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सीतापुर: कोरोना काल में सामान्य मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार

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Published : Sep 15, 2020, 2:57 PM IST

कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवा को बंद कर दिया गया था. सरकार की गाइडलाइंस के तहत फिर से ओपीडी सेवा को शुरू किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी सीतापुर के जिला अस्पताल की ओपीडी में बहुत कम ही मरीज आ रहे हैं. मरीजों और तीमारदारों का कहना है कि कोरोना मरीजों के अलावा सामान्य मरीजों के इलाज में काफी समस्या आ रही है. देखिए रिपोर्ट.

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मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार.

सीतापुर: वैश्विक महामारी कोरोना का प्रभाव सामान्य बीमारियों और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखाई दे रहा है. जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले सामान्य रोग के मरीजों की संख्या जहां घटकर आधी हो गई है, वहीं कोविड-19 के अलावा दूसरे मरीजों के इलाज को प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है. वहीं इस पर स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लोगों के अपने घर में रहने और बाहरी खानपान से परहेज के चलते सामान्य बीमारियों में काफी कमी आई है, जबकि सामान्य मरीजों और उनके तीमारदारों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज चलते उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.

मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार.

सीतापुर में जिला मुख्यालय पर एकमात्र जिला चिकित्सालय ही है, जहां पर मरीजों के लिए ओपीडी का संचालन किया जाता है. आमतौर पर यहां करीब 4 हजार मरीजों की औसत ओपीडी होती थी, जो वर्तमान समय में करीब दो हजार के आस-पास हो गई है. इस प्रकार ओपीडी में मरीजों की संख्या घटकर आधी हो गई है. बाह्य रोगी कक्ष में जहां कोरोना काल से पहले मरीजों के खड़े होने की जगह नहीं होती थी, वहां इन दिनों आराम से जाया जा सकता है. वहीं इसके विपरीत कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण कोविड- 19 अस्पताल और वार्ड मरीजों से भरे पड़े हैं.

सीएमएस ने बताया
जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ए.के. अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 का संक्रमण बढ़ने के साथ ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या तेजी से घटी है. मौजूदा समय में सिर्फ 2 हजार मरीज ही रोजाना यहां आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 4 हजार के करीब थी.

उन्होंने इसके कारणों का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्तमान में मामूली बीमारियों के मरीज अस्पताल आने की बजाय स्वयं या फिर मेडिकल स्टोर संचालक आदि से सलाह लेकर दवाई लेकर अपना उपचार करा लेते हैं. दूसरे यह कि लोग ज्यादातर घरों में ही रहकर बाहर के माहौल और खानपान से परहेज कर रहे हैं. इसलिए डायरिया, पेट और गैस्ट्रिक संबंधी बीमारियां कम हो रही हैं. इसके साथ ही संक्रामक बीमारियों में भी कमी आई है, जिसके चलते जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में काफी गिरावट आई है.

सीएमएस ने यह भी बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से जिला अस्पताल का स्टाफ भी अछूता नहीं रहा है. यहां के स्टाफ के कई डॉक्टर और स्टाफ नर्स तमाम बचाव करने के बावजूद कोरोना से संक्रमित हुए और उपचार के बाद ठीक भी हुए.

मरीजों और तीमारदारों ने बताया
इस दौरान जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों से भी बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण उन लोगों के उपचार पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है. कोरोना के मरीजों के इलाज पर तो ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन दूसरी बीमारियों के मरीजों के उपचार को गंभीरता से नहीं लिया जाता है.

दुर्घटना के अलावा और किसी मरीज को भर्ती ही नहीं किया जाता है, जिन्हें गंभीर स्थिति के कारण भर्ती भी कर लिया जाता है, उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती है. ऐसे में मरीज और तीमारदार खुद ही जल्दी छुट्टी कराकर अस्पताल से विदा ले लेते हैं.

सीतापुर: वैश्विक महामारी कोरोना का प्रभाव सामान्य बीमारियों और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखाई दे रहा है. जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले सामान्य रोग के मरीजों की संख्या जहां घटकर आधी हो गई है, वहीं कोविड-19 के अलावा दूसरे मरीजों के इलाज को प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है. वहीं इस पर स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लोगों के अपने घर में रहने और बाहरी खानपान से परहेज के चलते सामान्य बीमारियों में काफी कमी आई है, जबकि सामान्य मरीजों और उनके तीमारदारों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज चलते उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.

मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार.

सीतापुर में जिला मुख्यालय पर एकमात्र जिला चिकित्सालय ही है, जहां पर मरीजों के लिए ओपीडी का संचालन किया जाता है. आमतौर पर यहां करीब 4 हजार मरीजों की औसत ओपीडी होती थी, जो वर्तमान समय में करीब दो हजार के आस-पास हो गई है. इस प्रकार ओपीडी में मरीजों की संख्या घटकर आधी हो गई है. बाह्य रोगी कक्ष में जहां कोरोना काल से पहले मरीजों के खड़े होने की जगह नहीं होती थी, वहां इन दिनों आराम से जाया जा सकता है. वहीं इसके विपरीत कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण कोविड- 19 अस्पताल और वार्ड मरीजों से भरे पड़े हैं.

सीएमएस ने बताया
जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ए.के. अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 का संक्रमण बढ़ने के साथ ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या तेजी से घटी है. मौजूदा समय में सिर्फ 2 हजार मरीज ही रोजाना यहां आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 4 हजार के करीब थी.

उन्होंने इसके कारणों का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्तमान में मामूली बीमारियों के मरीज अस्पताल आने की बजाय स्वयं या फिर मेडिकल स्टोर संचालक आदि से सलाह लेकर दवाई लेकर अपना उपचार करा लेते हैं. दूसरे यह कि लोग ज्यादातर घरों में ही रहकर बाहर के माहौल और खानपान से परहेज कर रहे हैं. इसलिए डायरिया, पेट और गैस्ट्रिक संबंधी बीमारियां कम हो रही हैं. इसके साथ ही संक्रामक बीमारियों में भी कमी आई है, जिसके चलते जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में काफी गिरावट आई है.

सीएमएस ने यह भी बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से जिला अस्पताल का स्टाफ भी अछूता नहीं रहा है. यहां के स्टाफ के कई डॉक्टर और स्टाफ नर्स तमाम बचाव करने के बावजूद कोरोना से संक्रमित हुए और उपचार के बाद ठीक भी हुए.

मरीजों और तीमारदारों ने बताया
इस दौरान जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों से भी बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण उन लोगों के उपचार पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है. कोरोना के मरीजों के इलाज पर तो ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन दूसरी बीमारियों के मरीजों के उपचार को गंभीरता से नहीं लिया जाता है.

दुर्घटना के अलावा और किसी मरीज को भर्ती ही नहीं किया जाता है, जिन्हें गंभीर स्थिति के कारण भर्ती भी कर लिया जाता है, उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाती है. ऐसे में मरीज और तीमारदार खुद ही जल्दी छुट्टी कराकर अस्पताल से विदा ले लेते हैं.

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