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यहां एक ही छत के नीचे पूजा-पाठ और जियारत करते हैं हिंन्दू-मुसलमान - हिंन्दू-मुसलमान

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में पक्का पुल के किनारे जहां मुस्लिम समाज के लोग अपनी रवायत के अनुसार जियारत करते हैं, वहीं हिन्दू समाज के लोग अपनी धार्मिक परंपराओं के मुताबिक पूजा-अर्चना करते हैं.

एक ही छत के नीचे होती है पूजा-पाठ और जियारत.
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Published : Nov 16, 2019, 1:49 PM IST

सीतापुर: जिला हमेशा से कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता रहा है. इस जिले में अमन, भाईचारा और एकता की मिसाल पेश करने वाली यूं तो कई वजहे हैं, लेकिन उन्हीं में से एक है शहर के पक्का पुल के किनारे स्थित एक अनूठा धार्मिक स्थान. यहां एक ही छत के नीचे जिंद बाबा और ब्रम्ह बाबा का स्थान है. एक ही छत के नीचे कुरान शरीफ की तिलावत और चालीसा-आरती का सिलसिला चलता है, लेकिन इससे किसी को कोई एतराज नहीं होता.

एक ही छत के नीचे होती है पूजा-पाठ और जियारत.
इसे भी पढ़ें-शेरवानी बनाने की सौगात में बना इमामबाड़ा, संरक्षण के अभाव में खो रहा पहचान

जोड़ता है हिंदू-मुसलमान के दिलों को
यह पक्का पुल का वह मुकाम है, जो पुराने शहर को नए शहर से जोड़ता है. इसी पुल के किनारे एक और अहम मुकाम है, जो दो धर्मों की धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के कारण यह दोनों के दिलों को जोड़ता है. समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा संदेश भी प्रसारित करता है. इस स्थान की खासियत यह है कि यहां एक ही छत के नीचे जिन्द बाबा की मजार और ब्रम्ह बाबा का स्थान है.

यहां एक साथ होती है पूजा अर्चना और जियारत
दोनों धर्मों के लोग यहां अपनी पूजा-अर्चना और जियारत करने के लिए आते हैं, जबकि गुरुवार यानी जुमेरात को यहां पर खासी भीड़ इकट्ठा होती है. यहां पर पूजा-पाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और जियारत के लिए आने वाले अकीदतमंदों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि यह बहुत सच्चा स्थान है. यहां आने से सब मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जो लोग गांठ लगाकर मनौती मांगते हैं, उनकी सभी मनौतियां जरूर पूरी होती हैं.

इसे भी पढ़ें-इस वृक्ष के फलों और पत्तियों का सेवन कर बडे़ हुए थे 'महर्षि पिप्पलाद'

धर्म जाति के नाम पर कभी नहीं बहा खून
यहां दोनों मजहब के लोग आकर अपनी मान्यताओं को पूरा करते हैं, लेकिन किसी दूसरे को कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ. यह स्थान जिले में आपसी प्रेम, भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द की नजीर पेश कर रहा है. इस धार्मिक स्थल से निकलने वाले संदेश का ही यह नतीजा है कि इस जिले में धर्म जाति के नाम पर कभी कोई दंगा-फसाद और खून खराबा नहीं हुआ. गंगा-जमुनी तहजीब की रसधार हमेशा एकता और भाईचारे का पैगाम फैलाती हुई बहती रही.

सीतापुर: जिला हमेशा से कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता रहा है. इस जिले में अमन, भाईचारा और एकता की मिसाल पेश करने वाली यूं तो कई वजहे हैं, लेकिन उन्हीं में से एक है शहर के पक्का पुल के किनारे स्थित एक अनूठा धार्मिक स्थान. यहां एक ही छत के नीचे जिंद बाबा और ब्रम्ह बाबा का स्थान है. एक ही छत के नीचे कुरान शरीफ की तिलावत और चालीसा-आरती का सिलसिला चलता है, लेकिन इससे किसी को कोई एतराज नहीं होता.

एक ही छत के नीचे होती है पूजा-पाठ और जियारत.
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जोड़ता है हिंदू-मुसलमान के दिलों को
यह पक्का पुल का वह मुकाम है, जो पुराने शहर को नए शहर से जोड़ता है. इसी पुल के किनारे एक और अहम मुकाम है, जो दो धर्मों की धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के कारण यह दोनों के दिलों को जोड़ता है. समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा संदेश भी प्रसारित करता है. इस स्थान की खासियत यह है कि यहां एक ही छत के नीचे जिन्द बाबा की मजार और ब्रम्ह बाबा का स्थान है.

