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सीतापुर: धान की नमी बन रही क्रय केंद्रों पर खरीद में रोड़ा - धान की खरीद

यूपी के सीतापुर में धान में नमी का कारण बताकर किसानों को क्रय केंद्रों से वापस लौटाया जा रहा है. इसके चलते किसान आढ़तियों को औने-पौने दामों में अपना धान बेचने को मजबूर हैं.

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धान खरीद में केन्द्र प्रभारियों पर मनमानी का आरोप.
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Published : Oct 9, 2020, 10:07 PM IST

सीतापुर: सरकार ने एक अक्टूबर से क्रय केंद्रों का संचालन शुरू करते हुए धान खरीद शुरू कर दी है, लेकिन किसानों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. धान में नमी का कारण बताकर किसानों को क्रय केंद्रों से वापस लौटाया जा रहा है. इसके चलते वे आढ़तियों को औने-पौने दामों में अपना धान बेचने को मजबूर हैं. राष्ट्रीय किसान मंच ने किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुए किसानों का धान घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने की मांग की है. वहीं अपर जिलाधिकारी ने 17 फीसदी से अधिक नमी वाले धान को ही केंद्र से वापस लौटाये जाने की बात कही है.

जिला प्रशासन ने इस बार धान खरीद के लिए विभिन्न क्रय एजेंसियों के कुल 99 क्रय केंद्रों को मंजूरी दी है, जबकि गत वर्ष इनकी संख्या सिर्फ 81 थी. जिला खरीद अधिकारी विनय कुमार पाठक के मुताबिक एक अक्टूबर से शुरू हुई धान खरीद में अब तक 212 मीट्रिक टन धान की ही खरीद की गई है और 17 फीसदी तक के नमी वाले धान की समर्थन मूल्य पर खरीद करके इससे अधिक की नमी वाले धान को वापस लौटाया जा रहा है.

वहीं इसके विपरीत राष्ट्रीय किसान मंच के प्रवक्ता वेद प्रकाश मिश्रा का आरोप है कि धान खरीद में केन्द्र प्रभारियों द्वारा मनमानी की जा रही है. अधिक नमी बताकर केंद्र प्रभारी जो धान क्रय केंद्रों से वापस कर रहे हैं, उन्हें आढ़तियों द्वारा 12 सौ से 13 सौ के बीच किसानों से खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

गल्ला मंडी स्थित क्रय केंद्रों पर अपना धान बेचने आये किसान अमृत पाल सिंह ने कहा कि मौजूदा सीजन में धान में नमी के कारण उन्हें धान बेचने में दिक्कत हो रही है. इसके अलावा क्रय केंद्रों पर कोरोनाकाल में भारी भीड़ भी लगी हुई है. इसके लिए ऑनलाइन टोकन सिस्टम लागू किया जाना चाहिए, ताकि किसान को धान बेचने में समस्या का सामना न करना पड़े. किसान शमशेर सिंह ने बताया कि दो दिन पहले धान में नमी के कारण किसानों का गेंहू वापस लौटाये जाने पर विवाद भी हुआ था. इसके बाद अधिकारियों ने आकर मामला शांत कराया था. उन्होंने भी किसानों की समस्या के समाधान की मांग की है.

सीतापुर: सरकार ने एक अक्टूबर से क्रय केंद्रों का संचालन शुरू करते हुए धान खरीद शुरू कर दी है, लेकिन किसानों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. धान में नमी का कारण बताकर किसानों को क्रय केंद्रों से वापस लौटाया जा रहा है. इसके चलते वे आढ़तियों को औने-पौने दामों में अपना धान बेचने को मजबूर हैं. राष्ट्रीय किसान मंच ने किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुए किसानों का धान घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने की मांग की है. वहीं अपर जिलाधिकारी ने 17 फीसदी से अधिक नमी वाले धान को ही केंद्र से वापस लौटाये जाने की बात कही है.

जिला प्रशासन ने इस बार धान खरीद के लिए विभिन्न क्रय एजेंसियों के कुल 99 क्रय केंद्रों को मंजूरी दी है, जबकि गत वर्ष इनकी संख्या सिर्फ 81 थी. जिला खरीद अधिकारी विनय कुमार पाठक के मुताबिक एक अक्टूबर से शुरू हुई धान खरीद में अब तक 212 मीट्रिक टन धान की ही खरीद की गई है और 17 फीसदी तक के नमी वाले धान की समर्थन मूल्य पर खरीद करके इससे अधिक की नमी वाले धान को वापस लौटाया जा रहा है.

वहीं इसके विपरीत राष्ट्रीय किसान मंच के प्रवक्ता वेद प्रकाश मिश्रा का आरोप है कि धान खरीद में केन्द्र प्रभारियों द्वारा मनमानी की जा रही है. अधिक नमी बताकर केंद्र प्रभारी जो धान क्रय केंद्रों से वापस कर रहे हैं, उन्हें आढ़तियों द्वारा 12 सौ से 13 सौ के बीच किसानों से खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

गल्ला मंडी स्थित क्रय केंद्रों पर अपना धान बेचने आये किसान अमृत पाल सिंह ने कहा कि मौजूदा सीजन में धान में नमी के कारण उन्हें धान बेचने में दिक्कत हो रही है. इसके अलावा क्रय केंद्रों पर कोरोनाकाल में भारी भीड़ भी लगी हुई है. इसके लिए ऑनलाइन टोकन सिस्टम लागू किया जाना चाहिए, ताकि किसान को धान बेचने में समस्या का सामना न करना पड़े. किसान शमशेर सिंह ने बताया कि दो दिन पहले धान में नमी के कारण किसानों का गेंहू वापस लौटाये जाने पर विवाद भी हुआ था. इसके बाद अधिकारियों ने आकर मामला शांत कराया था. उन्होंने भी किसानों की समस्या के समाधान की मांग की है.

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