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सीतापुरः कुपोषण से निजात दिलाएगा सहजन, किसानों की आय में होगा इजाफा

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में किसान सहजन की खेती कर रहे हैं. वहीं कृषि वैज्ञानिक भी इसकी खेती को अपनाने पर जोर दे रहे हैं. उनका कहना है कि सहजन कुपोषण की बीमारी में लाभदायक होता है.

सहजन की खेती कर रहे किसान.
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Published : Sep 27, 2019, 10:38 PM IST

सीतापुर: सहजन की खेती के फायदों को देखते हुए यहां के किसानों ने अब इसे अपनाना शुरू कर दिया है. इसकी खेती को बढ़ावा मिलने से जहां एक ओर कुपोषण जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर किसानों की आय भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. कृषि वैज्ञानिक भी इसकी खेती को अपनाने पर जोर दे रहे हैं.

सहजन की खेती कर रहे किसान.

पढ़ें:- सीतापुरः भू-माफियाओं से परेशान किसानों की एक मांग, 'जमीन दो-आवास दो'

सहजन में होता है कैल्शियम और फॉस्फोरस
सहजन एक प्रकार का औषधीय पौधा है, जिसे ऊसर भूमि में भी लगाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कुपोषण में इस्तेमाल करने के अलावा कई बीमारियों में उपचार के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है. इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

किसान कर रहे सहजन की खेती
जिले के कई इलाकों में किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसे कुपोषण के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी पत्तियां, टहनी, तना और जड़ सब कुछ उपयोगी होता है. इसका पावडर बनाकर उसे भी निर्यात किया जा सकता है.

किसानों को हो सकता है फायदा
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे किसानों की आय में भी इजाफा हो सकेगा, क्योंकि इसे खेत की मेड़ पर भी लगाया जा सकता है और साथ ही खेती पर भी इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि इसकी फलियों का तेल निकालकर उसे भी इस्तेमाल और बिक्री किया जा सकता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके उत्पादों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए सहजन की खेती को किसानों की आय में लाभदायक माना जा रहा है.

सीतापुर: सहजन की खेती के फायदों को देखते हुए यहां के किसानों ने अब इसे अपनाना शुरू कर दिया है. इसकी खेती को बढ़ावा मिलने से जहां एक ओर कुपोषण जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर किसानों की आय भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. कृषि वैज्ञानिक भी इसकी खेती को अपनाने पर जोर दे रहे हैं.

सहजन की खेती कर रहे किसान.

पढ़ें:- सीतापुरः भू-माफियाओं से परेशान किसानों की एक मांग, 'जमीन दो-आवास दो'

सहजन में होता है कैल्शियम और फॉस्फोरस
सहजन एक प्रकार का औषधीय पौधा है, जिसे ऊसर भूमि में भी लगाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कुपोषण में इस्तेमाल करने के अलावा कई बीमारियों में उपचार के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है. इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

किसान कर रहे सहजन की खेती
जिले के कई इलाकों में किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसे कुपोषण के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी पत्तियां, टहनी, तना और जड़ सब कुछ उपयोगी होता है. इसका पावडर बनाकर उसे भी निर्यात किया जा सकता है.

किसानों को हो सकता है फायदा
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे किसानों की आय में भी इजाफा हो सकेगा, क्योंकि इसे खेत की मेड़ पर भी लगाया जा सकता है और साथ ही खेती पर भी इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि इसकी फलियों का तेल निकालकर उसे भी इस्तेमाल और बिक्री किया जा सकता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके उत्पादों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए सहजन की खेती को किसानों की आय में लाभदायक माना जा रहा है.

Intro:सीतापुर: सहज़न की खेती के फायदों को देखते हुए यहां के किसानों ने अब इसे अपनाना शुरू कर दिया है. इसकी खेती को बढ़ावा मिलने से जहां एक ओर कुपोषण जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है वहीं दूसरी ओर किसानों की आय भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. कृषि वैज्ञानिक भी इसकी खेती को अपनाने पर जोर दे रहे हैं.


Body:सहज़न एक प्रकार का औषधीय पौधा है जिसे ऊसर भूमि में भी लगाया जा सकता है. इससे कुपोषण खत्म के लिए इस्तेमाल करने के अलावा कई बीमारियों में उपचार के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है.इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. जिले के कई इलाकों में किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह ऐसा औषधीय पौधा है जिसे कुपोषण के खिलाफ जंग में एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.इसकी पत्तियां, टहनी,तना और जड़ सब कुछ उपयोगी होता है. इसका पावडर बनाकर उसे भी निर्यात किया जा सकता है.


Conclusion:कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे किसानों की आय में भी इज़ाफ़ा हो सकेगा क्योंकि इसे खेत की मेड पर भी लगाया जा सकता है और साथ की खेती पर भी इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि इसकी फलियों का तेल निकालकर उसे भी इस्तेमाल या बिक्री किया जा सकता है.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके उत्पादों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए सहज़न की खेती को किसानों के लिए काफ़ी मुफीद माना जा रहा है.

बाइट-डॉ दया शंकर श्रीवास्तव (कृषि वैज्ञानिक)


सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887,9335393800
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