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सीतापुर जेल में खेती से 45 लाख का मुनाफा, बंदियों को मिला रोजगार

यूपी के सीतापुर जिले में जिला कारागार प्रशासन ने इस बार खेती में काफी अच्छी कमाई कर ली है. अन्य वर्षों की अपेक्षा इस बार जेल प्रशासन ने 45 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया है. जेल प्रशासन ने इस बार 14.56 एकड़ कृषि योग्य जमीन पर सब्जियों की खेती की थी.

जेल में खेती कर लाखों का हो रहा मुनाफा.
जेल में खेती कर लाखों का हो रहा मुनाफा.
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Published : Jul 29, 2020, 3:24 PM IST

Updated : Jul 29, 2020, 3:35 PM IST

सीतापुर: जेल प्रशासन ने सब्जी के उत्पादन से अतिरिक्त आय अर्जित की है. इस आमदनी से खेती करने वाले बंदियों को भी लाभ मिल रहा है. साथ ही जेल में 40 गायों वाली गोशाला का संचालन भी किया जा रहा है. गायों के दूध का इस्तेमाल बीमार बंदियों, माताओं और जेल में निरुध्द मासूम बच्चों के लिए किया जाएगा.

जानकारी देते जेल अधीक्षक.

जिला जेल प्रशासन करीब 15 एकड़ भूमि पर सब्जी की खेती करता है. इसमें 5 एकड़ भूमि जेल के भीतर और 10 एकड़ भूमि जेल परिसर जेल के बाहर है. इस बार जेल ने सब्जी की खेती पर कुल 10 लाख 63 हजार 98 रुपये खर्च किये हैं. इससे 56 लाख 37 हजार 94 रुपये की सब्जी का उत्पादन हुआ है. इस प्रकार करीब 45 लाख 73 हजार रुपये का शुद्ध लाभ जेल को हुआ है.

जेल अधीक्षक डीसी मिश्रा के अनुसार 40 से 50 बंदी सब्जी उत्पादन का कार्य करते हैं. इन्हें पिछले वर्ष उत्तम खेती के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने ट्रेनिंग दी थी. इन बंदियों को पारिश्रमिक भी दिया जाता है. यहां से पैदा की गई सब्जी को डेढ़ हजार से ज्यादा बंदियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही बची हुई सब्जी पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी के करीब दो हजार बंदियों के लिए भेजा जाता है. इसके बाद भी शेष सब्जी को हरदोई के अलावा लखनऊ जेल, आदर्श जेल और नारी निकेतन को भेजा जाता है, जिससे हुई आमदनी को राजस्व के रूप में जमा किया जाता है.

इसके अलावा जेल में 40 गायों की एक गोशाला भी है, जिसमें करीब 20 गायें दूध देती है. ये दूध डॉक्टरों की सलाह पर मरीज बंदियों के अलावा जेल में निरुध्द महिलाओं के बच्चों को दिया जाता है. इससे भी जेल के खर्च की बचत की जाती है. गायों के गोमूत्र और खाद से तैयार जैविक खाद को सब्जी की पैदावार में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सब्जी की लागत में कमी आती है.

सीतापुर: जेल प्रशासन ने सब्जी के उत्पादन से अतिरिक्त आय अर्जित की है. इस आमदनी से खेती करने वाले बंदियों को भी लाभ मिल रहा है. साथ ही जेल में 40 गायों वाली गोशाला का संचालन भी किया जा रहा है. गायों के दूध का इस्तेमाल बीमार बंदियों, माताओं और जेल में निरुध्द मासूम बच्चों के लिए किया जाएगा.

जानकारी देते जेल अधीक्षक.

जिला जेल प्रशासन करीब 15 एकड़ भूमि पर सब्जी की खेती करता है. इसमें 5 एकड़ भूमि जेल के भीतर और 10 एकड़ भूमि जेल परिसर जेल के बाहर है. इस बार जेल ने सब्जी की खेती पर कुल 10 लाख 63 हजार 98 रुपये खर्च किये हैं. इससे 56 लाख 37 हजार 94 रुपये की सब्जी का उत्पादन हुआ है. इस प्रकार करीब 45 लाख 73 हजार रुपये का शुद्ध लाभ जेल को हुआ है.

जेल अधीक्षक डीसी मिश्रा के अनुसार 40 से 50 बंदी सब्जी उत्पादन का कार्य करते हैं. इन्हें पिछले वर्ष उत्तम खेती के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने ट्रेनिंग दी थी. इन बंदियों को पारिश्रमिक भी दिया जाता है. यहां से पैदा की गई सब्जी को डेढ़ हजार से ज्यादा बंदियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही बची हुई सब्जी पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी के करीब दो हजार बंदियों के लिए भेजा जाता है. इसके बाद भी शेष सब्जी को हरदोई के अलावा लखनऊ जेल, आदर्श जेल और नारी निकेतन को भेजा जाता है, जिससे हुई आमदनी को राजस्व के रूप में जमा किया जाता है.

इसके अलावा जेल में 40 गायों की एक गोशाला भी है, जिसमें करीब 20 गायें दूध देती है. ये दूध डॉक्टरों की सलाह पर मरीज बंदियों के अलावा जेल में निरुध्द महिलाओं के बच्चों को दिया जाता है. इससे भी जेल के खर्च की बचत की जाती है. गायों के गोमूत्र और खाद से तैयार जैविक खाद को सब्जी की पैदावार में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सब्जी की लागत में कमी आती है.

Last Updated : Jul 29, 2020, 3:35 PM IST
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