श्रावस्ती : उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे में जिले के भी छह मजदूर फंसे हैं. कई दिनों से उनके परिवार के लोग काफी परेशान हैं. वे न तो ठीक से खाना खा रहे हैं, और न ही ठीक से सो पा रहे हैं. हर वक्त उनकी आंखें अपनों के आने की राह देखती हैं. पल-पल की जानकारी के लिए वे हर वक्त मोबाइल लिए बैठे रहते हैं. गांव में पहुंचकर कोई घटना का जिक्र कर दे तो रो पड़ते हैं. हमेशा यही कहते हैं, हम गरीब हैं, बहुत उम्मीद लेकर उनके परिवार के सदस्य कमाने गए थे. अब सपनों के टूटने की फिक्र सताने लगी है. उन्हें कुछ अच्छा नहीं लगता, कभी घर की दहलीज तो कभी बरामदे में गुमसुम बैठे रहते हैं.
कई दिनों से घरों में नहीं जले चूल्हे : टनल में कुल 41 मजदूर फंसे हैं. सात दिन के बावजूद उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका है. श्रावस्ती के छह लोग भी टनल में फंसे हैं. इनमें से कोई किसी का बेटा है तो कोई किसी का पति. सभी परिवारों में कई दिनों से चूल्हें नहीं जल रहे हैं. उनका हौसला बढ़ाने के लिए रिश्तेदार पहुंच रहे हैं. पड़ोसियों व गांव के लोग भी समझा-बुझा रहे हैं. परिवार को लोगों ने खाना भी छोड़ दिया है. बहुत कहने पर बिस्कुट-पानी ले लेते हैं. उनका दर्द देखकर कई बार दिलासा देने वालों भी टूट जा रहे हैं.
गांव के 20 लोग गए थे मजदूरी करने : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गांव पंचायत मोतीपुर कला गांव की आबादी तकरीबन छह हजार है. यहां थारू जनजाति के लोग हैं. यहां के अधिकांश युवा रोजगार के सिलसिले में उत्तराखंड, गुजरात व मुंबई जाते हैं. गांव के राम मिलन, सत्यदेव, रामसुंदर, अंकित, जय प्रकाश, संतोष कुमार समेत 20 लोग 10 अगस्त को उत्तराखंड मजदूरी के लिए गए थे. वहां वह टनल में काम करते समय फंस गए. अपने पति सत्यदेव का इंतजार में रो-रोकर रामरती की आंखें पथरा गईं हैं. रह- रहकर वह बदहवास हो जाती हैं. सात दिन से उन्होंने कुछ नहीं खाया. गांव में अजीब सन्नाटा पसरा है. राम मिलन की पत्नी सुनीता देवी को भी कुछ सूझ नहीं रहा. राम सुंदर की पत्नी शीला, अंकित की पत्नी भूमिका चौधरी भी अपने पतियों की याद में लगातार रोए जा रहीं हैं.
अपनों की कुशलक्षेम जानने को लगातार कर रहे फोन : जय प्रकाश के पिता ज्ञानू कहते हैं कि उनका लाल घर जरूर आएगा. इसी उम्मीद में वह आने-जाने वाले लोगों से उत्तराखंड आपदा के बारे में पूछते रहते हैं. विशेश्वर भी बेटे संतोष का इंतजार कर रहे हैं. राम सुंदर के पिता मनीराम भी बेटे के लिए बिलख उठते हैं. हमेशा फोन लगाकर बचाव कार्य का जायजा लेते रहते हैं. पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा ने भी पीड़ित परिवारों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया.
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