यहां एक साथ होती है पूजा अर्चना और जियारत
दोनों धर्मों के लोग यहां अपनी पूजा-अर्चना और जियारत करने के लिए आते हैं, जबकि गुरुवार यानी जुमेरात को यहां पर खासी भीड़ इकट्ठा होती है. यहां पर पूजा-पाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और जियारत के लिए आने वाले अकीदतमंदों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि यह बहुत सच्चा स्थान है. यहां आने से सब मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जो लोग गांठ लगाकर मनौती मांगते हैं, उनकी सभी मनौतियां जरूर पूरी होती हैं.

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धर्म जाति के नाम पर कभी नहीं बहा खून
यहां दोनों मजहब के लोग आकर अपनी मान्यताओं को पूरा करते हैं, लेकिन किसी दूसरे को कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ. यह स्थान जिले में आपसी प्रेम, भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द की नजीर पेश कर रहा है. इस धार्मिक स्थल से निकलने वाले संदेश का ही यह नतीजा है कि इस जिले में धर्म जाति के नाम पर कभी कोई दंगा-फसाद और खून खराबा नहीं हुआ. गंगा-जमुनी तहजीब की रसधार हमेशा एकता और भाईचारे का पैगाम फैलाती हुई बहती रही.

Intro:सीतापुर: सूबे की राजधानी से सटा सीतापुर हमेशा से कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता रहा है. इस जिले में अमन,भाईचारा और एकता की मिसाल पेश करने वाली यूं तो कई वजहें हैं लेकिन उन्ही में से एक है शहर के पक्का पुल के किनारे स्थित एक अनूठा धार्मिक स्थान. यहां एक ही छत के नीचे जिंद बाबा औऱ ब्रम्ह बाबा का स्थान है.इस स्थान पर मुस्लिम समाज के लोग जहां अपनी रवायत के अनुसार ज़ियारत करते हैं वहीं हिन्दू समाज के लोग अपनी धार्मिक परंपराओं के मुताबिक पूजा-अर्चना करते हैं. एक ही छत के नीचे कुरान शरीफ की तिलावत और चालीसा-आरती का सिलसिला चलता है पर किसी को कोई एतराज नही होता.


Body:जी हां,यह पक्का पुल का वह मुकाम है जो पुराने शहर को नए शहर से जोड़ता है लेकिन इसी पुल के किनारे एक और अहम मुकाम है जो दो धर्मो की धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के कारण हिन्दू मुसलमान के दिलो को जोड़ता है और समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा संदेश भी प्रसारित करता है.इस स्थान की खासियत यह है कि यहां एक ही छत के नीचे जिन्द बाबा की मजार और ब्रम्ह बाबा का स्थान है. हिन्दू मुसलमान दोनों धर्मो के लोग यहां अपनी पूजा अर्चना और ज़ियारत करने के लिए आते हैं जबकि गुरुवार यानी जुमेरात को यहां पर खास भीड़ इकट्ठा होती है. यहां पर पूजापाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और ज़ियारत के लिए आने वाले अकीदतमंदों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि यह बहुत सच्चा स्थान है यहां आने से सब मनोकामनाएं पूरी होती है और जो लोग गांठ लगाकर मनौती मांगते हैं उनकी सभी मनौतियां जरूर पूरी होती हैं. लोगों ने बताया कि यह धार्मिक स्थल दो धर्मो की आस्था का केन्द्र काफ़ी अहम मुक़ाम रखता है.यहां दोनो मज़हब के लोग आकर अपनी मान्यताओं को पूरा करते हैं लेकिन किसी दूसरे को कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ.यह स्थान जिले में आपसी प्रेम,भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द की ऐसी नज़ीर पेश कर रहा है जिसका कोई सानी नहीं है.इस धार्मिक स्थल से निकलने वाले संदेश का ही यह नतीजा है कि इस जिले में कभी धर्म जाति के नाम पर कभी कोई दंगा- फसाद और खून खराबा नहीं हुआ और गंगा जमुनी तहज़ीब की रसधार हमेशा एकता और भाईचारे का पैगाम फैलाती हुई बहती रही.


Conclusion:बाइट- एहराज बेग (अकीदतमंद) बाइट-रेखा (श्रद्धालु) बाइट-साक्षी (श्रद्धालु) बाइट-रोहित गुप्ता ( प्रसाद विक्रेता) पीटीसी नीरज श्रीवास्तव सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887,8299469052
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