ETV Bharat / state

गिड़गिड़ाते रहे परिजन..डॉक्टर ने नहीं खोला गेट का ताला, मरीज की मौत

सिद्धार्थनगर जिले में लापरवाही के चलते मरीज की मौत हो गई. पीड़ित परिवार का आरोप है कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने गेट नहीं खोला जिसके चलते इलाज ना मिलने से मरीज की मौत हो गई.

अस्पताल बंद होने के कारण एंबुलेंस में मरीज की मौत
अस्पताल बंद होने के कारण एंबुलेंस में मरीज की मौत
author img

By

Published : Apr 30, 2021, 8:05 PM IST

सिद्धार्थनगर : जिले में शोहरतगढ़ सीएचसी पर इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो गई. प्रशासन ने इस घटना पर सख्त तेवर दिखाते हुए एंबुलेंस के चालक और इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ को दोषी मानते हुए मुकदमा दर्ज करने की बात कही है. वहीं, सीएचसी अधीक्षक डॉ. पीके वर्मा ने डॉक्टरों का बचाव करते हुए एंबुलेंस चालक और ईएमटी पर कार्रवाई किए जाने की बात कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के मड़वा गांव निवासी बालमुकुंद दुबे पिछले 5-6 दिनों से कोरोना के लक्षण से परेशान थे. 28 अप्रैल को सेहत खराब होने पर उनकी पत्नी और भाई उन्हें एंबुलेंस से सीएचसी शोहरतगढ़ ले गए. लेकिन सीएचसी का गेट बंद होने से एंबुलेंस ड्राइवर और ईएमटी पीड़ित परिवार को मुख्य द्वार पर छोड़कर चले गए. इस दौरान पीड़िता की पत्नी इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर यूसुफ को बुलाती रही लेकिन गेट नहीं खोला गया. वहीं, 2 घंटे बाद मरीज की मौत हो गई.

इसे भी पढ़ें-मुख्यमंत्री ने आयुष चिकित्सकों से कोविड की लड़ाई में योगदान का किया आह्वान

एडिशनल सीएमओ को सौंपी जांच

सीएचसी अधीक्षक डॉ. पी.के वर्मा ने कहा कि एंबुलेंस कर्मी मरीज को चिकित्सक को सौंपने की बजाय गेट पर ही उसे छोड़कर चले गए. इसके चलते वह दोषी हैं और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. वहीं, जब एंबुलेंस चालक से पूछा गया तो उसने बताया कि इमरजेंसी गेट डॉ. यूसुफ ने अंदर से लॉक कर रखा था.

कई बार बुलाने पर भी गेट नहीं खोला गया. इसी बीच दूसरे केस के लिए फोन आ गया. फोन आने के बाद अधिक समय तक नहीं रुक सकते थे, इसलिए छोड़ कर जाना पड़ा. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्र विजय विश्वकर्मा ने मामले का संज्ञान लेते हुए एडिशनल सीएमओ डॉ. एके आजाद को मामले की जांच सौंपी है.

पीड़ित परिवार ने लगाया आरोप

चिकित्सक को दोषी मानने के बजाय सीएचसी अधीक्षक एंबुलेंस चालक और ईएमटी को दोषी मान रहे हैं. वहीं, पीड़ित परिजनों का कहना है कि जब गेट अंदर से लॉक था तो खोला क्यों नहीं गया. इसमें डॉक्टर भी बराबर के दोषी हैं.

सिद्धार्थनगर : जिले में शोहरतगढ़ सीएचसी पर इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो गई. प्रशासन ने इस घटना पर सख्त तेवर दिखाते हुए एंबुलेंस के चालक और इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ को दोषी मानते हुए मुकदमा दर्ज करने की बात कही है. वहीं, सीएचसी अधीक्षक डॉ. पीके वर्मा ने डॉक्टरों का बचाव करते हुए एंबुलेंस चालक और ईएमटी पर कार्रवाई किए जाने की बात कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के मड़वा गांव निवासी बालमुकुंद दुबे पिछले 5-6 दिनों से कोरोना के लक्षण से परेशान थे. 28 अप्रैल को सेहत खराब होने पर उनकी पत्नी और भाई उन्हें एंबुलेंस से सीएचसी शोहरतगढ़ ले गए. लेकिन सीएचसी का गेट बंद होने से एंबुलेंस ड्राइवर और ईएमटी पीड़ित परिवार को मुख्य द्वार पर छोड़कर चले गए. इस दौरान पीड़िता की पत्नी इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर यूसुफ को बुलाती रही लेकिन गेट नहीं खोला गया. वहीं, 2 घंटे बाद मरीज की मौत हो गई.

इसे भी पढ़ें-मुख्यमंत्री ने आयुष चिकित्सकों से कोविड की लड़ाई में योगदान का किया आह्वान

एडिशनल सीएमओ को सौंपी जांच

सीएचसी अधीक्षक डॉ. पी.के वर्मा ने कहा कि एंबुलेंस कर्मी मरीज को चिकित्सक को सौंपने की बजाय गेट पर ही उसे छोड़कर चले गए. इसके चलते वह दोषी हैं और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. वहीं, जब एंबुलेंस चालक से पूछा गया तो उसने बताया कि इमरजेंसी गेट डॉ. यूसुफ ने अंदर से लॉक कर रखा था.

कई बार बुलाने पर भी गेट नहीं खोला गया. इसी बीच दूसरे केस के लिए फोन आ गया. फोन आने के बाद अधिक समय तक नहीं रुक सकते थे, इसलिए छोड़ कर जाना पड़ा. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्र विजय विश्वकर्मा ने मामले का संज्ञान लेते हुए एडिशनल सीएमओ डॉ. एके आजाद को मामले की जांच सौंपी है.

पीड़ित परिवार ने लगाया आरोप

चिकित्सक को दोषी मानने के बजाय सीएचसी अधीक्षक एंबुलेंस चालक और ईएमटी को दोषी मान रहे हैं. वहीं, पीड़ित परिजनों का कहना है कि जब गेट अंदर से लॉक था तो खोला क्यों नहीं गया. इसमें डॉक्टर भी बराबर के दोषी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.