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योगी सरकार में भी उपेक्षित है गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की तपोभूमि

यूपी के सीतापुर में स्थित नाथ संप्रदाय के गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि उपेक्षा की शिकार है. दरअसल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी नाथ संप्रदाय से ही आते हैं. इसलिए यहां के स्थानीय लोगों को इसके कायाकल्प होने की आशा है, लेकिन प्रशासन है कि लगातार सबको निराश ही कर रहा है.

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Published : Feb 20, 2020, 4:00 PM IST

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उपेक्षित है गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की तपोभूमि

सीतापुर: हिन्दू धार्मिक पंथ मे नाथ संप्रदाय का विशेष महत्व है. इस सम्प्रदाय की गोरक्षनाथ पीठ के गुरु गोरखनाथ के बारे में कमोवेश सभी लोग जानते हैं. इसी पीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, लेकिन आपको यह जानकार शायद आश्चर्य होगा कि गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने सीतापुर में नैमिषारण्य तीर्थ के पास तपस्या की थी और यह स्थान आज भी उपेक्षा का शिकार है.

उपेक्षित है गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की तपोभूमि.
नैमिषारण्य-मिश्रित तीर्थ की चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र के पास एक कस्बा मछरेहटा है.यहीं पर छोटा सा मंदिर और तालाब भी है.दूसरे मंदिर में माता फूलमती की प्रतिमा स्थापित है. यह स्थान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि के रूप में विख्यात है. जानकारों का कहना है कि यह नाथ सम्प्रदाय के हठयोग की साधना पर आधारित पंथ है.इस पंथ के गुरुओं को शिव का वंशज माना जाता है. गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ को हठयोगी माना जाता है. उन्होंने इसी स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की थी लेकिन उनके यहां से जाने के बाद इस तपस्थली पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्हीं के नाम पर इस कस्बे के नाम मछरेहटा रखा गया था.कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने इस स्थान का थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार कराया था, लेकिन फिर भी इस महत्वपूर्ण स्थान को अभी विकास की दरकार है.मंदिर के पुजारी जयराम दास ने बताया कि यह मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली रही है इसके कई प्रमाण यहां विद्यमान हैं.उन्होंने योगी सरकार में भी इस स्थान की उपेक्षा होने पर रोष व्यक्त किया.

नैमिषारण्य क्षेत्र के विलुप्त हो रहे तीर्थ एवं महत्वपूर्ण स्थानों के विकास के लिए संघर्षशील रवींद्र तिवारी ने बताया कि इस स्थान के संरक्षण और विकास के लिए उन्होंने न सिर्फ पुरातत्व विभाग और सरकार से अनुरोध किया है बल्कि गोरखनाथ मंदिर जाकर वहां भी इस बाबत पत्र देकर आग्रह किया है.

सूबे में नाथ सम्प्रदाय के गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है तब ऐसे में इस सम्प्रदाय से जुड़े धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास की अपेक्षाएं और बढ़ जाना स्वाभाविक है लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस तपोस्थली के विकास पर मौजूदा सरकार का अभी तक ध्यान नहीं गया है.जरूरत है सरकार इस तपोभूमि के विकास का खाका तैयार कर अतीत की स्मृतियों को संजोने का प्रयास करें ताकि इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

सीतापुर: हिन्दू धार्मिक पंथ मे नाथ संप्रदाय का विशेष महत्व है. इस सम्प्रदाय की गोरक्षनाथ पीठ के गुरु गोरखनाथ के बारे में कमोवेश सभी लोग जानते हैं. इसी पीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, लेकिन आपको यह जानकार शायद आश्चर्य होगा कि गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने सीतापुर में नैमिषारण्य तीर्थ के पास तपस्या की थी और यह स्थान आज भी उपेक्षा का शिकार है.

उपेक्षित है गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की तपोभूमि.
नैमिषारण्य-मिश्रित तीर्थ की चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र के पास एक कस्बा मछरेहटा है.यहीं पर छोटा सा मंदिर और तालाब भी है.दूसरे मंदिर में माता फूलमती की प्रतिमा स्थापित है. यह स्थान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि के रूप में विख्यात है. जानकारों का कहना है कि यह नाथ सम्प्रदाय के हठयोग की साधना पर आधारित पंथ है.इस पंथ के गुरुओं को शिव का वंशज माना जाता है. गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ को हठयोगी माना जाता है. उन्होंने इसी स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की थी लेकिन उनके यहां से जाने के बाद इस तपस्थली पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्हीं के नाम पर इस कस्बे के नाम मछरेहटा रखा गया था.कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने इस स्थान का थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार कराया था, लेकिन फिर भी इस महत्वपूर्ण स्थान को अभी विकास की दरकार है.मंदिर के पुजारी जयराम दास ने बताया कि यह मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली रही है इसके कई प्रमाण यहां विद्यमान हैं.उन्होंने योगी सरकार में भी इस स्थान की उपेक्षा होने पर रोष व्यक्त किया.

नैमिषारण्य क्षेत्र के विलुप्त हो रहे तीर्थ एवं महत्वपूर्ण स्थानों के विकास के लिए संघर्षशील रवींद्र तिवारी ने बताया कि इस स्थान के संरक्षण और विकास के लिए उन्होंने न सिर्फ पुरातत्व विभाग और सरकार से अनुरोध किया है बल्कि गोरखनाथ मंदिर जाकर वहां भी इस बाबत पत्र देकर आग्रह किया है.

सूबे में नाथ सम्प्रदाय के गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है तब ऐसे में इस सम्प्रदाय से जुड़े धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास की अपेक्षाएं और बढ़ जाना स्वाभाविक है लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस तपोस्थली के विकास पर मौजूदा सरकार का अभी तक ध्यान नहीं गया है.जरूरत है सरकार इस तपोभूमि के विकास का खाका तैयार कर अतीत की स्मृतियों को संजोने का प्रयास करें ताकि इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

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