवाही आई सामने.

डीएम के आदेश का पालन-
पिछले वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत जिन ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा धन खर्च किया गया था. उसमें की पांच ग्राम पंचायतों को प्रत्येक विकास खण्ड को चयनित किया गया था. सीतापुर जिले में कुल 19 ब्लॉक है. इस प्रकार कुल 95 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम की जांच तय की गई. इसके लिए जिलाधिकारी ने 35 अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन अधिकांश अधिकारियों ने डीएम के आदेश का पालन ही नहीं किया. ये अफसर न तो फील्ड में गए और न ही जांच किया.

गांव में ही रोजगार देने के लिए योजना लागू-
केन्द्र सरकार ने गांवो से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए उन्हें गांव में ही रोजगार देने के लिए यह योजना लागू की थी. लेकिन यह योजना शुरुआती दौर में ही भ्रष्टाचार का निवाला बन गई. लिहाजा बाद में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई. उसी कड़ी में इस योजना के कार्यों का सत्यापन करने के लिए 35 अफसरों को नामित किया गया था. लेकिन यह अधिकारी फील्ड में जाने से कतरा रहे हैं और योजना के कार्यो का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- सीतापुर में सीएम के हाथों सम्मानित हुए प्राचार्य, कहा- अपनी गरिमा कायम रखें शिक्षक

सीतापुर: मनरेगा के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में कराए गए कार्यों की जांच में यहां के अफसर लापरवाही बरत रहे हैं. इक्का दुक्का जांच अधिकारियों को छोड़कर अधिकांश अधिकारियों ने न तो मौका मुआयना ही किया है और न ही अपनी जांच आख्या अभी सौंपी है. ऐसी स्थिति में इस योजना का सत्यापन कितना सटीक हो पायेगा यह कह पाना अभी मुश्किल है.

मनरेगा की जांच में अफसरों की लापरवाही आई सामने.

डीएम के आदेश का पालन-
पिछले वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत जिन ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा धन खर्च किया गया था. उसमें की पांच ग्राम पंचायतों को प्रत्येक विकास खण्ड को चयनित किया गया था. सीतापुर जिले में कुल 19 ब्लॉक है. इस प्रकार कुल 95 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम की जांच तय की गई. इसके लिए जिलाधिकारी ने 35 अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन अधिकांश अधिकारियों ने डीएम के आदेश का पालन ही नहीं किया. ये अफसर न तो फील्ड में गए और न ही जांच किया.

गांव में ही रोजगार देने के लिए योजना लागू-
केन्द्र सरकार ने गांवो से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए उन्हें गांव में ही रोजगार देने के लिए यह योजना लागू की थी. लेकिन यह योजना शुरुआती दौर में ही भ्रष्टाचार का निवाला बन गई. लिहाजा बाद में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई. उसी कड़ी में इस योजना के कार्यों का सत्यापन करने के लिए 35 अफसरों को नामित किया गया था. लेकिन यह अधिकारी फील्ड में जाने से कतरा रहे हैं और योजना के कार्यो का सत्यापन नहीं हो पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- सीतापुर में सीएम के हाथों सम्मानित हुए प्राचार्य, कहा- अपनी गरिमा कायम रखें शिक्षक

Intro:सीतापुर:मनरेगा के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में कराए गए कार्यों की जांच में यहां के अफसर लापरवाही बरत रहे हैं. इक्का दुक्का जांच अधिकारियों को छोड़कर अधिकांश अधिकारियों ने न तो मौका मुआयना ही किया है और न ही अपनी जांच आख्या अभी सौंपी है.ऐसी स्थिति में इस योजना का सत्यापन कितना सटीक हो पायेगा यह कह पाना अभी मुश्किल है.


Body:पिछले वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत जिन ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा धन खर्च किया गया था उसमें की पांच ग्राम पंचायतों को प्रत्येक विकास खण्ड को चयनित किया गया था. सीतापुर जिले में कुल 19 ब्लॉक है.इस प्रकार कुल 95 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम की जांच तय की गई. इसके लिए जिलाधिकारी ने 35 अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन अधिकांश अधिकारियों ने डीएम के आदेश का पालन ही किया.ये अफ़सर न तो फील्ड में गए और न ही जांच कर अपनी आख्या डीएम को प्रेषित की लिहाजा इस योजना की जमीनी हकीकत का अभी पता ही नही चल पाया है.


Conclusion:गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने गांवो से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए उन्हें गांव में ही रोजगार देने के लिए यह योजना लागू की थी लेकिन यह योजना शुरुआती दौर में ही भ्रष्टाचार का निवाला बन गई लिहाजा बाद में इस योजना के सफ़ल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई. उसी कड़ी में इस योजना के कार्यों का सत्यापन करने के लिए 35 अफसरों को नामित किया गया था लेकिन यह अधिकारी फील्ड में जाने से कतरा रहे हैं और योजना के कार्यो का सत्यापन नही हो पा रहा है.

बाइट-सुशील कुमार सिंह (उपायुक्त-मनरेगा)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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