सीतापुर : शहर में पेयजल व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के उद्देश्य से 'अमृत योजना' लागू की गई, लेकिन शुरू होने के पहले ही ये योजना शहर के सौंदर्य में विष घोल रही है. इस योजना के तहत पाइप लाइन के लिए सड़कें खोदी जा रही हैं, जिससे पूरा शहर नर्क में तब्दील हो गया है. सड़कों पर गड्ढों से निकल रही मिट्टी और उसके गर्दोगुबार से लोंगो का सांस लेना मुश्किल हो रहा है.
सीतापुर शहर वासियों को घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने अमृत योजना लागू की थी. इस योजना पर पहले चरण में 3154.60 लाख और दूसरे चरण में 3589.08 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हुई. योजना पर करीब दो वर्ष पहले काम भी शुरू हो गया था, लेकिन सुस्त रफ्तार के कारण अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है.
जल निगम के अधिशासी अभियंता ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 28 नलकूपों को संचालित किया जाना है, जिसमें अधिकांश नये और कुछ रिबोर किये जाने हैं. छह ओवरहेड टैंक का निर्माण होगा, जिनमें से पांच पर कार्य चल रहा है. इसके अलावा करीब 128 किलोमीटर पाइप लाइन डाली जानी है. इसमें 80 किलोमीटर पाइप लाइन डाली जा चुकी है.
उन्होंने बताया कि 2015 में इस योजना का प्रस्ताव भेजा गया था. केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद 2016 में इसकी डीपीआर भेजी गई. वित्तीय वर्ष 2017-18 में धन अवमुक्त किया गया और तबसे इस योजना का कार्य चल रहा है. उन्होंने जुलाई 2021 तक इस योजना के पूरा होने का आश्वासन दिया है.
पूरे शहर में पाइप लाइन बिछी होने से गंदगी फैली हुई है. जमीन की खुदाई के चलते धूल मिट्टी से अब लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. स्थानीय निवासी जितेंद्र ने बताया कि जबसे अमृत योजना का कार्य शहर में शुरू हुआ है, तबसे पूरा शहर नर्क में तब्दील हो गया है. जगह-जगह सड़कें खुदी पड़ी हैं, मिट्टी के ढेर सड़क पर लगे हुए हैंं.
सभासद धीरज पाण्डेय ने बताया कि पाइप लाइन डालने का कार्य काफी सुस्त रफ्तार से हो रहा है. सड़कें खोदकर डाल दी जाती है और फिर कई दिनों तक उस पर कोई काम नहीं किया जाता है. इस वजह से स्थानीय लोगों और दुकानदारों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.