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13 साल बाद भी नहीं शुरू हो सकी कमलापुर चीनी मिल

यूपी के सीतापुर जिले में कमलापुर शुगर मिल पिछले 13 सालों बंद पड़ी है. इस शुगर मिल पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है. चीनी मिल को पुनः चालू कराने के लिए स्थानीय गन्ना किसानों द्वारा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाई गई, लेकिन किसानों की आवाज को कोई सुनने वाला नहीं है.

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Published : Dec 13, 2020, 12:30 PM IST

कमलापुर चीनी मिल
कमलापुर चीनी मिल

सीतापुर: जिले में स्थित कमलापुर शुगर मिल बीते 13 सालों से बंद पड़ी है. इस चीनी मिल पर क्षेत्रीय किसानों, गन्ना विकास विभाग और मिल कर्मियों का करोड़ों रूपये बकाया है. पिछले वर्ष इस शुगर फैक्ट्री को चालू कराने की कवायद तेज हुई थी. उस दौरान किसानों में अपने बकाया भुगतान मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन जिला प्रशासन, राज्य सरकार और चीनी मिल प्रबंधन तंत्र द्वारा इस मिल को चलाने के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

क्षेत्र के गन्ना किसानों ने बंद पड़ी चीनी मिल को पुनः चालू कराने को लेकर गन्ना आयुक्त उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी सीतापुर और जिला गन्ना अधिकारी सीतापुर से कई बार अनुरोध किया, लेकिन आजतक यह चीनी मिल चालू नहीं हो सकी है. स्थानीय मिल न चलने के कारण गन्ना किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पडता है. वहीं ट्रांसपोर्ट आदि में आर्थिक नुकसान भी सहना पड़ रहा है. कमलापुर चीनी मिल को पुनः चालू कराने के लिए स्थानीय गन्ना किसानों द्वारा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाई गई, लेकिन किसानों की आवाज को कोई सुनने वाला नहीं है.

जानकारी देते संवाददाता.

मिल चालू होने का इंतजार कर रहे क्षेत्रीय किसान
पवन कुमार रुइया द्वारा संचालित मैग्ना चीनी मील जिसके नाम परिवर्तित के बाद उसे कमलापुर चीनी मील कर दिया गया. इस चीनी मील को एन आर इन्फ्राकान प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उच्च न्यायालय कोलकाता के माध्यम से क्रय कर लिया है. पिछले वर्ष एन आर इन्फ्राकान प्राइवेट लिमिटेड ने पर्यावरण निदेशालय में प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया था. जिसके बाद पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का आयोजन कमलापुर चीनी मील में तत्कालीन जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी की अध्यक्षता में हुई थी. जिसमें चीनी मील द्वारा पर्यावरण निदेशालय में प्रेषित नई शीरा आधारित आसवनी की स्थापना क्षमता 100 के.एल. डी.(आर एस./इएनए/इथेनॉल) तथा सह ऊर्जा 5 मेगावाट और वर्तमान गन्ना पेराई क्षमता विस्तार 2500 टी.सी.डी से 8000 टी.सी.डी तथा सह उर्जा मे 6 मेगावाट से 30 मेगावाट उर्जा विस्तार के विषय में चीनी मील एवं आपत्तिकर्ताओं का पक्ष सुना था. जिसके बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी और उन्हें लगा था कि चीनी मिल का पहिया जल्द ही घूमेगा, लेकिन आज भी इस खुशखबरी को सुनने के लिए स्थानीय किसानों के कान इंतजार कर रहे हैं.

कमलापुर चीनी मिल
कमलापुर चीनी मिल

मिल पर बकाया 28 करोड़ 64 लाख रूपये
कमलापुर गन्ना सचिव लालता प्रसाद यादव ने बताया कि कमलापुर चीनी मिल ने वर्ष 2006-07, 2007-08 और 2008-09 का गन्ना किसानों का बकाया मूल्य और गन्ना विकास विभाग का विकास का कमीशन कुल मिलाकर 14 करोड़ 79 लाख रुपया उस समय बकाया था. अब ब्याज सहित 28 करोड़ 64 लाख रुपया हो गया है. मिल में काम करने वाले कर्मचारियों का भी लाखों रूपये बकाया है.

किसान नेता आर पी सिंह ने बताया कि वर्ष 2007 में कमलापुर चीनी मिल बंद हो गई थी. तब से किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है. पिछली बार जब कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश से चीनी मिल की नीलामी हुई तो किसानों में उम्मीद जगी कि चीनी मिल चलेगी, लेकिन जिला प्रशासन और सरकार के कुप प्रबंधन तथा चीनी मिल के प्रबंधन तंत्र के ढीले ढाले रवैये के चलते चीनी मिल नहीं चल पा रही है. जिसके चलते किसानों को तमाम तरीके की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. किसान अपने गन्ने को बेचने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है.

