ETV Bharat / state

है नमन उनको...काकोरी कांड के महानायक अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष

शदीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बस यही बाकी निशां होगा. ये लाइने शाहजहांपुर के अमर शहीद अशफाक उल्ला खां पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं, जो देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए.

अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष
अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष
author img

By

Published : Oct 22, 2021, 4:54 PM IST

Updated : Oct 22, 2021, 6:39 PM IST

शाहजहांपुरः कर चले हम फिदा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों. ये लाइने भारत के अमर शहीदों के लिए हमेशा से समर्पित रही हैं. आज का दिन भारत के स्वतंत्रता दिवस के इतिहास में स्वर्णिम हैं, आज के ही दिन काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां का जन्म हुआ था. इस जंयती के मौके पर उनकी मजार को फूलों से सजाया गया है. शहर के लोगों ने उनकी मजार पर चादर पोशी कर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी है.

दरअसल आज काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां की जयंती है. अशफाक उल्ला खां का जन्म 22अक्टूबर 1900 ई. को हुआ था. शाहजहांपुर को शहीदों की नगरी के रूप में जाना जाता है. क्योंकि यह स्थान काकोरी कांड के महानायक क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह की जन्मस्थली रही है. इसी जिले से काकोरी कांड की रूपरेखा तैयार की गई थी. जिसके बाद 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम तक पहुंचाया गया था. जिसके बाद अंग्रेजों ने इन तीनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करके अलग-अलग जेलों में डाल दिया. 19 दिसंबर 1927 के दिन इन तीनों काकोरी कांड के महानायकों को फांसी दे दी गई.

अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...

शहीद अशफाक उल्ला खां का जन्म शहर के मोहल्ला एमनज़ई जलालनगर में हुआ था. उन्होंने शाहजहांपुर के एवी रिच इंटर कॉलेज में पढ़ाई की थी. यहां उनके साथ राम प्रसाद बिस्मिल उनके सहपाठी थे. यह दोनों कॉलेज में पढ़ने के बाद आर्य समाज मंदिर में देश की आजादी की रूपरेखा तैयार करते थे. जिले का आर्य समाज मंदिर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है. इस मंदिर के पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के पिता पुजारी थे. इसी आर्य समाज मंदिर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जोकि पंडित हैं और अशफाक उल्ला खां जो कट्टर मुसलमान थे. इन दोनों की दोस्ती आज भी हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती है. दोनों एक ही थाली में खाना खाया करते थे. मुस्लिम होते हुए भी अशफाक उल्ला खां आर्य समाज मंदिर में अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताते थे. देश की आजादी के लिए इसी अर्थ में मंदिर में नई नई योजनाएं बनाया करते थे. इन दोनों की अमर दोस्ती ने काकोरी कांड करके अंग्रेजों से लोहा लिया था. काकोरी कांड के बाद दोनों दोस्तों को अलग-अलग जेलों में फांसी दे दी गई और दोनों 19 दिसंबर 1927 को हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए.

है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी से पहले ऑडिटोरियम में रिवॉल्वर लेकर पहुंचा युवक, कई पुलिसकर्मी सस्पेंड



इस मौके पर पुष्प अर्पित करने गए समाजसेवी विनायक अग्रवाल का कहना है कि शाहजहांपुर के महानायक अशफाक उल्ला खा की जयंती पर उनको नमन करके आशीर्वाद लेने आया हूं कि जरूरत पड़ने पर देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर सकूं. इसके साथ ही शाहजहांपुर के लोगों जिले के अमर शहीदों से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि जिस तरह से उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, उसी तरीके से जरूरत पड़ने पर शाहजहांपुर के लोग भी देश की खातिर हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देकर देश का सिर ऊंचा रखें.

शाहजहांपुरः कर चले हम फिदा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों. ये लाइने भारत के अमर शहीदों के लिए हमेशा से समर्पित रही हैं. आज का दिन भारत के स्वतंत्रता दिवस के इतिहास में स्वर्णिम हैं, आज के ही दिन काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां का जन्म हुआ था. इस जंयती के मौके पर उनकी मजार को फूलों से सजाया गया है. शहर के लोगों ने उनकी मजार पर चादर पोशी कर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी है.

दरअसल आज काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां की जयंती है. अशफाक उल्ला खां का जन्म 22अक्टूबर 1900 ई. को हुआ था. शाहजहांपुर को शहीदों की नगरी के रूप में जाना जाता है. क्योंकि यह स्थान काकोरी कांड के महानायक क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह की जन्मस्थली रही है. इसी जिले से काकोरी कांड की रूपरेखा तैयार की गई थी. जिसके बाद 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम तक पहुंचाया गया था. जिसके बाद अंग्रेजों ने इन तीनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करके अलग-अलग जेलों में डाल दिया. 19 दिसंबर 1927 के दिन इन तीनों काकोरी कांड के महानायकों को फांसी दे दी गई.

अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...

शहीद अशफाक उल्ला खां का जन्म शहर के मोहल्ला एमनज़ई जलालनगर में हुआ था. उन्होंने शाहजहांपुर के एवी रिच इंटर कॉलेज में पढ़ाई की थी. यहां उनके साथ राम प्रसाद बिस्मिल उनके सहपाठी थे. यह दोनों कॉलेज में पढ़ने के बाद आर्य समाज मंदिर में देश की आजादी की रूपरेखा तैयार करते थे. जिले का आर्य समाज मंदिर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है. इस मंदिर के पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के पिता पुजारी थे. इसी आर्य समाज मंदिर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जोकि पंडित हैं और अशफाक उल्ला खां जो कट्टर मुसलमान थे. इन दोनों की दोस्ती आज भी हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती है. दोनों एक ही थाली में खाना खाया करते थे. मुस्लिम होते हुए भी अशफाक उल्ला खां आर्य समाज मंदिर में अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताते थे. देश की आजादी के लिए इसी अर्थ में मंदिर में नई नई योजनाएं बनाया करते थे. इन दोनों की अमर दोस्ती ने काकोरी कांड करके अंग्रेजों से लोहा लिया था. काकोरी कांड के बाद दोनों दोस्तों को अलग-अलग जेलों में फांसी दे दी गई और दोनों 19 दिसंबर 1927 को हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए.

है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...
है नमन उनको...

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी से पहले ऑडिटोरियम में रिवॉल्वर लेकर पहुंचा युवक, कई पुलिसकर्मी सस्पेंड



इस मौके पर पुष्प अर्पित करने गए समाजसेवी विनायक अग्रवाल का कहना है कि शाहजहांपुर के महानायक अशफाक उल्ला खा की जयंती पर उनको नमन करके आशीर्वाद लेने आया हूं कि जरूरत पड़ने पर देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर सकूं. इसके साथ ही शाहजहांपुर के लोगों जिले के अमर शहीदों से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि जिस तरह से उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, उसी तरीके से जरूरत पड़ने पर शाहजहांपुर के लोग भी देश की खातिर हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देकर देश का सिर ऊंचा रखें.

Last Updated : Oct 22, 2021, 6:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.