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अफसरों और सरकार ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद ही बना दिया लकड़ी का पुल

ग्रामीणों ने बिना किसी सरकारी मदद के ही नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर अपने जीवन की राह आसान कर ली है. लोगों को अब तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए मात्र 7 किलोमीटर की दूरी तैय करनी पड़ती है.

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Published : Feb 22, 2019, 7:12 PM IST

सीतापुर: गोंदलामऊ क्षेत्र के बगुलापारा घाट पर पुल बनने की राह तक रहे ग्रामीणों को जब अधिकारी और जनप्रतिधियों से उम्मीद की आस टूट गई तो लोगों ने खुद ही लकड़ी का पुल बनाकर रास्ता सुगम कर लिया. इस पुल के बनने से पहले लोगों को तहसील मुख्यालय जाने के लिए 18 किमी का सफर तय करना पड़ता था.


सीतापुर जिले के बगुलापारा घाट पर ग्रामीणों ने कुछ दिन पूर्व ही आपसी सहयोग और श्रमदान से लकड़ी के पुल का निर्माण करके आपनी राह आसान कर ली. जिस पुल की बात हो रही है वह कुर्सी चांदपुर जाने वाले सम्पर्क मार्ग के निकट सराय नदी पर स्थित बगुलापारा घाट है. इस घाट पर पुल ना बनने से राहगीरों व वाहनों के लिए काफी मुसीबतों का समना करना पड़ता है. लोगों को तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए अब मात्र 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

ग्रामीणों ने खुद ही बना दिया लकड़ी का पुल

इस घाट पर पुल का निर्माण विकास खण्ड गोंदलामऊ क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों के लिए राहत भरा साबित हो रहा है. ग्रामीणों की मानें तो ऐसी समस्याएं नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय याद आती हैं और चुनाव जीतने के बाद कोई भी नेता या सांसद इस ओर ध्यान नहीं देता. लोगों ने कई अधिकारियों से इस समस्या से लिखित रूप में अवगत कराया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ.

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सीतापुर: गोंदलामऊ क्षेत्र के बगुलापारा घाट पर पुल बनने की राह तक रहे ग्रामीणों को जब अधिकारी और जनप्रतिधियों से उम्मीद की आस टूट गई तो लोगों ने खुद ही लकड़ी का पुल बनाकर रास्ता सुगम कर लिया. इस पुल के बनने से पहले लोगों को तहसील मुख्यालय जाने के लिए 18 किमी का सफर तय करना पड़ता था.


सीतापुर जिले के बगुलापारा घाट पर ग्रामीणों ने कुछ दिन पूर्व ही आपसी सहयोग और श्रमदान से लकड़ी के पुल का निर्माण करके आपनी राह आसान कर ली. जिस पुल की बात हो रही है वह कुर्सी चांदपुर जाने वाले सम्पर्क मार्ग के निकट सराय नदी पर स्थित बगुलापारा घाट है. इस घाट पर पुल ना बनने से राहगीरों व वाहनों के लिए काफी मुसीबतों का समना करना पड़ता है. लोगों को तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए अब मात्र 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

ग्रामीणों ने खुद ही बना दिया लकड़ी का पुल

इस घाट पर पुल का निर्माण विकास खण्ड गोंदलामऊ क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों के लिए राहत भरा साबित हो रहा है. ग्रामीणों की मानें तो ऐसी समस्याएं नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय याद आती हैं और चुनाव जीतने के बाद कोई भी नेता या सांसद इस ओर ध्यान नहीं देता. लोगों ने कई अधिकारियों से इस समस्या से लिखित रूप में अवगत कराया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ.

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Intro:सीतापुर। आजादी के बाद से विकास खण्ड गोंदलामऊ क्षेत्र के बगुलापारा घाट पर पुल बनने की राह तक रहे ग्रामीणों को जब अधिकारी व जनप्रतिधियों से उम्मीद की आश टुट गई तो लोगों ने मिलकर बल्ली बांस के सहारे लकडी का पुल बनाकर आने जाने का रास्ता सुगम कर लिया.इस क्षेत्र के आधा सैकडा गांव के लोगों को तहसील मुख्या सिधौली जाने के लिए कोनी घाट पुल व फिर बालजती पुल से 18 - 18 किलोमीटर का चक्कर काटना पडता था. अब इस लकडी के पुल बना लेने से लोगों को तहसील मुख्या पहुचने के लिए मात्र 7 किलोमीटर की दूरी तैय करनी पडती है. इस पुल से पैदल , साईकिल, मोटरसाईकिल सवार अब बडे सुगमता से नदी को पार कर जाते है.


Body:जिले के बगुलापारा घाट पर ग्रामीणों ने कुछ दिन पूर्व ही आपसी सहयोग व श्रमदान से लकडी के पुल का निर्माण कर के अपनी आपनी राह सुगम की है.जिस पुल बनने की बात हो रही है वह कुर्सी चांदपुर जाने वाले सम्पर्क के निकट सराय नदी पर स्थित बगुलापारा घाट है.इस घाट पर पुल ना बनने से राहगीरों व बाहनों के आने जाने के लिए काफी मुसीबतों का समना करना पडता है. इस घाट पर पुल के निर्माण से विकास खण्ड गोंदलामऊ क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों व समीप वर्ती जनपद हरदोई के लोगों को आने जाने के लिए भारी सुगमता हो सकती है.
लेकिन इस बुनियादी समस्या याद नेताओं को चुनाव के समय आती है फिर चुनाव जीतने बाद कोई भी विधायक य सांसद इस ओर आत ध्यान नही दिया है. वही लोगों ने कई अधिकारियों से इस समया से लिखित रूप से आवगत कराया गया. लेकिन कोई समाधान नही हुआ. लिहाजा क्षेत्रीय लोगों मिल कर इस लकडी कज पुल का निर्माण कर डाला.


बाईट:रामदेव यादव (ग्रामीण)
बाईट:महेश (ग्रामीण)
अंकित (छात्र)
बाईट :ए. आर. फारूकी (उपजिलाधिकारी सिधौली)


Conclusion:
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