सीतापुर: जिले में स्थित कमलापुर शुगर मिल बीते 13 सालों से बंद पड़ी है. इस चीनी मिल पर क्षेत्रीय किसानों, गन्ना विकास विभाग और मिल कर्मियों का करोड़ों रूपये बकाया है. पिछले वर्ष इस शुगर फैक्ट्री को चालू कराने की कवायद तेज हुई थी. उस दौरान किसानों में अपने बकाया भुगतान मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन जिला प्रशासन, राज्य सरकार और चीनी मिल प्रबंधन तंत्र द्वारा इस मिल को चलाने के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

क्षेत्र के गन्ना किसानों ने बंद पड़ी चीनी मिल को पुनः चालू कराने को लेकर गन्ना आयुक्त उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी सीतापुर और जिला गन्ना अधिकारी सीतापुर से कई बार अनुरोध किया, लेकिन आजतक यह चीनी मिल चालू नहीं हो सकी है. स्थानीय मिल न चलने के कारण गन्ना किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पडता है. वहीं ट्रांसपोर्ट आदि में आर्थिक नुकसान भी सहना पड़ रहा है. कमलापुर चीनी मिल को पुनः चालू कराने के लिए स्थानीय गन्ना किसानों द्वारा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाई गई, लेकिन किसानों की आवाज को कोई सुनने वाला नहीं है.

जानकारी देते संवाददाता.

मिल चालू होने का इंतजार कर रहे क्षेत्रीय किसान
पवन कुमार रुइया द्वारा संचालित मैग्ना चीनी मील जिसके नाम परिवर्तित के बाद उसे कमलापुर चीनी मील कर दिया गया. इस चीनी मील को एन आर इन्फ्राकान प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उच्च न्यायालय कोलकाता के माध्यम से क्रय कर लिया है. पिछले वर्ष एन आर इन्फ्राकान प्राइवेट लिमिटेड ने पर्यावरण निदेशालय में प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया था. जिसके बाद पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का आयोजन कमलापुर चीनी मील में तत्कालीन जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी की अध्यक्षता में हुई थी. जिसमें चीनी मील द्वारा पर्यावरण निदेशालय में प्रेषित नई शीरा आधारित आसवनी की स्थापना क्षमता 100 के.एल. डी.(आर एस./इएनए/इथेनॉल) तथा सह ऊर्जा 5 मेगावाट और वर्तमान गन्ना पेराई क्षमता विस्तार 2500 टी.सी.डी से 8000 टी.सी.डी तथा सह उर्जा मे 6 मेगावाट से 30 मेगावाट उर्जा विस्तार के विषय में चीनी मील एवं आपत्तिकर्ताओं का पक्ष सुना था. जिसके बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी और उन्हें लगा था कि चीनी मिल का पहिया जल्द ही घूमेगा, लेकिन आज भी इस खुशखबरी को सुनने के लिए स्थानीय किसानों के कान इंतजार कर रहे हैं.

कमलापुर चीनी मिल
कमलापुर चीनी मिल

मिल पर बकाया 28 करोड़ 64 लाख रूपये
कमलापुर गन्ना सचिव लालता प्रसाद यादव ने बताया कि कमलापुर चीनी मिल ने वर्ष 2006-07, 2007-08 और 2008-09 का गन्ना किसानों का बकाया मूल्य और गन्ना विकास विभाग का विकास का कमीशन कुल मिलाकर 14 करोड़ 79 लाख रुपया उस समय बकाया था. अब ब्याज सहित 28 करोड़ 64 लाख रुपया हो गया है. मिल में काम करने वाले कर्मचारियों का भी लाखों रूपये बकाया है.

किसान नेता आर पी सिंह ने बताया कि वर्ष 2007 में कमलापुर चीनी मिल बंद हो गई थी. तब से किसानों का करोड़ों रुपये बकाया है. पिछली बार जब कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश से चीनी मिल की नीलामी हुई तो किसानों में उम्मीद जगी कि चीनी मिल चलेगी, लेकिन जिला प्रशासन और सरकार के कुप प्रबंधन तथा चीनी मिल के प्रबंधन तंत्र के ढीले ढाले रवैये के चलते चीनी मिल नहीं चल पा रही है. जिसके चलते किसानों को तमाम तरीके की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. किसान अपने गन्ने को बेचने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है.

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