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सीतापुर के किसानों को भा रही गन्ने की खेती, बढ़ रहा रकबा

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में खरीफ की फसल की बुआई का कार्य पूरा हो चुका है. किसानों ने इस बार गन्ने की फसल को प्राथमिकता दी है.

सीतापुर जिला कृषि अधिकारी.
किसानों ने इस बार गन्ने की फसल को प्राथमिकता दी है.
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Published : Aug 7, 2020, 10:16 AM IST

Updated : Aug 7, 2020, 11:48 AM IST

सीतापुर: जिले में खरीफ फसल की बुआई का दौर लगभग पूरा हो चुका है. किसानों ने खरीफ की फसल के अंतर्गत दलहनी और तिलहनी फसलों की भी बुआई की है, लेकिन सबसे अधिक प्राथमिकता गन्ने की फसल को दी है. यहां धान की फसल का रकबा दूसरे स्थान पर है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वर्षा सामान्य से थोड़ी कम जरूर हुई है, लेकिन फसलों के लिए अनुकूल है.

जानकारी देते जिला कृषि अधिकारी.

कृषि विभाग से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जिले में 2 लाख 30 हजार 907 हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुआई की गई है. जिसमें 1 लाख 62 हजार 707 हेक्टेयर भूमि में सिर्फ धान की बुआई की गई है. इसके अलावा 11 हजार 811 हेक्टेयर में मक्का, 7,216 हेक्टेयर में मक्का, 2,449 हेक्टेयर में बाजारा की फसल बोई गई है. साथ ही 22,869 हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुआई की गई है. किसानों की पहली पसंद गन्ना की फसल रही है. किसानों ने करीब 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल बो रखी है.

जिला कृषि अधिकारी अखिलानंद पाण्डेय के अनुसार, गन्ने की फसल को नगदी फसल माना जाता है. यह सबसे सुरक्षित फसल होती है, इसीलिए यहां का किसान गन्ने की पैदावार को सबसे मुफीद मानता है. इस बार सामान्य से कुछ कम वर्षा जरूर हुई है, लेकिन समय से वर्षा होने के कारण फसलों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है.

जिले में खरीफ फसलों की बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है और यूरिया की टॉप ड्रेसिंग का काम चल रहा है. आमतौर पर खरीफ की फसल की बुआई का समय 1 जून से 15 जुलाई के मध्य माना जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए यहां के किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई का कार्य लगभग पूरा कर लिया है. यह समय किसानों की बुआई के लिहाज से सामान्य रहा है.

सीतापुर: जिले में खरीफ फसल की बुआई का दौर लगभग पूरा हो चुका है. किसानों ने खरीफ की फसल के अंतर्गत दलहनी और तिलहनी फसलों की भी बुआई की है, लेकिन सबसे अधिक प्राथमिकता गन्ने की फसल को दी है. यहां धान की फसल का रकबा दूसरे स्थान पर है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वर्षा सामान्य से थोड़ी कम जरूर हुई है, लेकिन फसलों के लिए अनुकूल है.

जानकारी देते जिला कृषि अधिकारी.

कृषि विभाग से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जिले में 2 लाख 30 हजार 907 हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुआई की गई है. जिसमें 1 लाख 62 हजार 707 हेक्टेयर भूमि में सिर्फ धान की बुआई की गई है. इसके अलावा 11 हजार 811 हेक्टेयर में मक्का, 7,216 हेक्टेयर में मक्का, 2,449 हेक्टेयर में बाजारा की फसल बोई गई है. साथ ही 22,869 हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुआई की गई है. किसानों की पहली पसंद गन्ना की फसल रही है. किसानों ने करीब 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल बो रखी है.

जिला कृषि अधिकारी अखिलानंद पाण्डेय के अनुसार, गन्ने की फसल को नगदी फसल माना जाता है. यह सबसे सुरक्षित फसल होती है, इसीलिए यहां का किसान गन्ने की पैदावार को सबसे मुफीद मानता है. इस बार सामान्य से कुछ कम वर्षा जरूर हुई है, लेकिन समय से वर्षा होने के कारण फसलों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है.

जिले में खरीफ फसलों की बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है और यूरिया की टॉप ड्रेसिंग का काम चल रहा है. आमतौर पर खरीफ की फसल की बुआई का समय 1 जून से 15 जुलाई के मध्य माना जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए यहां के किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई का कार्य लगभग पूरा कर लिया है. यह समय किसानों की बुआई के लिहाज से सामान्य रहा है.

Last Updated : Aug 7, 2020, 11:48 AM IST
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