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राप्ती की बाढ़ में घिरे गांवों में दो दिनों से नहीं जले चूल्हे, छतों पर पन्नी तानकर रह रहे लोग

श्रावस्ती के जमुनहा में उफनाई राप्ती नदी की बाढ़ में घिरे गांवों के लोग भूखे प्यासे हैं. इनके बच्चों के लिए रोटी नहीं है तो मवेशियों के लिए चारे का संकट है. मूसलाधार बारिश के बीच आई बाढ़ से लोग घर की छतों पर पन्नी तानकर रह रहे हैं.

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राप्ती की बाढ़ में घिरे गांव
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Published : Sep 19, 2022, 11:53 AM IST

श्रावस्ती: राप्ती नदी का जलस्तर लाल निशान से ऊपर बह रहा है. ऐसे में तटवर्ती गांवों के हालात बद से बदतर हो गए हैं. राप्ती किनारे के वीरपुर कथरा, लौकिहा हसनापुर बंरगा, सलारू, पुरवा, पिपरहवा, जोगिया, शमशेरगढ़, मोहनपुर, गजोबरी, भरथा, चमारन, पुरवा, हसनापुर, बेलरी, गंगाभागड़ आदि गांवों में पानी भर जाने के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है.

घरों में पानी भर जाने से लोग छतों पर टेंट और पन्नी तानकर रातें गुजार रहे हैं. उप जिलाधिकारी जमुनहा सौरभ शुक्ला, थाना प्रभारी निरीक्षक हर्षवर्धन सिंह ने क्षेत्र का रात भर भ्रमण किया. अब प्रशासन ने क्षेत्र के लेखपाल और अन्य कर्मचारियों को गांव में भेजकर लंच पैकेट बंटवाने का कार्य शुरू किया है.

इसे भी पढ़े-बाढ़ में CM योगी का रेड कार्पेट वेलकम, विपक्ष का निशाना- यही है डबल इंजनवाली सोच

उपजिलाधिकारी जमुनहा सौरभ शुक्ला ने बताया कि बाढ़ से घिरे गांवों में लंच पैकेट बंटवाया जा रहा है. बाढ़ से प्रभावित गांवों और परिवारों की सूची तैयार की जा रही है. विडम्बना यह है कि चारों तरफ बाढ़ से घिरे सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों के लिए फौरी इंतजाम नहीं किए गए हैं.

वीरपुर निवासी पटमेश्वरी पाठक, श्यामता पाठक, जगदीश प्रसाद और उमेश चंद ने बताया कि प्यास लगने पर प्रशासन कुंआ खोदता है. बाढ़ आने से पहले तैयारी सिर्फ कागजों पर होती है. कथरा के राजकुमार वर्मा गोविंद प्रसाद कहते हैं कि तमाम परिवार घरों में पानी भर जाने से छतों पर रह रहे हैं. लोगों के घरों में दो दिनों से चूल्हा नहीं जला है. जबकि, कुछ लोग किसी तरह उपाय कर छतों पर ही भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं.

यह भी पढ़े-श्रावस्ती में बढ़ रहा राप्ती का जलस्तर, 50 गांवों पर मंडराया बाढ़ का खतरा

श्रावस्ती: राप्ती नदी का जलस्तर लाल निशान से ऊपर बह रहा है. ऐसे में तटवर्ती गांवों के हालात बद से बदतर हो गए हैं. राप्ती किनारे के वीरपुर कथरा, लौकिहा हसनापुर बंरगा, सलारू, पुरवा, पिपरहवा, जोगिया, शमशेरगढ़, मोहनपुर, गजोबरी, भरथा, चमारन, पुरवा, हसनापुर, बेलरी, गंगाभागड़ आदि गांवों में पानी भर जाने के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है.

घरों में पानी भर जाने से लोग छतों पर टेंट और पन्नी तानकर रातें गुजार रहे हैं. उप जिलाधिकारी जमुनहा सौरभ शुक्ला, थाना प्रभारी निरीक्षक हर्षवर्धन सिंह ने क्षेत्र का रात भर भ्रमण किया. अब प्रशासन ने क्षेत्र के लेखपाल और अन्य कर्मचारियों को गांव में भेजकर लंच पैकेट बंटवाने का कार्य शुरू किया है.

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उपजिलाधिकारी जमुनहा सौरभ शुक्ला ने बताया कि बाढ़ से घिरे गांवों में लंच पैकेट बंटवाया जा रहा है. बाढ़ से प्रभावित गांवों और परिवारों की सूची तैयार की जा रही है. विडम्बना यह है कि चारों तरफ बाढ़ से घिरे सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों के लिए फौरी इंतजाम नहीं किए गए हैं.

वीरपुर निवासी पटमेश्वरी पाठक, श्यामता पाठक, जगदीश प्रसाद और उमेश चंद ने बताया कि प्यास लगने पर प्रशासन कुंआ खोदता है. बाढ़ आने से पहले तैयारी सिर्फ कागजों पर होती है. कथरा के राजकुमार वर्मा गोविंद प्रसाद कहते हैं कि तमाम परिवार घरों में पानी भर जाने से छतों पर रह रहे हैं. लोगों के घरों में दो दिनों से चूल्हा नहीं जला है. जबकि, कुछ लोग किसी तरह उपाय कर छतों पर ही भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं.

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