शामली: कैराना के कांधला रोड पर चल रहा मीम एग्रो प्लांट(मीट प्लांट) पिछले कई सालों से कैराना के आवाम को दर्द दे रहा है. आबादी के बीच में चल रहे इस मीट प्लांट से निकलने वाली भीषण दुर्गंध और प्रदूषण पिछले कई सालों से कैराना की पहचान बन चुकी है. प्लांट में रोजाना होने वाले सैकड़ों पशुओं के कटान के अवशेष भी कई बार इधर-उधर फैले नजर आ चुके हैं, जबकि यहां पर अवैध रूप से पशुओं के कटान के मामले भी देखने को मिल चुके हैं. इन सबके बावजूद भी प्रदूषण का वाहक बना यह मीट प्लांट घनी आबादी के बीच धड़ल्ले से संचालित किया जा रहा है.
परेशान लोग घर बेचने के लिए तैयार
मीट प्लांट को बंद कराने या आबादी से बाहर शिफ्ट करने की मांग पूर्व की समाजवादी पार्टी के शासनकाल से ही चली आ रही है, लेकिन इसे प्लांट संचालकों की धाक कहें, या फिर पैसों का रूतबा, फिलहाल योगी राज में भी इस मीट प्लांट का कोई बाल भी बांका करता नजर नहीं आ रहा है. मीट प्लांट से उठने वाली भयंकर बदबू और बीमारियों में इजाफा होने की वजह से फिलहाल आसपास की आबादी बुरी तरह से त्रस्त हो गई है. इसमें ऐसे भी कई लोग हैं, जो अपने मकानों को बेचकर कहीं दूर बसने की कोशिशों में जुट गए हैं. इसी के चलते पास के ही मोहल्ला दरबारखुर्द रेतावाला के लोगों ने अब अपने घरों पर 'मकान बिकाऊ है' लिखवा लिया है.
आखिर क्यों कार्रवाई नहीं करते जिम्मेदार
मीट प्लांट के आसपास रहने वाली आबादी में अजय कुमार, सतीश कुमार, धर्मेंद्र, राज सिंह, ओमप्रकाश, मेनपाल, लक्ष्मण सिंह, ब्रिजपाल आदि के परिवारों ने घर बेचकर पलायन करने की ठान ली है. इसके साथ ही एक बार फिर मीट प्लांट के खिलाफ आवाज मुखर की है. एक दिन पूर्व भी कैराना के व्यापार मंडल और अधिवक्ताओं ने प्लांट के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एसडीएम कैराना को शिकायती ज्ञापन सौंपा था, जबकि इससे पूर्व भी इस मीट प्लांट के खिलाफ सैंकड़ों शिकायतें सरकारी फाइलों में दबकर रह गई हैं.