सीतापुर: अवधी और हिन्दी के श्रेष्ठतम कवि एवं गद्यकार पं. बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ का जन्म दिवस जनपद स्थित उनके पैत्रक ग्राम अम्बरपुर में उनके जन्म स्थान के भग्नावशेषों के निकट धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर बोलते हुए कवि-पत्रकार अनुराग आग्नेय ने पढ़ीस जी की विभिन्न रचनाओं से उद्धरण देते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में उनका गांव और ग्राम्य जनजीवन प्रतिबिम्बित होता था. यही कारण है कि सदी के महत्वपूर्ण हिन्दी साहित्य समालोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने कहा था कि पढ़ीस का यथार्थ भोगा हुआ यथार्थ है. उन्होंने अम्बरपुर में पढ़ीस जी के जन्म स्थान पर उनके जन्म दिवस के आयोजन पर आयोजकों को बधाई दी.
लेखक एवं शिक्षक अनूप कुमार ने पढ़ीस जी के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि यह दुःखद है कि आज की नई पीढ़ी को पढ़ीस जी के विषय में जानकारी नहीं है, जबकि वे केवल कवि और साहित्यकार ही नहीं थे, बल्कि अपने दौर के महत्वपूर्ण जनसंचार माध्यम रेडियो की भाषा गढ़ने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अवध के ग्रामीण अंचलों में आकाशवाणी को लोकप्रियता दिलाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था. प्रायः उनका मूल्यांकन करते समय उनके कृतित्व का यह भाग नजरअंदाज कर दिया जाता है या अछूता रह जाता है.
पत्रकार संतोष दीक्षित ने इस अवसर पर अपने पिता स्व. लवकुश दीक्षित की एक लोकप्रिय अवधी वाणी वंदना से आयोजन की शुरुआत करते हुए कहा कि पढ़ीस जी का जन्म दिवस उनके जन्म स्थान पर मनाने की शुरुआत इस वर्ष हुई है, परन्तु अब इसे एक परम्परा का रूप दिया जायेगा और यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जायेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्राम प्रधान कृपाशंकर शुक्ला ने पंडित जी और उनके पुत्र लवकुश दीक्षित से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे अम्बरपुर के लाल थे. इस तरह के आयोजनों से गांव की नई पीढ़ी उन्हें जानेगी.
इस अवसर पर पढ़ीस जी के पौत्र अनिल दीक्षित, पौत्रवधू शुची दीक्षित, आदित्य कुमार दीक्षित, श्रीमती बिटाना, दधीच नारायण शुक्ल, रामगोपाल दीक्षित, धर्मेन्द्र कुमार शुक्ल, अंकुर मिश्र, खुशी, मधु, दिव्या, मानसी आदि ने पढ़ीस जी के चित्र पर पुष्पार्चन किया.
सीतापुर: जन्मतिथि पर याद किए गए अवधी और हिन्दी के श्रेष्ठ कवि पढ़ीस - सीतापुर समाचार
यूपी के सीतापुर में अवधी और हिन्दी के श्रेष्ठ कवि पढ़ीस की जन्म तिथि पर उन्हें याद किया गया. इस अवसर पर पढ़ीस के पौत्र अनिल दीक्षित सहित कई लोगों ने पढ़ीस जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.
![सीतापुर: जन्मतिथि पर याद किए गए अवधी और हिन्दी के श्रेष्ठ कवि पढ़ीस पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-09:11:17:1601048477-up-sitapur-01-awadhiandhindipoetbestrememberedonbirthdate-up10022-25092020182349-2509f-1601038429-1024.jpg?imwidth=3840)
सीतापुर: अवधी और हिन्दी के श्रेष्ठतम कवि एवं गद्यकार पं. बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ का जन्म दिवस जनपद स्थित उनके पैत्रक ग्राम अम्बरपुर में उनके जन्म स्थान के भग्नावशेषों के निकट धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर बोलते हुए कवि-पत्रकार अनुराग आग्नेय ने पढ़ीस जी की विभिन्न रचनाओं से उद्धरण देते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में उनका गांव और ग्राम्य जनजीवन प्रतिबिम्बित होता था. यही कारण है कि सदी के महत्वपूर्ण हिन्दी साहित्य समालोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने कहा था कि पढ़ीस का यथार्थ भोगा हुआ यथार्थ है. उन्होंने अम्बरपुर में पढ़ीस जी के जन्म स्थान पर उनके जन्म दिवस के आयोजन पर आयोजकों को बधाई दी.
लेखक एवं शिक्षक अनूप कुमार ने पढ़ीस जी के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि यह दुःखद है कि आज की नई पीढ़ी को पढ़ीस जी के विषय में जानकारी नहीं है, जबकि वे केवल कवि और साहित्यकार ही नहीं थे, बल्कि अपने दौर के महत्वपूर्ण जनसंचार माध्यम रेडियो की भाषा गढ़ने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अवध के ग्रामीण अंचलों में आकाशवाणी को लोकप्रियता दिलाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था. प्रायः उनका मूल्यांकन करते समय उनके कृतित्व का यह भाग नजरअंदाज कर दिया जाता है या अछूता रह जाता है.
पत्रकार संतोष दीक्षित ने इस अवसर पर अपने पिता स्व. लवकुश दीक्षित की एक लोकप्रिय अवधी वाणी वंदना से आयोजन की शुरुआत करते हुए कहा कि पढ़ीस जी का जन्म दिवस उनके जन्म स्थान पर मनाने की शुरुआत इस वर्ष हुई है, परन्तु अब इसे एक परम्परा का रूप दिया जायेगा और यह आयोजन प्रतिवर्ष किया जायेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्राम प्रधान कृपाशंकर शुक्ला ने पंडित जी और उनके पुत्र लवकुश दीक्षित से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे अम्बरपुर के लाल थे. इस तरह के आयोजनों से गांव की नई पीढ़ी उन्हें जानेगी.
इस अवसर पर पढ़ीस जी के पौत्र अनिल दीक्षित, पौत्रवधू शुची दीक्षित, आदित्य कुमार दीक्षित, श्रीमती बिटाना, दधीच नारायण शुक्ल, रामगोपाल दीक्षित, धर्मेन्द्र कुमार शुक्ल, अंकुर मिश्र, खुशी, मधु, दिव्या, मानसी आदि ने पढ़ीस जी के चित्र पर पुष्पार्चन किया.