शामली: ऊन तहसील के इंदिरा नगर गांव में लोग सरकारी मदद की आस खो बैठे हैं. इस गांव का नाम देश की आयरन लेडी के नाम से मेल खाता है, लेकिन ऐसा लगता कि मानो यहां रहने वाले लोग देश के नागरिक ही नहीं हैं. प्रत्येक चुनाव में वोट डालने वाले इस गांव के लोगों तक पहुंचने से पहले ही सरकारी सुविधाएं दम तोड़ जाती हैं. यहां लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं. गांव में बिजली की लाइन तक नहीं है.
सरकारी सुविआधाओं से वंचित है यह गांव. सरकारी सुविधाओं से वंचित है यह गांवऊन तहसील क्षेत्र के गांव खोडसमा का मजरा गांव इंदिरा नगर सरकारी सुविधाओं और योजनाओं से वंचित है. इस गांव में करीब 250 लोग रहते हैं, जिन्हें सरकार की ओर से मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. गांव में अधिकतर लोग आज भी कच्चे मकानों में रहते हैं, जिनमें हादसों का डर बना रहता है.
कच्चे मकान बयां करते हैं दर्द
इंदिरानगर में कोरी जाति के लोग रहते हैं. यहां अधिकतर मकान कच्चे हैं, जो उनमें रहने वाले लोगों के दर्द को बयां करने के लिए काफी हैं. बारिश और भीषण सर्दी में इन कच्चे मकानों में रहना किसी आफत से कम नही है. ग्रामीणों का कहना है कि उनसे मकान के फॉर्म तो भरवाएं जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं. ग्रामीणों ने इस बार पंचायत चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वालों को सबक सिखाने का मन बनाया है.
बिछा रखी है खुद की विद्युत लाइन
विद्युत विभाग के अधिकारी जिले में पूर्ण रूप से विद्युतीकरण होने के दावे करते रहते हैं, लेकिन इंदिरा नगर गांव के हालात ऐसे खोखले दावों की हवा निकालने के लिए काफी हैं. इस गांव में लोगों ने बांस और लकड़ियों के सहारे खुद की विद्युत लाइन बिछा रखी है. दरअसल गांव में विद्युत विभाग द्वारा आज तक लाइन ही नहीं बिछाई गई है. खेतों के नलकूपों पर जाने वाली आपूर्ति से लोग अपने घरों को रोशन कर रहे हैं....लाइन नहीं, लेकिन मीटर है
गांव में विद्युत लाइन का होना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है, लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात का है कि विभाग ने बगैर विद्युत लाइन बिछाए लोगों के घरों पर विद्युत मीटर लगा दिए हैं, जिनसे बिल निकलना भी शुरू हो गया है. गांव इंदिरानगर के लोग जिम्मेदारों के बहरे हो जाने के चलते सिर्फ भगवान भरोसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.