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जर्जर है 84 कोसी परिक्रमा मार्ग, समस्याओं से जूझ सकते हैं श्रद्धालु - फाल्गुन मास की प्रतिपदा

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में 14 मार्च से विश्व विख्यात नैमिषारण्य क्षेत्र में होने वाले 84 कोसीय परिक्रमा मेले की शुरवात होनी है. लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा 84 कोसीय मार्ग को दुरूस्त नहीं कराया जा सका है. जिसके चलते परिक्रमार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

जर्जर है 84 कोसी परिक्रमा मार्ग
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Published : Mar 5, 2021, 2:17 PM IST

सीतापुर: जिले में प्रत्येक वर्ष के फाल्गुन मास की प्रतिपदा से विश्व विख्यात नैमिषारण्य क्षेत्र में होने वाली 84 कोसीय परिक्रमा की शुरूवात होती है. इस वर्ष 14 मार्च से परिक्रमा की शुरूवात होनी है. लेकिन अभी तक 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग को दुरूस्त नहीं कराया जा सका है. यह मार्ग बेहद ही जर्जर स्थित में बना हुआ है. वही कई स्थानों पर जल भराव की स्थित बनी हुई है.

जर्जर है 84 कोसी परिक्रमा मार्ग
ऐसे में लाखों की संख्या में नैमिषारण्य क्षेत्र के 84 कोसीय परिक्रमा मेले में देश के विभिन्न राज्यों से शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को इस बार भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि अधिकांश साधु संत, श्रद्धालु नंगे पांव पैदल परिक्रमा करते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को जर्जर सड़क के नुकीले पत्थर पीड़ा पहुंचा सकते हैं. साथ ही जल के चलते दिक्कत हो सकती है. बनगढ़ आश्रम के महंत संतोष दास खाकी का कहना है कि परिक्रमा मार्ग की सबसे बड़ी समस्या जर्जर मार्ग की है. या तो उसका डामर पूरी तरह से हटा दिया जाय, या तो उसको बढ़िया समतलीकरण करने के लिए डामरीकरण किया जाय.

सीतापुर: जिले में प्रत्येक वर्ष के फाल्गुन मास की प्रतिपदा से विश्व विख्यात नैमिषारण्य क्षेत्र में होने वाली 84 कोसीय परिक्रमा की शुरूवात होती है. इस वर्ष 14 मार्च से परिक्रमा की शुरूवात होनी है. लेकिन अभी तक 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग को दुरूस्त नहीं कराया जा सका है. यह मार्ग बेहद ही जर्जर स्थित में बना हुआ है. वही कई स्थानों पर जल भराव की स्थित बनी हुई है.

जर्जर है 84 कोसी परिक्रमा मार्ग
ऐसे में लाखों की संख्या में नैमिषारण्य क्षेत्र के 84 कोसीय परिक्रमा मेले में देश के विभिन्न राज्यों से शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को इस बार भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि अधिकांश साधु संत, श्रद्धालु नंगे पांव पैदल परिक्रमा करते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को जर्जर सड़क के नुकीले पत्थर पीड़ा पहुंचा सकते हैं. साथ ही जल के चलते दिक्कत हो सकती है. बनगढ़ आश्रम के महंत संतोष दास खाकी का कहना है कि परिक्रमा मार्ग की सबसे बड़ी समस्या जर्जर मार्ग की है. या तो उसका डामर पूरी तरह से हटा दिया जाय, या तो उसको बढ़िया समतलीकरण करने के लिए डामरीकरण किया जाय.
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