शामली: जिले में बहुजन क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने डॉ. कफील खान समेत एनआरसी के विरोध में जेल भेजे गए तमाम लोगों की रिहाई की मांग की है. कार्यकर्ताओं ने सरकार से जेनएयू, जामिया मिलिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों पर लगे मुकदमे भी हटाने के लिए आवाज उठाई है.
बहुजन क्रांति मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन डीएम शामली को भेजा. ज्ञापन में लिखा है कि प्रदेश सरकार की लापरवाही से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 70 बच्चों की मौत हुई, जहां पर तैनात डॉ. कफील खान ने 300 बच्चों की जान बचाई. ज्ञापन में राष्ट्रपति से रासुका के तहत जेल में बंद डॉ. कफील खान की रिहाई की मांग की गई है.
कर रहे रिहाई की मांग
यह भी बताया है कि प्रजातंत्र में सरकार की नीतियों का संवैधानिक तरीके से विरोध मौलिक अधिकार है. इस अधिकार के तहत एनपीआर, सीएए और एनआरसी का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों को सरकार ने लॉकडाउन का सहारा लेकर जेल भेज दिया है. बहुजन क्रांति मोर्चा ने जेल भेजे गए आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग भी की है.
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप
ज्ञापन में जेएनयू, जामिया मिलिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ न करते हुए उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे भी वापस लेने की मांग भी राष्ट्रपति से की गई. बहुजन क्रांति मोर्चा के जिला संयोजक राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में बहुजन क्रांति मोर्चा विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार द्वारा निर्देशित नियमों का अनुपालन कर रहा है.
डॉ. कफील से रासुका हटाने की मांग
उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि निर्दोषों पर की गई कार्रवाई वापस नहीं ली, तो भविष्य में मोर्चा के कार्यकर्ता आंदोलन करने के लिए भी बाध्य होंगे. उन्होंने कहा कि सरकारें शक की बुनियाद पर गिरफ्तारियां बंद करें. डॉ. कफील खान पर लगी रासुका हटाकर उन्हें जेल से रिहा कर उचित सुरक्षा प्रदान की जाए. इसके साथ ही संवैधानिक दायरे में रहकर प्रदर्शन करने वाले लोगों पर थोपे गए मुकदमे भी वापस लिए जाएं.