शाहजहांपुरः जिले के गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने गन्ने की तीन नई प्रजातियां विकसित की है. दरअसल 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद 10 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने तीन महत्वपूर्ण गन्ने की प्रजातियां विकसित कर पूरे देश के गन्ना किसानों को बड़ी राहत दी. इस विकास में खास बात यह है कि रोगमुक्त तीनों ही गन्ने की प्रजातियां चीनी की रिकॉर्ड तोड़ रिकवरी देंगी. साथ ही गन्ने की प्रजातियां हर तरह की मिट्टी में भी उगाई जा सकेगी.
उत्तर भारत का सबसे बड़ा गन्ना शोध संस्थान
जिले में उत्तर भारत का सबसे बड़ा गन्ना शोध संस्थान बना है, जिसकी पूरे उत्तर प्रदेश में 15 शाखाएं भी हैं. गन्ने में कैंसर रोग जैसी बीमारी से जूझ रहे गन्ना किसानों को इस संस्थान ने एक बड़ा तोहफा दिया है. दरअसल गन्ना शोध संस्थान के लगभग 25 वैज्ञानिकों की 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद गन्ने की तीन नई प्रजातियां विकसित की गई.
नई प्रजातियों में कीट और रोगों के प्रकोप शून्य
पहली प्रजाति कोसा 13235 (बहुत तेजी से उगने वाला करना), दूसरी प्रजाति कोसा 13452 (मध्यम देर से पकने वाला गन्ना) और तीसरी प्रजाति कोसा 10239 (जल प्लावित और ऊसर जमीन में पैदा होने वाला गन्ना), यह तीन प्रजातियां वैज्ञानिकों ने विकसित की है. इसमें खास बात यह है कि तीनों ही प्रजातियों में कीट और रोगों के प्रकोप शून्य है. आपको बता दें कि कृषि शोध संस्थान के वैज्ञानिकों को एक-एक प्रजाति विकसित करने में 8 से 10 साल का वक्त लगता है.
नई प्रजातियां गन्ना किसानों के लिए बेहद लाभकारी
गन्ने में पैदा हुए रोग के बाद गन्ना किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था. गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि विकसित की गई तीनों नई प्रजातियां गन्ना किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होंगी. इन नई प्रजातियों के गन्ने में वजन के साथ-साथ चीनी की रिकवरी भी रिकार्ड तोड़ होगी.
किसान अपनी आय कर सकेंगे दोगुनी
अभी तक किसान अपने खेतों में कई पुरानी और परंपरागत गन्ने की किस्मों को उगा रहे थे, लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इन तीन नई किस्मों के विकसित होने के बाद गन्ना ज्यादा बेहतर पैदा होगा, जिसमें यह भी दावा किया जा रहा है कि चीनी की रिकवरी 11.55% तक पहुंच सकती है. इससे किसान अपनी आए दोगुनी से भी अधिक कर सकेंगे. फिलहाल गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अब अगली नई प्रजाति विकसित करने में जुट गए हैं.
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