सहारनपुर: केंद्र की मोदी सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रही है. वहीं सहारनपुर के एक किसान ने कर्ज से मुक्ति पाने के लिए न सिर्फ अपनी किडनी नीलाम करने का फैसला लिया है बल्कि केंद्र सरकार के दावों की भी पोल खोल दी है. इस 35 वर्षीय किसान ने सोशल मीडिया पर किडनी बेचने का विज्ञापन पोस्ट किया है. खास बात यह है कि किडनी खरीदने के लिए 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक की बोली लग चुकी है.
बैंक की कार्यशैली पर उठे सवाल
तहसील नकुड़ इलाके के चत्तरसाली गांव के रहने वाले रामकुमार नाम का किसान बसपा, सपा और बीजेपी सरकार में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत डेयरी फार्मिंग की तीन बार ट्रेनिंग ले चुका है. योजना के मुताबिक, ट्रेनिंग करने वाले किसानों को स्वरोजगार योजना के तहत दुधारू पशु पालन के लिए करोड़ों रुपये का लोन उपलब्ध कराया जाता है. इसके बावजूद रामकुमार के पास तीन-तीन सर्टिफिकेट होने के बाद भी किसी बैंक ने ऋण देना तो दूर आवेदन तक स्वीकार नहीं किया.
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साहूकारों से किसान को लेना पड़ा कर्ज
रामकुमार के मुताबिक, वह लगातार 10 बार ऋण के लिए आवेदन कर चुका है. बावजूद इसके बैंकों ने इसकी कोई सुनवाई नहीं की. जैसे-तैसे रामकुमार ने साहूकारों से 10 लाख रुपये का कर्ज लेकर गांव में दूध की डेयरी खोली थी, लेकिन सिवाय घाटे के उसके हाथ कुछ नहीं लगा. लगातार नुकसान से वह कर्ज के तले दबता चला गया, जिसके बाद उसने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक शिकायत की. बावजूद इसके रामकुमार को ऋण मिलना तो दूर उसकी ठीक से सुनवाई भी नही हुई.
सोशल मीडिया पर दिया किडनी बेचने का विज्ञापन
चारों ओर से निराश होकर कर्ज से पीछा छुड़ाने के लिए रामकुमार ने अपनी किडनी की नीलाम करने का फैसला लिया है. रामकुमार ने तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर किडनी बेचने का विज्ञापन पोस्ट कर दिया. जैसे ही किडनी बेचने का विज्ञापन सोशल मीडिया पर आया तो वह तेजी से वायरल हो गया.
लगातार लोगो के कमेंट आने के साथ ही खरीदारों ने बोली लगानी भी शुरू कर दी. दुबई और सऊदी अरब के जरूरतमंदों ने 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की बोली लगाई है.
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सरकारी दावों की खुली पोल
रामकुमार ने बताया कि वह एक बेरोजगार किसान है. उसने 2007 में डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग की थी. उसके बाद 2016 में और 2018 में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ट्रेनिंग करके आया था. इस दौरान अधिकारियों ने इनको बताया था कि इन सर्फिकेट के आधार पर किसानों को वितीय सहायता और अन्य ऋण की सुविधायें मिलेंगीं ताकि किसान अपना रोजगार शुरू कर सके. लेकिन पिछले 8 महीनों से वह बैंकों और अधिकारियों के चक्कर काट रहे है. बावजूद इसके लोन के नाम पर रामकुमार को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली.
लोन न मिलने की वजह से मैने अपनी किडनी बेचने के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन दिया है. इससे जो रुपये मिलेंगे, उससे मैं साहूकारों का कर्ज उतार कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकूंगा.
-रामकुमार, पीड़ित किसान