शाहजहांपुर: पूरा भारत वर्ष आजादी की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है. वहीं शाहजहांपुर जिला अतीत में आजादी की लड़ाई और अपनी कुर्बानियों के लिए जाना जाता है. जिला शहीदों की नगरी के नाम से मशहूर है, क्योंकि यह जिला अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे अमर शहीदों की जन्मभूमि है.
शाहजहांपुर के एमनजई जलाल नगर के पठान परिवार में 22 अक्टूबर सन 1900 में अशफाक उल्ला खां का जन्म हुआ था. शाहजहांपुर के मिशन स्कूल में उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण की और यहीं पर उनकी दोस्ती पंडित राम प्रसाद बिस्मिल से हो गई. बिस्मिल का परिवार यहां के खिरनी बाग मोहल्ले में रहता था, लेकिन वे पक्के आर्य समाजी थे, जिसके कारण अपना अधिक समय आर्य समाज मंदिर में बिताते थे.
इन दोनों की दोस्ती इतनी चर्चित हो गई थी कि अशफाक उल्ला खान पक्के पठान और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल पक्के पंडित होने के साथ-साथ दोनों गहरे दोस्त हैं. दोनों आर्य समाज मंदिर में एक ही थाली में खाना खाया करते थे. वे अपनी शैक्षिक और क्रांतिकारी गतिविधियों के बारे में योजनाएं बनाया करते थे. यहां के आर्य समाज मंदिर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह ने काकोरी कांड की कार्य योजना तैयार की और अंग्रेजों के खजाने को ले जाने वाली ट्रेन को लूटने का एक्शन प्लान बनाया.
9 अगस्त 1925 को काकोरी में अंग्रेजों के खजाने को ले जा रही ट्रेन को दस क्रांतिकारियों ने लूट लिया, जिसमें शाहजहांपुर के तीन क्रांतिकारी अशफाक, रोशन सिंह और बिस्मिल शामिल थे. इसके बाद में अंग्रेजों ने तीनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया. 19 दिसंबर 1927 में राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर, अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को 19 दिसंबर को इलाहाबाद की जेल मे ट्रेन लूट का आरोपी मानते हुए फांसी दे दी गई. इन शहीदों ने देश को आजाद करने में अपनी जान न्योछावर कर दी.