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सीतापुर: साठ हजार मन पत्थर से बना था यह मंदिर, आस्था और आकर्षण का है केन्द्र - उत्तर प्रदेश समाचार

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के बिसवां में एक शिव मंदिर है, जो लोगों के बीच आस्था और आकर्षण का केन्द्र है. बडी संख्या में लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं.

आकर्षण का केन्द्र है यह मंदिर.
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Published : Nov 19, 2019, 10:01 AM IST

सीतापुर: जिले में भगवान शिव के कई आराधना स्थल हैं और सबका अपना-अपना महत्व है, लेकिन आज हम जिस पत्थर शिवालय के नाम से विख्यात शिव मंदिर की बात कर रहे हैं. वह अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है. यह मंदिर साठ मन पत्थर से तैयार किया गया था. इसका सफेद पत्थर का शिवलिंग और काले पत्थर के नंदी महाराज लोगों के बीच आकर्षण और आस्था का केन्द्र है. बडी संख्या में लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं.

आकर्षण का केन्द्र है यह मंदिर.

आकर्षण का केन्द्र है यह मंदिर

  • जिले का बिसवां कस्बा व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र माना जाता है.
  • इसी कस्बे में मुख्य चौराहे के पास एक शिव मंदिर है, जिसे लोग पत्थर शिवाला के नाम से जानते हैं.
  • यह मंदिर यहां की प्रमुख पहचान है.
  • जानकारों का कहना है कि रामपुर कलां स्टेट के राजा विशम्भर नाथ सिंह के स्वप्न में मंदिर बनवाने का आदेश हुआ था.
  • इसके बाद 1914 में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था.
  • इस मंदिर के लिए 60 हजार मन पत्थर बाहर से मंगवाये गये थे और सफेद पत्थर के अलावा काले पत्थर के नन्दी बाबा भी बाहर से ही मंगवाए गए हैं.
  • प्रयागराज में तराशे गए पत्थरों को इस मंदिर में लगाया गया था.
  • राजस्थान से बुलाये गए डेढ़ सौ पंडितों के मंत्रोच्चारण से इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.
  • यहां पर महामृत्युंजय जाप का विशेष फल माना जाता है, जिसके चलते बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां आकर पूजा अर्चना और अपनी मनौतियां मांगते हैं.
  • यह पत्थर शिवाला अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और विशेष प्रकार के शिवलिंग के कारण लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

सीतापुर: जिले में भगवान शिव के कई आराधना स्थल हैं और सबका अपना-अपना महत्व है, लेकिन आज हम जिस पत्थर शिवालय के नाम से विख्यात शिव मंदिर की बात कर रहे हैं. वह अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है. यह मंदिर साठ मन पत्थर से तैयार किया गया था. इसका सफेद पत्थर का शिवलिंग और काले पत्थर के नंदी महाराज लोगों के बीच आकर्षण और आस्था का केन्द्र है. बडी संख्या में लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां आते हैं.

आकर्षण का केन्द्र है यह मंदिर.

आकर्षण का केन्द्र है यह मंदिर

  • जिले का बिसवां कस्बा व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र माना जाता है.
  • इसी कस्बे में मुख्य चौराहे के पास एक शिव मंदिर है, जिसे लोग पत्थर शिवाला के नाम से जानते हैं.
  • यह मंदिर यहां की प्रमुख पहचान है.
  • जानकारों का कहना है कि रामपुर कलां स्टेट के राजा विशम्भर नाथ सिंह के स्वप्न में मंदिर बनवाने का आदेश हुआ था.
  • इसके बाद 1914 में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था.
  • इस मंदिर के लिए 60 हजार मन पत्थर बाहर से मंगवाये गये थे और सफेद पत्थर के अलावा काले पत्थर के नन्दी बाबा भी बाहर से ही मंगवाए गए हैं.
  • प्रयागराज में तराशे गए पत्थरों को इस मंदिर में लगाया गया था.
  • राजस्थान से बुलाये गए डेढ़ सौ पंडितों के मंत्रोच्चारण से इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.
  • यहां पर महामृत्युंजय जाप का विशेष फल माना जाता है, जिसके चलते बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां आकर पूजा अर्चना और अपनी मनौतियां मांगते हैं.
  • यह पत्थर शिवाला अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और विशेष प्रकार के शिवलिंग के कारण लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.
Intro:सीतापुर: जिले में भगवान शिव के कई आराधना स्थल है और सबका अपना अपना महत्व है. लेकिन आज हम जिस पत्थर शिवालय के नाम से विख्यात शिव मंदिर की बात कर रहे हैं वह अपनी कई विशेषताओ के लिए जाना जाता है. यह मंदिर साठ मन पत्थर से तैयार किया गया था. इसका सफ़ेद पत्थर का शिवलिंग और काले पत्थर के नंदी महाराज लोगों के बीच आकर्षण और आस्था का केन्द्र है.बडी संख्या में लोग अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति के लिए यहां आते हैं.


Body:जिले का बिसवां कस्बा व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र माना जाता है. इसी कस्बे में मुख्य चौराहे के पास एक शिव मंदिर है जिसे लोग पत्थर शिवाला के नाम से जानते हैं.यह मंदिर यहां की प्रमुख पहचान है.जानकारों का कहना है कि रामपुर कलां स्टेट के राजा विशम्भर नाथ सिंह के स्वप्न में मंदिर बनवाने का आदेश हुआ था जिसके बाद 1914 में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर के लिए 60 हज़ार मन पत्थर बाहर से मंगवाया गया था और सफेद पत्थर के अलावा काले पत्थर के नन्दी बाबा भी.प्रयागराज में तराशे गए पत्थरों को इस मंदिर में लगाया गया था. राजस्थान से बुलाये गए डेढ़ सौ पंडितों के मंत्रोच्चारण से इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.यहां पर महामृत्युंजय जाप का विशेष फल माना जाता है जिसके चलते बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां आकर पूजा अर्चना और अपनी मनौतियां मांगते हैं. यह पत्थर शिवाला अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और विशेष प्रकार के शिवलिंग के कारण लोगो की आस्था का केन्द्र बना हुआ है.






Conclusion:बाइट-अरुण प्रकाश श्रीवास्तव (स्थानीय निवासी)
बाइट-रामगोपाल अवस्थी (मंदिर पुजारी)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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