सीतापुर : सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. यहां के सरकारी अस्पतालों में न तो आईसीयू की सुविधा है और न ही वेंटिलेटर की व्यवस्था. ऐसे में इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को सीधे लखनऊ जाने पर मजबूर होना पड़ता है. इतना ही नहीं यहां डॉक्टरों की भी बेहद कमी है, जिसकी वजह से न तो मरीजों का उचित परीक्षण हो पाता है और न सही इलाज.
जिला मुख्यालय में मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ एक ही जिला अस्पताल है. गांव से लेकर शहर तक के मरीजों का सिर्फ यही एक सहारा है, लेकिन अफसोस की बात है कि यह अस्पताल खुद बेसहारा है. जिला अस्पताल में अभी तक आईसीयू की व्यवस्था नहीं है, लिहाजा वेंटिलेटर का भी कोई इंतजाम नहीं है. ऐसा तब है जब रोजाना अस्पताल में करीब ढाई हजार मरीज ओपीडी में देखे जाते हैं और औसतन 100 के आसपास मरीज इमरजेंसी में रोजाना दाखिल होते हैं.
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि सिर्फ पीडियाट्रिक वार्ड में वेंटिलेटर की व्यवस्था है. इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसी प्रकार अस्पताल में डॉक्टरों के जितने पद सृजित हैं, उसके मुताबिक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में डॉक्टरों के कुल 38 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 24 डॉक्टर ही मौजूदा समय में कार्यरत हैं. यानी कि 14 डॉक्टरों के पद खाली है. इसी प्रकार अन्य मेडिकल स्टाफ के पदों पर भी कर्मचारियों की कमी है.