सहारनपुर :2014लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनाने के बाद पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहतहर सांसद को पांच साल में अपने क्षेत्र के तीन गांव गोद लेकर आदर्श बनाने के निर्देश दिए गए थे. मगरसांसदों ने एक भी गांव कोआदर्श नहीं बनाया.ऐसी ही बानगीसांसद राघव लखनपाल शर्मा द्वारा गोद लिये गांव शब्बीरपुर में देखने को मिली है. इस गांव को गोद लेने के बाद भी यहांविकास कार्यों का टोटा पड़ा हुआ है. ऐसे मेंग्रामीणों में सांसद के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.
यही वजह है कि ग्रामीणों सांसद राघव लखनपाल शर्मा को वोट देने के बजायपीएम मोदी के नाम पर वोट देने की बात कर रहे हैं.ग्रामीणों का कहना है कि सांसद साहब गांव गोद लेने के बाद भी उनकी कोई सुध नहीं ली है.हालांकि, सांसद राघव लखनपाल ने बताया कि शब्बीरपुर में साढ़े तीन करोड़ रुपये का काम कर दिया गया हैऔर पांच करोड़ का काम और कराया जाना है.बता दें कि मई 2017 में दलित और ठाकुर समाज के बीच हुई जातीय हिंसा में सुलगा गांव शब्बीरपुर सुर्खियों में आया था.इस दौरान शब्बीरपुर में ठाकुर और दलित समाज के बीच जमकर खुनी संघर्ष हुआ था.
जातीय हिंसा के बाद शब्बीरपुर गांव को लेकर खूब राजनीति हुई,जिसके बाद स्थानीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा द्वारा इस गांव को गोद लेकर न सिर्फ ग्रामीणों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की गई बल्कि गांव कोआदर्श गांव बनाने का सपना भी दिखाया गया.सांसद द्वारा गोद लेने के बादग्रामीणों मेंएक उम्मीद जगी थी कि अब उनके गांवमें भी शहर जैसी सुविधाएं देखने को मिलेंगी.उनके गांव में भी अस्पताल औरकॉलेज बनेंगे. साथ ही,उन्हें भी 24 घंटेबिजली का लाभ मिलेगालेकिन सांसद के गोद लेने केडेढ़ साल बाद भी यह गांव अपनी बदहाली पर रो रहा है.
इसके बावजूद लोकसभा चुनाव आते ही ग्रामीणों को एक बार फिर वोट के लिए रिझाने की कोशिश की जा रही है.मगर ग्रामीणों ने सांसद राघव लखनपाल शर्मा को वोट देने से इनकार कर दिया है.ग्रामीणों का आरोप है कि सांसद साहब ने जब से गांव को गोद लिया है तब से यहां आकर भी नहींदेखा.ग्रामीणों का दो टूक कहना है कि वो सिर्फ पीएम मोदी के नाम पर वोट करेंगे.चाहे कोई भी टिकेट लेकर आ जायेलेकिन वे सांसद से पूरी तरह खफा हैं.