शामली: 1761 में हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई पर आधारित फिल्म 'पानीपत' के प्रदर्शन पर पूरे देश में जंग छिड़ गई है. हर जगह फिल्म का विरोध हो रहा है. जाट समाज से जुड़े शामली जिले में भी फिल्म को लेकर जाट समुदाय गुस्से में है. जिले के कांधला में जाट समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन कर फिल्म को बैन करने की मांग की है.
- कांधला के दिल्ली-सहारनपुर रोड पर जाट समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया.
- प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सरकार से फिल्म 'पानीपत' को बैन करने की मांग की.
- जाट समुदाय के लोगों का कहना था कि फिल्म में महाराजा सूरजमल का गलत चित्रण किया गया है.
- इसके चलते पूरे देश में जाट समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं.
क्यों हो रहा विरोध
पानीपत की तीसरी लड़ाई 15 जनवरी 1761 को हुई थी. उसमें मराठों का साथ देने की पहल खुद सूरजमल ने की थी, जबकि फिल्म में दिखाया गया है कि उन्होंने मराठा सेनापति सदाशिव राव से आगरे के किले को देने की मांग की और सदाशिव राव के मना करने पर रूठ कर चले गए. जाटों का आरोप है कि यह वास्तविकता से परे है.
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फिल्म में गलत चित्रण किया गया है. इससे जाटों की भावनाएं बदलने की कोशिश की गई है. फिल्म का सभी जगह विरोध किया जा रहा है. हमारी मांग है कि फिल्म पानीपत को बैन किया जाए. जाटों के इतिहास के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
-चौधरी चौहल सिंह, प्रदर्शनकारी