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न आईसीयू, न वेंटिलेटर, भगवान भरोसे चल रहा सीतापुर का जिला अस्पताल

सीतापुर के जिला अस्पताल में मरीज भगवान भरोसे ही इलाज कराने आते हैं. इस अस्पताल में न तो आईसीयू की सुविधा है और न वेंटिलेटर की. ऐसे में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को सीधा लखनऊ भेजना पड़ता है.

अस्पताल में नहीं हैं जरूरी उपकरण
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Published : Feb 26, 2019, 2:38 PM IST

सीतापुर : सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. यहां के सरकारी अस्पतालों में न तो आईसीयू की सुविधा है और न ही वेंटिलेटर की व्यवस्था. ऐसे में इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को सीधे लखनऊ जाने पर मजबूर होना पड़ता है. इतना ही नहीं यहां डॉक्टरों की भी बेहद कमी है, जिसकी वजह से न तो मरीजों का उचित परीक्षण हो पाता है और न सही इलाज.

अस्पताल में नहीं हैं जरूरी उपकरण

जिला मुख्यालय में मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ एक ही जिला अस्पताल है. गांव से लेकर शहर तक के मरीजों का सिर्फ यही एक सहारा है, लेकिन अफसोस की बात है कि यह अस्पताल खुद बेसहारा है. जिला अस्पताल में अभी तक आईसीयू की व्यवस्था नहीं है, लिहाजा वेंटिलेटर का भी कोई इंतजाम नहीं है. ऐसा तब है जब रोजाना अस्पताल में करीब ढाई हजार मरीज ओपीडी में देखे जाते हैं और औसतन 100 के आसपास मरीज इमरजेंसी में रोजाना दाखिल होते हैं.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि सिर्फ पीडियाट्रिक वार्ड में वेंटिलेटर की व्यवस्था है. इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसी प्रकार अस्पताल में डॉक्टरों के जितने पद सृजित हैं, उसके मुताबिक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में डॉक्टरों के कुल 38 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 24 डॉक्टर ही मौजूदा समय में कार्यरत हैं. यानी कि 14 डॉक्टरों के पद खाली है. इसी प्रकार अन्य मेडिकल स्टाफ के पदों पर भी कर्मचारियों की कमी है.

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सीतापुर : सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. यहां के सरकारी अस्पतालों में न तो आईसीयू की सुविधा है और न ही वेंटिलेटर की व्यवस्था. ऐसे में इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को सीधे लखनऊ जाने पर मजबूर होना पड़ता है. इतना ही नहीं यहां डॉक्टरों की भी बेहद कमी है, जिसकी वजह से न तो मरीजों का उचित परीक्षण हो पाता है और न सही इलाज.

अस्पताल में नहीं हैं जरूरी उपकरण

जिला मुख्यालय में मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ एक ही जिला अस्पताल है. गांव से लेकर शहर तक के मरीजों का सिर्फ यही एक सहारा है, लेकिन अफसोस की बात है कि यह अस्पताल खुद बेसहारा है. जिला अस्पताल में अभी तक आईसीयू की व्यवस्था नहीं है, लिहाजा वेंटिलेटर का भी कोई इंतजाम नहीं है. ऐसा तब है जब रोजाना अस्पताल में करीब ढाई हजार मरीज ओपीडी में देखे जाते हैं और औसतन 100 के आसपास मरीज इमरजेंसी में रोजाना दाखिल होते हैं.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि सिर्फ पीडियाट्रिक वार्ड में वेंटिलेटर की व्यवस्था है. इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसी प्रकार अस्पताल में डॉक्टरों के जितने पद सृजित हैं, उसके मुताबिक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में डॉक्टरों के कुल 38 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 24 डॉक्टर ही मौजूदा समय में कार्यरत हैं. यानी कि 14 डॉक्टरों के पद खाली है. इसी प्रकार अन्य मेडिकल स्टाफ के पदों पर भी कर्मचारियों की कमी है.

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Intro:सीतापुर:सरकार भले ही मरीज़ों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही हो लेकिन सीतापुर में सरकार का यह दावा पूरी तरह से हवा- हवाई साबित हो रहा है, यहां के सरकारी अस्पतालों में न तो आईसीयू की सुविधा है और न ही वेंटिलेटर की व्यवस्था है,ऐसे आपातकाल में आने वाले गंभीर मरीज़ों को यहां इलाज़ से ज्यादा भगवान भरोसे ही रहना पड़ता है या फिर उन्हें समुचित इलाज़ के लिए लखनऊ जाने पर मजबूर होना पड़ता है. केवल इतना ही नहीं यहां डॉक्टरों की भी बेहद कमी है जिसकी वजह से न तो मरीज़ों का उचित परीक्षण ही हो पाता है औऱ न ही समुचित इलाज़.

वीओ-जिला मुख्यालय पर मरीज़ों के इलाज के लिए सिर्फ एक ही जिला चिकित्सालय है.गांव से लेकर शहर के मरीज़ों का सिर्फ यही एकमात्र सहारा है,लेकिन अफसोस की बात यह कि यह अस्पताल खुद बेसहारा है,यहां डॉक्टरों की कमी तो है ही,संसाधनों का भी अभाव है. जिला अस्पताल में अभी तक आईसीयू की व्यवस्था नही है लिहाजा वेंटिलेटर का भी कोई इंतजाम नहीं है,वह भी तब,जब रोजाना करीब ढाई हजार मरीज़ ओपीडी में देखे जाते हैं और औसतन 100 के आसपास मरीज़ इमरजेंसी में रोजाना दाखिल होते हैं. जिला अस्पताल के सीएमएस से जब हमने इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सिर्फ पीडियाट्रिक वार्ड में वेंटिलेटर की व्यवस्था है इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है,इसी प्रकार अस्पताल में डॉक्टरों के जितने पद सृजित है उसके मुताबिक डॉक्टरों की नियुक्ति नही है मतलब यह कि डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं.

बाइट-डॉ ए.के.अग्रवाल (सीएमएस)

वीओ-उपलब्ध जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में डॉक्टरों के कुल 38 पद स्वीकृत है जबकि इसके विपरीत सिर्फ 24 डॉक्टर ही मौजूदा समय में कार्यरत हैं,यानी कि 14 डॉक्टरों के पद खाली है,इसी प्रकार अन्य मेडिकल स्टाफ के पदों पर भी कर्मचारियों की कमी है,ऐसे में इस अस्पताल में आम जनता को किस तरह की सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध हो पाती होगी आप स्वयं ही इसका अनुमान लगा सकते हैं.

पीटीसी-नीरज श्रीवास्तव

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887


Body:डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के खाली पड़े हैं पद


Conclusion:
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