सीतापुर: जनपद ने गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है. यहां किसानों को 73 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है. भुगतान के मामले में जहां निजी क्षेत्र की चीनी मिलें आगे आ रही हैं, वहीं सहकारी क्षेत्र की एकमात्र चीनी मिल सबसे फिसड्डी साबित हुई है. यह चीनी मिल अब तक सिर्फ 57 फीसदी भुगतान ही कर सकी है.
जनपद में कुल पांच चीनी मिलें हैं. इसमें सेक्सरिया शुगर फैक्ट्री बिसवां, अवध शुगर मिल हरगांव, डालमियां शुगर यूनिट रामगढ़, डालमियां शुगर यूनिट जवाहरपुर और दि किसान सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद शामिल हैं. गन्ना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार इन चीनी मिलों ने कुल 5 करोड़ 80 लाख 53,000 क्विंटल गन्ने की पेराई की है. इसका 1863.18 करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया जाना था. जिसके सापेक्ष 1361.39 करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों द्वारा किया जा चुका है. सारी चीनी मिलों को मिलाकर करीब 73 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान अब तक किसानों को किया जा चुका है.
सीतापुर को गन्ना बेल्ट के रूप में जाना जाता है. नकदी फसल यानि कि कैश क्रॉप होने के कारण किसान इसकी पैदावार को ज्यादा मुफीद मानते हैं. लिहाजा गन्ने की फसल इस जिले की मुख्य फसल बन गई है और इसकी पेराई से लेकर भुगतान तक इस जिले में किसानों की अर्थव्यवस्था का आधार होता है.
गन्ना मूल्य भुगतान में सीतापुर का प्रदेश में दूसरा स्थान - Sitapur update news
73 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान करने के साथ ही सीतापुर जिले ने प्रदेश में गन्ना भुगतान करने के मामले में दूसरा स्थान हासिल किया है.
सीतापुर: जनपद ने गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है. यहां किसानों को 73 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है. भुगतान के मामले में जहां निजी क्षेत्र की चीनी मिलें आगे आ रही हैं, वहीं सहकारी क्षेत्र की एकमात्र चीनी मिल सबसे फिसड्डी साबित हुई है. यह चीनी मिल अब तक सिर्फ 57 फीसदी भुगतान ही कर सकी है.
जनपद में कुल पांच चीनी मिलें हैं. इसमें सेक्सरिया शुगर फैक्ट्री बिसवां, अवध शुगर मिल हरगांव, डालमियां शुगर यूनिट रामगढ़, डालमियां शुगर यूनिट जवाहरपुर और दि किसान सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद शामिल हैं. गन्ना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार इन चीनी मिलों ने कुल 5 करोड़ 80 लाख 53,000 क्विंटल गन्ने की पेराई की है. इसका 1863.18 करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया जाना था. जिसके सापेक्ष 1361.39 करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों द्वारा किया जा चुका है. सारी चीनी मिलों को मिलाकर करीब 73 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान अब तक किसानों को किया जा चुका है.
सीतापुर को गन्ना बेल्ट के रूप में जाना जाता है. नकदी फसल यानि कि कैश क्रॉप होने के कारण किसान इसकी पैदावार को ज्यादा मुफीद मानते हैं. लिहाजा गन्ने की फसल इस जिले की मुख्य फसल बन गई है और इसकी पेराई से लेकर भुगतान तक इस जिले में किसानों की अर्थव्यवस्था का आधार होता है.