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UP Elections 2022: डुमरियागंज में फिर सुलगे पुराने मुद्दे, कमल के लिए साइकिल-हाथी फिर चुनौती

आागमी विधानसभा चुनाव को लेकर डुमरियागंज में भी सरगर्मी तेज होने लगी है. कभी बसपा, कभी सपा तो कभी पीस पार्टी के उम्मीदवार को जिताने वाली इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार विजयी हुआ था. अब पुराने मुद्दे फिर सुलगने लगे हैं. जातीय समीकरण को लेकर सभी पार्टियां जोर आजमाइश में जुट गई हैं. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि आने वाले चुनाव में इस सीट से फिर से कमल खिलेगा या फिर कोई अन्य पार्टी बाजी मारेगी. चलिए समझते हैं इस सीट का समीकरण...

डुमरियागंज विधानसभा.
डुमरियागंज विधानसभा.
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Published : Oct 10, 2021, 7:13 PM IST

सिद्धार्थनगर: यूपी के सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज विधानसभा सीट (Dumariaganj Assembly Constituency) जिले की अहम सीटों में एक मानी जाती है. इस सीट से कभी सपा के दिग्गज जीते हैं तो कभी बसपा के. एक चुनाव में पीस पार्टी के सिर पर भी जीत का सेहरा बंधा. अगर पिछले चुनाव की बात की जाए तो ये बाजी कमल ने मारी. मौजूदा समय में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. चुनाव नजदीक आने लगे हैं तो पुराने मुद्दे भी सुलगने लगे हैं. सपा-बसपा बढ़त की तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी को इस सीट पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

ये रहा चुनावी इतिहास

  • विधानसभा चुनाव 2002 में समाजवादी पार्टी के कमाल यूसुफ मलिक और भाजपा के प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ था. यहां के मतदाताओं ने 44,404 मत देकर सपा के प्रत्याशी कमाल यूसुफ मलिक को विधायक चुना था.
  • विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा के मलिक तौफीक अहमद ने 32,626 वोट पाकर सपा प्रत्याशी कमाल यूसुफ मलिक को 973 मतों से पराजित किया था. तीन वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई तो वर्ष 2010 में इस सीट पर फिर उपचुनाव करना पड़ा. उपचुनाव में मलिक तौफीक अहमद की पत्नी खातून तौफीक अहमद ने पीस पार्टी के प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडेय को पराजित कर जीत हासिल की थी.
  • विधानसभा चुनाव 2012 के चुनाव में पीस पार्टी और बसपा में काफी रोमांचक मुकाबला हुआ. पीस पार्टी के कमाल यूसुफ मलिक ने 44,428 वोट पाकर बसपा की महिला प्रत्याशी सैय्यदा खातून को 1539 मतों से शिकस्त दी थी. इसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार बनते ही उन्होंने पीस पार्टी से खुद को अलग करके एक नई पार्टी का गठन किया.
  • विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी की लहर चली तो राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा की सैय्यदा खातून को 171 वोटों से पराजित कर चुनाव जीत लिया.
डुमरियागंज विधानसभा.
डुमरियागंज विधानसभा.

ये भी पढ़ेंः किसान न्याय रैली में गरजीं प्रियंका- खुद को गंगा पुत्र कहने वाले पीएम ने किसानों का किया अपमान

विधानसभा डुमरियागंज में अल्पसंख्यक समुदाय व ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक रही है. मौजूदा समय में यहां के विधायक भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह हैं. यहां हमेशा सपा-बसपा और भाजपा में कांटे का मुकाबला रहा है. इस सीट से कमाल यूसुफ मालिक पांच बार विधायक बने. तीन चुनाव तो उन्होंने लगातार जीते. इसके बाद दो बार वह फिर चुने गए. इस बार सपा और बसपा से टिकट की आस लगाए उम्मीदवारों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, जातीय समीकरण को लेकर भी पार्टियां माथापच्ची करने में जुट गई हैं. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा वोटों को कैसे खींचा जाए.

