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गन्ना फसल में लगा लाल सड़न रोग, जानें उपचार के उपाए

शाहजहांपुर में मुख्य रूप से 0238 गन्ना प्रजाति में लाल सड़न रोग का मामला सामने आया है. गन्ना विशेषज्ञों ने किसानों को सतर्क रहने और समय पर रोग का उपचार करने की सलाह दी है. किसान अपनी फसलों को लाल सड़न से किस तरह बचा सकते हैं, जानिए इस रिपोर्ट में.

गन्ने की फसल में लगा लाल सड़न.
गन्ने की फसल में लगा लाल सड़न.
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Published : Feb 13, 2021, 4:45 PM IST

शाहजहांपुर: गन्ने की मिठास पर रेड रॉट यानी लाल सड़न का खतरा मंडरा रहा है, इससे गन्ना किसान परेशान हैं. इस बीमारी के लगने से गन्ने की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों को घाटे का सामना करना पड़ता है.

कृषि वैज्ञानिक से बातचीत.

गन्ना फसल के लिए कैंसर है लाल सड़न
दरअसल, गन्ना किसान ज्यादातर 0238 गन्ना प्रजाति की बुवाई करते हैं. इस गन्ने का 87 प्रतिशत रकवा निकलता है, जिसके कारण गन्ने की यही किस्म ज्यादातर प्रयोग की जाती है. गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग अर्थात गन्ना फसल को कैंसर हो जाता है. इससे किसानों की पूरी गन्ने की फसल सूख जाती है और गन्ना किसान बर्बाद हो जाता है. गन्ना के लाल सड़न रोग पर शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान ने रिसर्च की और गन्ना किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिससे गन्ना किसान अपनी फसलों को लाल सड़न से बचा सकते हैं.

गन्ना शोध संस्थान के कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि लाल सड़न रोग या गन्ने का कैंसर इस तरह की बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. यह गन्ने के तने में आ जाता है तो पूरी फसल को बचा पाना बेहद मुश्किल होता है. लाल सड़न रोग एक फफूंदी जनित बीमारी है, जो मिट्टी के माध्यम से फसल में लग जाती है.

ये हैं शुरुआती लक्षण
इसके लक्षण अप्रैल, मई और जून के मौसम में शुरू होते हैं. जब गर्मी का मौसम होता है तो गन्ने में ऊपर की तरफ पत्ती के ऊपर लाल-लाल धब्बे दिखाई देते हैं. उस समय गन्ने का पौधा एक से डेढ़ फीट का होता है. उसी समय गन्ने के पौधे को नष्ट कर देना चाहिए और जमीन में गड्ढा खोद कर ब्लीचिंग पाउडर डाल देना चाहिए.

जब गन्ने का पौधा बड़ा हो जाता है, तब इस बीमारी का पता लगाने के लिए गन्ने को बीच से फाड़ देना चाहिए. इसके अंदर गन्ने का गुदा लाल दिखेगा, जगह-जगह सफेद धब्बे दिखाई देंगे और अल्कोहल जैसी गंध आएगी. उस समय समझ आ जाएगा कि गन्ने को कैंसर रोग लग गया है. ऐसी स्थिति में जितने भी गन्ने संक्रमित हों, उन्हें तुरंत नष्ट कर देना चाहिए. इस तरह गन्ने की पूरी फसल खराब नहीं होगी.

शाहजहांपुर: गन्ने की मिठास पर रेड रॉट यानी लाल सड़न का खतरा मंडरा रहा है, इससे गन्ना किसान परेशान हैं. इस बीमारी के लगने से गन्ने की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों को घाटे का सामना करना पड़ता है.

कृषि वैज्ञानिक से बातचीत.

गन्ना फसल के लिए कैंसर है लाल सड़न
दरअसल, गन्ना किसान ज्यादातर 0238 गन्ना प्रजाति की बुवाई करते हैं. इस गन्ने का 87 प्रतिशत रकवा निकलता है, जिसके कारण गन्ने की यही किस्म ज्यादातर प्रयोग की जाती है. गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग अर्थात गन्ना फसल को कैंसर हो जाता है. इससे किसानों की पूरी गन्ने की फसल सूख जाती है और गन्ना किसान बर्बाद हो जाता है. गन्ना के लाल सड़न रोग पर शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान ने रिसर्च की और गन्ना किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिससे गन्ना किसान अपनी फसलों को लाल सड़न से बचा सकते हैं.

गन्ना शोध संस्थान के कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि लाल सड़न रोग या गन्ने का कैंसर इस तरह की बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. यह गन्ने के तने में आ जाता है तो पूरी फसल को बचा पाना बेहद मुश्किल होता है. लाल सड़न रोग एक फफूंदी जनित बीमारी है, जो मिट्टी के माध्यम से फसल में लग जाती है.

ये हैं शुरुआती लक्षण
इसके लक्षण अप्रैल, मई और जून के मौसम में शुरू होते हैं. जब गर्मी का मौसम होता है तो गन्ने में ऊपर की तरफ पत्ती के ऊपर लाल-लाल धब्बे दिखाई देते हैं. उस समय गन्ने का पौधा एक से डेढ़ फीट का होता है. उसी समय गन्ने के पौधे को नष्ट कर देना चाहिए और जमीन में गड्ढा खोद कर ब्लीचिंग पाउडर डाल देना चाहिए.

जब गन्ने का पौधा बड़ा हो जाता है, तब इस बीमारी का पता लगाने के लिए गन्ने को बीच से फाड़ देना चाहिए. इसके अंदर गन्ने का गुदा लाल दिखेगा, जगह-जगह सफेद धब्बे दिखाई देंगे और अल्कोहल जैसी गंध आएगी. उस समय समझ आ जाएगा कि गन्ने को कैंसर रोग लग गया है. ऐसी स्थिति में जितने भी गन्ने संक्रमित हों, उन्हें तुरंत नष्ट कर देना चाहिए. इस तरह गन्ने की पूरी फसल खराब नहीं होगी.

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