सीतापुर: जिला हमेशा से कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता रहा है. इस जिले में अमन, भाईचारा और एकता की मिसाल पेश करने वाली यूं तो कई वजहे हैं, लेकिन उन्हीं में से एक है शहर के पक्का पुल के किनारे स्थित एक अनूठा धार्मिक स्थान. यहां एक ही छत के नीचे जिंद बाबा और ब्रम्ह बाबा का स्थान है. एक ही छत के नीचे कुरान शरीफ की तिलावत और चालीसा-आरती का सिलसिला चलता है, लेकिन इससे किसी को कोई एतराज नहीं होता.
जोड़ता है हिंदू-मुसलमान के दिलों को
यह पक्का पुल का वह मुकाम है, जो पुराने शहर को नए शहर से जोड़ता है. इसी पुल के किनारे एक और अहम मुकाम है, जो दो धर्मों की धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के कारण यह दोनों के दिलों को जोड़ता है. समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा संदेश भी प्रसारित करता है. इस स्थान की खासियत यह है कि यहां एक ही छत के नीचे जिन्द बाबा की मजार और ब्रम्ह बाबा का स्थान है.
यहां एक साथ होती है पूजा अर्चना और जियारत
दोनों धर्मों के लोग यहां अपनी पूजा-अर्चना और जियारत करने के लिए आते हैं, जबकि गुरुवार यानी जुमेरात को यहां पर खासी भीड़ इकट्ठा होती है. यहां पर पूजा-पाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और जियारत के लिए आने वाले अकीदतमंदों से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि यह बहुत सच्चा स्थान है. यहां आने से सब मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जो लोग गांठ लगाकर मनौती मांगते हैं, उनकी सभी मनौतियां जरूर पूरी होती हैं.
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धर्म जाति के नाम पर कभी नहीं बहा खून
यहां दोनों मजहब के लोग आकर अपनी मान्यताओं को पूरा करते हैं, लेकिन किसी दूसरे को कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ. यह स्थान जिले में आपसी प्रेम, भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द की नजीर पेश कर रहा है. इस धार्मिक स्थल से निकलने वाले संदेश का ही यह नतीजा है कि इस जिले में धर्म जाति के नाम पर कभी कोई दंगा-फसाद और खून खराबा नहीं हुआ. गंगा-जमुनी तहजीब की रसधार हमेशा एकता और भाईचारे का पैगाम फैलाती हुई बहती रही.