सीतापुर: पीलीभीत से लखनऊ वापस जाते समय गुरुवार को प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सीतापुर में रुके. वहां पत्रकारों से वार्ता के दौरान शिवपाल सिंह ने भाजपा पर हमला बोला. साथ ही उन्होंने कहा कि 2022 में सेक्युलर विचार वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा को हटाएंगे. भाजपा सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरी. उसके आने के बाद महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी की बाढ़ प्रदेश में आ गई है.
किया गया स्वागत
गुरुवार देर शाम पीलीभीत से लखनऊ वापस लौटते समय प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह का उनके पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिले के सिंधौली कस्बे के महमूदाबाद चौराहे पर स्वागत किया. इस दौरान वह कस्बा स्थित पूर्व मंत्री श्याम लाल रावत के फॉर्महाउस पर पहुंचे. वहां उन्होंने मीडिया से बातचीत की.
बनाया बेरोजगार
उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने दो करोड़ लोगों को नौकरी देने की बात कही थी लेकिन नौकरी तो नहीं मिली बल्कि बेरोजगारी बढ़ी. नोटबंदी से पूरी देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई. सरकार की लापरवाही से कोरोना काल में जितने मरीज कोरोना से मरे हैं, उससे अधिक मरीज इलाज के अभाव में सरकारी अस्पतालों में मर गए.
कृषि कानून है किसान विरोधी
कृषि कानून पर शिवपाल सिंह ने कहा कि यह कानून, किसान विरोधी कानून है. इसके बनने से पूरे देश के किसान सड़कों पर हैं. सरकार किसानों पर ध्यान नहीं दे रही. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता पूरे देश में गांव-गांव व घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं.
समान विचारधारा वालों से गठबंधन
आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाली पार्टियों जैसे चौधरी चरण सिंह विचारधारा, लोहिया विचारधारा ,गांधीवादी विचारधारा व सेक्युलर विचारों वाले छोटे व बड़े दलों के साथ मिलकर के चुनाव लड़ेगी.
किसानों की आय रह गई आधी से कम
बीजेपी सरकार अपने किए गए वादे नहीं निभा सकी और किसानों की आय दोगुनी करने के वादे के विपरीत किसानों की आय आधी भी नहीं रह गई. उन्होंने कहा गेंहू, धान, यूरिया, डीजल, पेट्रोल व बिजली आदि की कीमतों में बीते 6 वर्षों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोत्तरी हुई है. किसानों को उनकी लागत का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि धान क्रय केंद्रों पर किसानों को धान बेचने में कितनी परेशानी होती है, यह किसी भी केंद्र पर जाकर देखा जा सकता है. किसान हफ्तों खड़ा रहता है लेकिन उसकी फसल की तौल नहीं हो पाती. इससे किसान अपनी फसल आधी कीमत में बेचने को मजबूर हो जाता है.