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सीतापुर: कुपोषण की जंग में नहीं हो रहा विभागों का समन्वय, सरकार की मंशा पर फिर रहा पानी

यूपी के सीतापुर में कुपोषण सबसे गंभीर समस्या बनी हुई है. सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारियां सौंपी, लेकिन समन्वय न होने के कारण यह योजना कारगर नहीं हो पा रही है.

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कुपोषण से ग्रसित बच्चे.
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Published : Dec 7, 2019, 3:48 PM IST

सीतापुर: भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश के जिन दो जिलों में यह समस्या सबसे गंभीर है, उसमें सीतापुर और गोंडा शामिल है. सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें कई सरकारी विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. सीतापुर में इन विभागों में समन्वय न होने के कारण कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग कारगर नहीं हो पा रही है.

कुपोषण से ग्रसित बच्चे.
  • बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, जिले में 4,232 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
  • लगभग 67 हजार बच्चे पीली श्रेणी यानी कुपोषित हैं.
  • लाल श्रेणी यानी अतिकुपोषित में 13,297 बच्चे शामिल हैं.

सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज विभाग, आपूर्ति विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को बाल विकास विभाग से समन्वय स्थापित करने को कहा है. सीतापुर में सबसे महत्वपूर्ण विभाग पंचायती राज है, जो इसमें समन्वय नहीं कर रहा है.

इसे भी पढ़ें:- बलरामपुर: यूपी में कुपोषण का 'कहर' गांव- गांव, शहर-शहर

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इसके लिए विभागों को लिखा गया है, ताकि कुपोषण के खिलाफ जंग को कारगर ढंग से लड़ा जा सके. जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को इसमें सहयोग करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

सीतापुर: भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश के जिन दो जिलों में यह समस्या सबसे गंभीर है, उसमें सीतापुर और गोंडा शामिल है. सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें कई सरकारी विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. सीतापुर में इन विभागों में समन्वय न होने के कारण कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग कारगर नहीं हो पा रही है.

कुपोषण से ग्रसित बच्चे.
  • बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, जिले में 4,232 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
  • लगभग 67 हजार बच्चे पीली श्रेणी यानी कुपोषित हैं.
  • लाल श्रेणी यानी अतिकुपोषित में 13,297 बच्चे शामिल हैं.

सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज विभाग, आपूर्ति विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को बाल विकास विभाग से समन्वय स्थापित करने को कहा है. सीतापुर में सबसे महत्वपूर्ण विभाग पंचायती राज है, जो इसमें समन्वय नहीं कर रहा है.

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जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इसके लिए विभागों को लिखा गया है, ताकि कुपोषण के खिलाफ जंग को कारगर ढंग से लड़ा जा सके. जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को इसमें सहयोग करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

Intro:सीतापुर: भारत मे कुपोषण एक बड़ी समस्या है और उत्तर प्रदेश के जिन दो जिलों में यह समस्या सबसे गंभीर है उनमें सीतापुर और गोंडा जिला शामिल है. सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जो कार्ययोजना तैयार की है उसमें करीब आधा दर्जन सरकारी विभागों को अलग अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई है लेकिन सीतापुर में इन विभागों में सामंजस्य न होने के कारण कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग कारगर नही हो पा रही है.


Body:बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ो के अनुसार जिले में 4232 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.यहां कुल 63233 बच्चे पीली श्रेणी के अर्थात कुपोषित है जबकि 13297 बच्चे लाल श्रेणी अर्थात अतिकुपोषित हैं.सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जो कार्ययोजना तैयार की है उसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज विभाग, आपूर्ति विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को बाल विकास विभाग से समन्वय स्थापित करने को कहा गया है लेकिन सीतापुर में सबसे महत्वपूर्ण विभाग पंचायती राज इसमें समन्वय नही कर रहा है.


Conclusion:जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इसके लिए विभागों को लिखा गया है ताकि कुपोषण के खिलाफ जंग को कारगर ढंग से लड़ा जा सके.हालांकि जब इस बाबत जिला पंचायत राज़ अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को इसमें सहयोग करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.

बाइट-राज कपूर (जिला कार्यक्रम अधिकारी)
बाइट-इंद्र नारायण सिंह (जिला पंचायत राज अधिकारी)


सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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