शामली: जिले के भैंसवाल गांव में किसानों की महापंचायत का आयोजन किया गया. महापंचायत के लिए रालोद जिलाध्यक्ष योंगेंद्र सिंह चेयरमैन द्वारा जिला प्रशासन से अनमुति मांगी गई थी. प्रशासन ने अनुमति देने से इंकार कर दिया था, जिले में धारा 144 भी लागू कर दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी महापंचायत का आयोजन हुआ. अनुमति न मिलने को लेकर रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी महापंचायत में बीजेपी सरकार पर हमलावर दिखे. अपने संबोधन के दौरान जयंत चौधरी बोले कि 'योगी जी आप अपने माथे पर धारा 144 छपवा लो, हम तो फिर भी नही रूकेंगे'. जयंत ने यह भी कहा कि अब हालात ऐसे हो गए है कि भाजपाईयों को दूसरा ही झंडा थामना पड़ेगा.
जयंत बोले: बीजेपी को बदलना पड़ जाएगा झंड़ाअपने संबोधन को शुरू करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि हमें पता चला कि प्रशासन द्वारा महापंचायत की अनुमति नही दी गई. यहां पर धारा 144 लगा दी गई. उन्होंने कहा कि 'योगी जी आपका माथा बहुत बड़ा है. माथे पर धारा 144 छपवा लो, हम तो फिर भी ना रूकें हम ना तो आज रूके, ना कल रूके, रोक सको तो रोक लो’. जयंत अपने संबोधन के दौरान प्रदेश की योगी सरकार पर पूरी तरह से हमलावर नजर आए. उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में लोकतंत्र नहीं है, यहां पर तो गाड़ी में बैठाकर गाड़ी पलट देते हैं. जयंत चौधरी ने कहा कि सरकार गाजीपुर बाॅर्डर पर भी ऐसा ही करना चाहती थी.
किसान नहीं कर सकता तिरंगे का अपमान जयंत चौधरी ने कहा कि कोई भी किसान तिरंगे झंडे का अपमान नहीं कर सकता. आज की महापंचायत को ही देख लो, सभी किसान तिरंगा झंडा लेकर चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे भाई इसी तिरंगे में लिपटकर वापस लौटते हैं और उसके घर के लोग तिरंगे का मान रखने के लिए आंसू भी नहीं बहाते. जयंत चौधरी ने कहा कि हम सभी को धर्म और जाति से ऊपर उठकर अब आगे बढ़ना है. जयंत ने कहा कि सरकार ने सिंघु बार्डर की तरह गाजीपुर बार्डर पर भी हिंसा की साजिश रची थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई.
इन लोगों को नहीं परिवार का पता
जयंत चौधरी ने कहा कि जिन लोगों को आपने कुर्सी पर बैठाया है, उन्हें परिवार के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है. उन्हें परिवार से कुछ लेना-देना नहीं है. जो भी व्यक्ति परिवार की जिम्मेदारी संभालता है, वह सब कुछ जानता है. वो व्यक्ति नई पीढ़ी को भी आगे बढ़ाने की कला जानता है. उन्होंने कहा कि मुझे बड़ी खुशी है कि हमारी नई पीढ़ी और नौजवान जाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये जानते है कि सिर्फ खेती से गुजारा नहीं है, लेकिन अगर आज हम किसान बनकर किसान की तरफ से लड़ेंगे नहीं तो आगे और भी कमजोरी हो जाएगी.
काहे का सुधार चाहती है सरकार
जयंत चौधरी ने कहा कि आखिर सरकार किसानों में काहे का सुधार चाहती है. यदि सरकार सुधार चाहती तो किसानों को बिजली और पेट्रोल-डीजल में सब्सिडी देती. किसानों का भुगतान समय से कराया जाता. किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुरक्षित करती, लेकिन हम सब जानते है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. किसी भी फसल पर किसान को मंडी में एमएसपी नहीं मिल रही. हमारे किसान जानते है कि खेती महंगी होती जा रही है. खेती करने में बडा निवेश भी करना पड़ता है. किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए लंबी-लंबी तारें भी लगानी पड़ती हैं. खर्चे बढ़ गए हैं, लागत बढ़ गई है, लेकिन बैंक वाले आज भी किसान का शोषण कर रहे हैं. अगर सुधार करना था तो सरकार इस व्यवस्था में सुधार कर सकती थी.
दिखाई दे रहा सरकार का अहंकार
रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि सरकार अहंकारी हो गई है. दिल्ली पुलिस ने स्वीडन की मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग पर मुकदमा दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि अब सरकार उन्हें गिरफ्तार कहां करेगी. यह सब सरकार का अहंकार है, जो अब झलक रहा है. इसके अलावा उन्होंने पत्रकार मनदीप पूनिया, हरियाणा के एक्स आर्मी मैन गुरूमुख सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री के गांव के व्यक्ति जीत सिंह को किसानों की आवाज उठाने पर प्रताड़ित करने का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि इससे सरकार क्या साबित करना चाहती है.
रालोद का किसान मंच बन गया चुनावी मंच
भैंसवाल गांव में हुई किसान महापंचायत को आयोजकों द्वारा सिर्फ किसानों का मंच होने का प्रचार किया गया था. इसके तहत किसान महापंचायत में कांग्रेस-सपा और अन्य राजनैतिक दलों समेत किसान संगठनों के लोग भी पहुंचे थे, लेकिन मंच से बोलने वाले कुछ वक्ताओं ने महापंचायत के मंच को पूरी तरह से 2022 के लिए रालोद के चुनावी प्रचार का मंच बना दिया. मंच से रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को मुख्यमंत्री तक बनाने की अपील हो गई, इससे मंच पर बैठे अन्य पार्टियों के नेता भी आहत हुए.
नहीं दी गई थी परमीशन
महापंचायत के लिए रालोाद जिलाध्यक्ष योंगेंद्र सिंह चेयरमैन द्वारा जिला प्रशासन से अनमुति मांगी गई थी. प्रशासन ने अनुमति देने से इंकार कर दिया था, जिले में धारा 144 भी लागू कर दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी महापंचायत का आयोजन हुआ. सुबह से ही महापंचायत पर कई थानों की फोर्स व आरआरएफ के जवानों को तेनात कर दिया गया था. एसडीएम शामली, एसडीएम कैराना समेत कई सीओ भी मौके पर मौजूद रहे, हालांकि अनुमति ना होने के बावजूद भी पुलिस द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी भी किसान को महापंचात में शामिल होने से नहीं रोका गया.