सीतापुर: भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. प्रदेश के जिन दो जिलों में यह समस्या सबसे गंभीर है, उसमें सीतापुर और गोंडा शामिल है. सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें कई सरकारी विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. सीतापुर में इन विभागों में समन्वय न होने के कारण कुपोषण के खिलाफ लड़ी जाने वाली जंग कारगर नहीं हो पा रही है.
- बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, जिले में 4,232 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
- लगभग 67 हजार बच्चे पीली श्रेणी यानी कुपोषित हैं.
- लाल श्रेणी यानी अतिकुपोषित में 13,297 बच्चे शामिल हैं.
सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जो कार्य योजना तैयार की है, उसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज विभाग, आपूर्ति विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को बाल विकास विभाग से समन्वय स्थापित करने को कहा है. सीतापुर में सबसे महत्वपूर्ण विभाग पंचायती राज है, जो इसमें समन्वय नहीं कर रहा है.
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जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इसके लिए विभागों को लिखा गया है, ताकि कुपोषण के खिलाफ जंग को कारगर ढंग से लड़ा जा सके. जिला पंचायत राज अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को इसमें सहयोग करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.