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शामली के इस गांव में विकास का पड़ गया अकाल, जिम्मेदार हो गए बहरे - ऊन तहसील का इंदिरा नगर गांव

देश में अपना संविधान लागू हुए 70 साल बीतने वाले हैं, लेकिन आज भी यहां लोगों को मूल अधिकार हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के शामली में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग आज भी मूलभूत सरकारी सुविधाओं के मोहताज हैं. खुद को जिंदा रखने के लिए उन्हें सिर्फ भगवान से रहम की दरकार रहती है, क्योंकि जिम्मेदार बहरे हो गए हैं.

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शामली के इस गांव में विकास का पड़ गया अकाल.
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Published : Jan 22, 2020, 7:08 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 8:35 PM IST

शामली: ऊन तहसील के इंदिरा नगर गांव में लोग सरकारी मदद की आस खो बैठे हैं. इस गांव का नाम देश की आयरन लेडी के नाम से मेल खाता है, लेकिन ऐसा लगता कि मानो यहां रहने वाले लोग देश के नागरिक ही नहीं हैं. प्रत्येक चुनाव में वोट डालने वाले इस गांव के लोगों तक पहुंचने से पहले ही सरकारी सुविधाएं दम तोड़ जाती हैं. यहां लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं. गांव में बिजली की लाइन तक नहीं है.

सरकारी सुविआधाओं से वंचित है यह गांव.
सरकारी सुविधाओं से वंचित है यह गांव
ऊन तहसील क्षेत्र के गांव खोडसमा का मजरा गांव इंदिरा नगर सरकारी सुविधाओं और योजनाओं से वंचित है. इस गांव में करीब 250 लोग रहते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. गांव में अधिकतर लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं, जिनमें हादसों का डर बना रहता है.
कच्चे मकान बयां करते हैं दर्द
इंदिरानगर में कोरी जाति के लोग रहते हैं. यहां अधिकतर मकान कच्चे हैं, जो उनमें रहने वाले लोगों के दर्द को बयां करने के लिए काफी हैं. बारिश और भीषण सर्दी में इन कच्चे मकानों में रहना किसी आफत से कम नही है. ग्रामीणों का कहना है कि उनसे मकान के फॉर्म तो भरवाएं जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं. ग्रामीणों ने इस बार पंचायत चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वालों को सबक सिखाने का मन बनाया है.
बिछा रखी है खुद की विद्युत लाइन
विद्युत विभाग के अधिकारी जिले में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण होने के दावे करते रहते हैं, लेकिन इंदिरा नगर गांव के हालात ऐसे खोखले दावों की हवा निकालने के लिए काफी हैं. इस गांव में लोगों ने बांस और लकड़ियों के सहारे खुद की विद्युत लाइन बिछा रखी है. दरअसल गांव में विद्युत विभाग द्वारा आज तक लाइन ही नहीं बिछाई गई है. खेतों के नलकूपों पर जाने वाली आपूर्ति से लोग अपने घरों को रोशन कर रहे हैं.

...लाइन नहीं, लेकिन मीटर है
गांव में विद्युत लाइन का होना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है, लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात का है कि विभाग ने बगैर विद्युत लाइन बिछाए लोगों के घरों पर विद्युत मीटर लगा दिए हैं, जिनसे बिल निकलना भी शुरू हो गया है. गांव इंदिरानगर के लोग जिम्मेदारों के बहरे हो जाने के चलते सिर्फ भगवान भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.

शामली: ऊन तहसील के इंदिरा नगर गांव में लोग सरकारी मदद की आस खो बैठे हैं. इस गांव का नाम देश की आयरन लेडी के नाम से मेल खाता है, लेकिन ऐसा लगता कि मानो यहां रहने वाले लोग देश के नागरिक ही नहीं हैं. प्रत्येक चुनाव में वोट डालने वाले इस गांव के लोगों तक पहुंचने से पहले ही सरकारी सुविधाएं दम तोड़ जाती हैं. यहां लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं. गांव में बिजली की लाइन तक नहीं है.

सरकारी सुविआधाओं से वंचित है यह गांव.
सरकारी सुविधाओं से वंचित है यह गांव
ऊन तहसील क्षेत्र के गांव खोडसमा का मजरा गांव इंदिरा नगर सरकारी सुविधाओं और योजनाओं से वंचित है. इस गांव में करीब 250 लोग रहते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. गांव में अधिकतर लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं, जिनमें हादसों का डर बना रहता है.
कच्चे मकान बयां करते हैं दर्द
इंदिरानगर में कोरी जाति के लोग रहते हैं. यहां अधिकतर मकान कच्चे हैं, जो उनमें रहने वाले लोगों के दर्द को बयां करने के लिए काफी हैं. बारिश और भीषण सर्दी में इन कच्चे मकानों में रहना किसी आफत से कम नही है. ग्रामीणों का कहना है कि उनसे मकान के फॉर्म तो भरवाएं जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं. ग्रामीणों ने इस बार पंचायत चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वालों को सबक सिखाने का मन बनाया है.
बिछा रखी है खुद की विद्युत लाइन
विद्युत विभाग के अधिकारी जिले में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण होने के दावे करते रहते हैं, लेकिन इंदिरा नगर गांव के हालात ऐसे खोखले दावों की हवा निकालने के लिए काफी हैं. इस गांव में लोगों ने बांस और लकड़ियों के सहारे खुद की विद्युत लाइन बिछा रखी है. दरअसल गांव में विद्युत विभाग द्वारा आज तक लाइन ही नहीं बिछाई गई है. खेतों के नलकूपों पर जाने वाली आपूर्ति से लोग अपने घरों को रोशन कर रहे हैं.