एक नजर मतदाताओं पर

पुरुष मतदाता 2,13,950
महिला मतदाता 1,75,050

कुल मतदाता

3,89,000

ये रहीं प्रमुख समस्याएं

नगर पंचायत डुमरियागंज का गठन 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद हुआ. बाकी दो नगर पंचायत भारत भारी एवं बढ़नी चाफ़ा का गठन 2017 में भाजपा की सरकार में हुआ. यहां के ज्यादातर गांवों की सड़कें जर्जर हैं. स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं. बिजली की समस्या भी है. ऐसे कई मुद्दे इस बार इस सीट के मुकाबले को कड़ा कर सकते हैं.

सिद्धार्थनगर: यूपी के सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज विधानसभा सीट (Dumariaganj Assembly Constituency) जिले की अहम सीटों में एक मानी जाती है. इस सीट से कभी सपा के दिग्गज जीते हैं तो कभी बसपा के. एक चुनाव में पीस पार्टी के सिर पर भी जीत का सेहरा बंधा. अगर पिछले चुनाव की बात की जाए तो ये बाजी कमल ने मारी. मौजूदा समय में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. चुनाव नजदीक आने लगे हैं तो पुराने मुद्दे भी सुलगने लगे हैं. सपा-बसपा बढ़त की तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी को इस सीट पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

ये रहा चुनावी इतिहास

  • विधानसभा चुनाव 2002 में समाजवादी पार्टी के कमाल यूसुफ मलिक और भाजपा के प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ था. यहां के मतदाताओं ने 44,404 मत देकर सपा के प्रत्याशी कमाल यूसुफ मलिक को विधायक चुना था.
  • विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा के मलिक तौफीक अहमद ने 32,626 वोट पाकर सपा प्रत्याशी कमाल यूसुफ मलिक को 973 मतों से पराजित किया था. तीन वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई तो वर्ष 2010 में इस सीट पर फिर उपचुनाव करना पड़ा. उपचुनाव में मलिक तौफीक अहमद की पत्नी खातून तौफीक अहमद ने पीस पार्टी के प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडेय को पराजित कर जीत हासिल की थी.
  • विधानसभा चुनाव 2012 के चुनाव में पीस पार्टी और बसपा में काफी रोमांचक मुकाबला हुआ. पीस पार्टी के कमाल यूसुफ मलिक ने 44,428 वोट पाकर बसपा की महिला प्रत्याशी सैय्यदा खातून को 1539 मतों से शिकस्त दी थी. इसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार बनते ही उन्होंने पीस पार्टी से खुद को अलग करके एक नई पार्टी का गठन किया.
  • विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी की लहर चली तो राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा की सैय्यदा खातून को 171 वोटों से पराजित कर चुनाव जीत लिया.
डुमरियागंज विधानसभा.
डुमरियागंज विधानसभा.

ये भी पढ़ेंः किसान न्याय रैली में गरजीं प्रियंका- खुद को गंगा पुत्र कहने वाले पीएम ने किसानों का किया अपमान

विधानसभा डुमरियागंज में अल्पसंख्यक समुदाय व ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक रही है. मौजूदा समय में यहां के विधायक भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह हैं. यहां हमेशा सपा-बसपा और भाजपा में कांटे का मुकाबला रहा है. इस सीट से कमाल यूसुफ मालिक पांच बार विधायक बने. तीन चुनाव तो उन्होंने लगातार जीते. इसके बाद दो बार वह फिर चुने गए. इस बार सपा और बसपा से टिकट की आस लगाए उम्मीदवारों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, जातीय समीकरण को लेकर भी पार्टियां माथापच्ची करने में जुट गई हैं. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा वोटों को कैसे खींचा जाए.

एक नजर मतदाताओं पर

पुरुष मतदाता 2,13,950
महिला मतदाता 1,75,050

कुल मतदाता

3,89,000

ये रहीं प्रमुख समस्याएं

नगर पंचायत डुमरियागंज का गठन 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद हुआ. बाकी दो नगर पंचायत भारत भारी एवं बढ़नी चाफ़ा का गठन 2017 में भाजपा की सरकार में हुआ. यहां के ज्यादातर गांवों की सड़कें जर्जर हैं. स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं. बिजली की समस्या भी है. ऐसे कई मुद्दे इस बार इस सीट के मुकाबले को कड़ा कर सकते हैं.

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