सीतापुर: जिला मुख्यालय पर एकमात्र जिला चिकित्सालय ही है, जहां पर मरीजों के लिए ओपीडी का संचालन किया जाता है. आमतौर पर यहां करीब चार हजार मरीजों की औसत ओपीडी होती थी, जो वर्तमान समय में करीब दो हजार के आसपास ही है. ओपीडी में मरीजों की संख्या घटकर आधी हो गई है.
बाह्य रोगी कक्ष में जहां कोरोना काल से पहले मरीजों के खड़े होने की जगह नहीं होती थी, वहां इन दिनों आराम से जाया जा सकता है. वहीं इसके विपरीत कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण कोविड अस्पताल और वार्ड मरीजों से भरे पड़े हैं. जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि कोविड का संक्रमण बढ़ने के साथ ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या तेजी से घटी है.
डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर लोग घरों में ही रहकर बाहर के माहौल और खानपान से परहेज कर रहे हैं. इसलिए डायरिया, पेट और गैस्ट्रिक संबंधी बीमारियां कम हो रही हैं. इसके साथ ही संक्रामक बीमारियों में भी कमी आयी है, जिसके चलते जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में काफी गिरावट आई है.
सीएमएस ने यह भी बताया कि कोविड 19 के प्रकोप से जिला अस्पताल का स्टाफ भी अछूता नहीं रहा है. यहां के स्टाफ के कई डॉक्टर और स्टाफ नर्स तमाम बचाव करने के बावजूद कोरोना से संक्रमित हुए और उपचार के बाद ठीक भी हुए. उन्होंने बताया कि मरीजों के उपचार में मेडिकल स्टाफ को कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जाता है.
इस दौरान जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों से भी बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण उन लोगों के उपचार पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है. कोरोना के मरीजों के इलाज पर तो ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन दूसरी बीमारियों के मरीजों के उपचार को गंभीरता से नहीं लिया जाता है.
पहली बात तो यह कि दुर्घटना के अलावा बाकी मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जाता है और जिन्हें गंभीर स्थिति के कारण भर्ती भी कर लिया जाता है उन्हें खास तवज्जो नहीं दी जाती है. ऐसे में मरीज और तीमारदार खुद ही जल्दी छुट्टी कराकर अस्पताल से विदा ले लेते हैं.