...लाइन नहीं, लेकिन मीटर है
गांव में विद्युत लाइन का होना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है, लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात का है कि विभाग ने बगैर विद्युत लाइन बिछाए लोगों के घरों पर विद्युत मीटर लगा दिए हैं, जिनसे बिल निकलना भी शुरू हो गया है. गांव इंदिरानगर के लोग जिम्मेदारों के बहरे हो जाने के चलते सिर्फ भगवान भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.

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देश में अपना संविधान लागू हुए 70 साल बीतने वाले हैं, लेकिन आज भी यहां लोगों को मूल अधिकार हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के शामली में एक ऐसा गांव हैं, जिसमें रहने वाले लोग आज भी मूलभूत सरकारी सुविधाओं के मोहताज हैं. खुद को जिंदा रखने के लिए उन्हें सिर्फ भगवान से रहम की दरकार रहती है, क्योंकि जिम्मेदार बहरे हो गए हैं. Body:शामली: सरकारी मद्द की आस खो बैठे लोगों का यह गांव शामली जिले की ऊन तहसील में है. जी हां हम बात कर रहे हैं गांव इंदिरानगर की. इस गांव का नाम देश की आयरन लेडी के नाम से मेल खाता है, लेकिन ऐसा लगता कि मानों यहां रहने वाले लोग देश के नागरिक ही नही हैं. सरकारी सुविधाएं प्रत्येक चुनाव में वोट डालने वाले इस गांव के लोगों तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाती हैं. यहां लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं. गांव में विद्युत लाइन तक नही है.

क्या है पूरा मामला?
. ऊन तहसील क्षेत्र के गांव खोडसमा का मजरा गांव इंदिरानगर सरकारी सुविधाओं और योजनाओं से वंचित हैं.

. इस गांव में करीब 250 लोग रहते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से मूलभूत सुविधाएं भी नही मिल पा रही हैं.

. गांव में अधिकांश लोग आज भी कच्चे मकानों पर रहते हैं, जिनमें हादसों का डर बना रहता है.

. इंदिरानगर में आज तक विद्युत लाइन भी नही बिछाई गई है. ऐसे में लोगों को खेतों की सप्लाई से अपने तार जोड़ने पड़ते हैं.

कच्चे मकान ब्यां करते हैं दर्द
इंदिरानगर में कोरी जाति के लोग रहते है. यहां अधिकांश मकान कच्चे हैं, जो उनमें रहने वाले लोगों के दर्द को ब्यां करने के लिए काफी हैं. बारिश और भीषण सर्दी में इन कच्चे मकानों में रहना किसी आफत से कम नही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनसे मकान के फार्म तो भरवाएं जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं. ग्रामीणों ने इस बार पंचायत चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वालों को सबक सिखाने का मन बनाया है.

बिछा रखी है खुद की विद्युत लाइन
विद्युत विभाग के अधिकारी जिले में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण होने के दावे करते रहते हैं, लेकिन इंदिरानगर गांव के हालात ऐसे खोकले दावों की हवा निकालने के लिए काफी हैं. इस गांव में लोगों ने बांस और लकड़ियों के सहारे खुद की विद्युत लाइन बिछा रखी है, दरअसल गांव में विद्युत विभाग द्वारा आज तक लाइन ही नही बिछाई गई है. खेतों के नलकूपों पर जाने वाली आपूर्ति से लोग अपने घरों को रोशन कर रहे हैं.Conclusion:लाइन नही लेकिन मीटर है...
गांव में विद्युत लाइन का होना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है, लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात का है कि विभाग ने बगैर विद्युत लाइन बिछाए लोगों के घरों पर विद्युत मीटर लगा दिए हैं, जिनसे बिल निकलना भी शुरू हो गया है. गांव इंदिरानगर के लोग जिम्मेदारों के बहरे हो जाने के चलते सिर्फ भगवान भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.

बाइट 1: बाल सिंह, ग्रामीण
बाइट 2: विनोद निर्वाल, किसान नेता
बाइट 3: सुदेश, ग्रामीण महिला

नोट: खबर रैप से रेडी पैकेज के रूप में भेजी गई है। श्रीमान् जी अगर संभव हो, तो इस स्टोरी को स्पेशल में ऐड करने की कृपा करें।

रिपोर्टर सचिन शर्मा
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Last Updated : Jan 22, 2020, 8:35 PM IST
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