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भदोही: गुजरात से पैदल बनारस जा रहे मजदूर, लोगों को वायरस का खतरा - कोरोना वायरस ताजा खबर

यूपी के भदोही के औराई में 1400 किलोमीटर की यात्रा कर दिहाड़ी मजदूर गुजरात से रेनूकोट, सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली जाते हुए दिखे. मजदूरों ने बताया कि दिहाड़ी पर काम करते थे.

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Published : Apr 1, 2020, 4:42 PM IST

भदोही: जिले के औराई में लॉकडाउन के आठवें दिन बुधवार को NH-2 पर 1400 किलोमीटर की यात्रा कर दिहाड़ी मजदूर कहीं रेनूकोट, सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली जाते हुए दिखे. पश्चिमी सीमा ऊंज में मजदूरों के लिए किसी प्रकार की सहायता और जांच-पड़ताल न होने से स्थानीय लोगों में कोरोना वायरस की महामारी का अंदेशा गंभीर होता जा रहा है.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद दो दिन मिली मोहलत के बाद 25 मार्च से आगामी 14 अप्रैल तक अघोषित लॉकडाउन की घोषणा के कारण सड़कों पर सरकारी-अर्ध सरकारी वाहनों पर पूरी तरह से रोक लग गई, जबकि रेल सेवाएं भी ठप पड़ कर लोगों की परेशानी बढ़ा दी. परदेश में दो-चार दिन के बाद जब कोई रास्ता सामने नहीं दिखाई पड़ा तो मजदूर पैदल ही अपने-अपने गंतव्य को रवाना होने में भलाई समझ रहे हैं.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

गुजरात, दिल्ली, मुम्बई से बनारस, पटना, बलिया, मऊ जा रहे मजदूरों ने बताया कि दिहाड़ी पर काम करते थे. लॉकडाउन से काम बंद हो जाने के बाद उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई और वह 1300-1400 किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर जा रहे हैं.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

इसे भी पढ़ें: भदोहीः बुनकरों का आरोप कंपनी ने काम से निकाला, पलायन को मजबूर

इसी तरह मैहर में मजदूरी कर रहे मजदूरों ने कुछ ऐसी ही आपबीती बयां की. उन्होंने बताया कि पैसे की तंगी के साथ-साथ जब राशन आदि खत्म हो गए तो वह साइकिल से ही घर रवाना हो गए. रास्ते में किसी की ओर से कोई सहायत नहीं मिल सकी. कुछ स्थानों पर लाई, नमकीन, बिस्कुट खरीद कर काम चलाया जा रहा है.

इसी तरह दिल्ली से पैदल बनारस लौटने वाले मजदूरों ने बताया कि वह पैदल ही 6 दिनों से यात्रा कर औराई पहुंचे हैं. उधर राजमार्ग के औराई अंडरपास ब्रिज का नजारा सबको चौंकाने वाला रहा.

भदोही: जिले के औराई में लॉकडाउन के आठवें दिन बुधवार को NH-2 पर 1400 किलोमीटर की यात्रा कर दिहाड़ी मजदूर कहीं रेनूकोट, सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली जाते हुए दिखे. पश्चिमी सीमा ऊंज में मजदूरों के लिए किसी प्रकार की सहायता और जांच-पड़ताल न होने से स्थानीय लोगों में कोरोना वायरस की महामारी का अंदेशा गंभीर होता जा रहा है.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद दो दिन मिली मोहलत के बाद 25 मार्च से आगामी 14 अप्रैल तक अघोषित लॉकडाउन की घोषणा के कारण सड़कों पर सरकारी-अर्ध सरकारी वाहनों पर पूरी तरह से रोक लग गई, जबकि रेल सेवाएं भी ठप पड़ कर लोगों की परेशानी बढ़ा दी. परदेश में दो-चार दिन के बाद जब कोई रास्ता सामने नहीं दिखाई पड़ा तो मजदूर पैदल ही अपने-अपने गंतव्य को रवाना होने में भलाई समझ रहे हैं.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

गुजरात, दिल्ली, मुम्बई से बनारस, पटना, बलिया, मऊ जा रहे मजदूरों ने बताया कि दिहाड़ी पर काम करते थे. लॉकडाउन से काम बंद हो जाने के बाद उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई और वह 1300-1400 किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर जा रहे हैं.

बिना जांच के हाईवे पर गुजरात से पैदल बनारस जाते मजदूर.
बनारस जाते मजदूर.

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इसी तरह मैहर में मजदूरी कर रहे मजदूरों ने कुछ ऐसी ही आपबीती बयां की. उन्होंने बताया कि पैसे की तंगी के साथ-साथ जब राशन आदि खत्म हो गए तो वह साइकिल से ही घर रवाना हो गए. रास्ते में किसी की ओर से कोई सहायत नहीं मिल सकी. कुछ स्थानों पर लाई, नमकीन, बिस्कुट खरीद कर काम चलाया जा रहा है.

इसी तरह दिल्ली से पैदल बनारस लौटने वाले मजदूरों ने बताया कि वह पैदल ही 6 दिनों से यात्रा कर औराई पहुंचे हैं. उधर राजमार्ग के औराई अंडरपास ब्रिज का नजारा सबको चौंकाने वाला रहा.

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