श्रावस्तीः पंचायत चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. इस साल परिसीमन में 3 गांव पंचायतों को नगर पालिका भिनगा में समाहित कर दिया गया है. इसके पहले 2015 में हुये चुनाव के दौरान जिले में 4 सौ ग्राम पंचायते थीं.
खत्म होने वाला है इंतजार, जल्द ही आ सकता है चुनाव का डेट
अब ग्राम पंचायत, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान आने वाले दिनों में कभी भी हो सकता है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीतिक गोटियां सेट करने में लग गये हैं. प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आने-वाले चुनाव के दौरान ग्रामीण मतदाता तय करेंगे. बीते पांच सालों के दौरान ग्राम पंचायतों में हुये विकास के कामों की नब्ज टटोलने के साथ ही ग्रामीण मतदाता के मन की बात को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने श्रावस्ती के कई गांवों का दौरा किया. इस दौरान हमारी टीम ने जिला मुख्यालय भिनगा से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कलस्टर गांव चहलवा पहुंचकर विकास के कामों को बड़े ही करीब से देखा.
विकास योजनाओं में लगे करोड़ों
डॉक्टर स्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन योजना के तहत गांव के विकास के लिए करोड़ों की लागत से कई काम किये गये, और कुछ चल भी रहे हैं. पेयजल व्यवस्था के लिए 419.03 लाख रुपये खर्च कर गांव में पाइप लाइन बिछायी जा रही है. प्राथमिक विद्यालयों की बाउंड्री वाल, छात्रों के खाने के लिए कक्ष, शवदाह स्थल, गांव के प्रमुख मार्गों पर इंटरलाकिंग के काम कराये गये हैं.
गांव की गलियों में नहीं पहुंचा विकास
गांव के गलियों की सड़कें टूटी-फूटी दिखाई हुईं हैं. ग्रामीणों के मुताबिक बरसात के दिनों में उनका जीवन नारकीय बन जाता है. सड़कों पर जलजमाव की स्थिती बन रहती है.
गांव के अंदर लोगो के घरों के सामने बनी नालियां टूटी-फूटी हैं. इसके साथ ही वो गंदगी से भी पटी पड़ी हुई हैं. उनके जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते समस्या से निजात मिलता नहीं दिख रहा है.
नियमित नहीं आते है सफाईकर्मी
ग्रामीणों ने अपने दर्द को बयां करते हुए बताया कि गांव के लिए जिस सफाईकर्मी की ड्यूटी लगायी गयी है. वो कभी-कभार ही गांव आता है, जिसके चलते नालियों की सफाई का काम नहीं हो पाता. गंदी नालियों की वजह से मच्छरों का प्रकोप बना रहता है. इसके साथ ही संक्रामक बीमारियों का खतरा भी मंडराता रहता है.
चहेतों को मिलता है सरकारी योजनाओं का लाभ
ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में जो भी योजनायें आती हैं, प्रधान सबसे पहले अपने चहेतों को दे देते हैं. फिर भले ही वो अपात्र ही क्यों न हो. जबकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो पात्र होते हुए भी शौचालय और आवास जैसी योजनाओं से वंचित हैं.