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भदोही: लव-कुश के जन्मोत्सव पर सीतामढ़ी में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

भदोही के सीतामढ़ी में लव कुश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग अपनी मन्नत मांगने जाते हैं. बता दें कि यहीं माता सीता ने अपने दोनों बेटे लव-कुश को जन्म दिया था.

सीतामढ़ी में मनाया जाता है लव कुश का जन्मोत्सव.
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Published : Jul 11, 2019, 5:21 PM IST

भदोही: भगवान राम और मां सीता के पुत्र लव कुश का जन्मोत्सव सीतामढ़ी में धूमधाम से मनाया जा रहा है. काशी और प्रयाग के मद भदोही में स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम स्थल पर लव-कुश का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. लव कुश के जन्म दिवस के मौके पर सीतामढ़ी में विशेष आरती की गई. सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भारी भीड़ जुटी हुई है.

सीतामढ़ी में मनाया जाता है लव कुश का जन्मोत्सव.

रामायण काल से है सीतामढ़ी का नाता

  • भदोही शहर से 45 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल मौजूद है.
  • सीता समाहित स्थल पर ही मां सीता ने अपने दूसरे वनवास के दिन काटे थे.
  • मान्यता है कि भगवान राम ने जब मां सीता का परित्याग किया था तो वह यहीं महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रुकी थीं.
  • यहीं उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था.
  • यही वजह है कि सीतामढ़ी में इस दिन मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं.

मां सीता ने यहीं ली थी समाधि

  • पुराणों की मानें तो माता सीता ने तमसा नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में समय बिताया था.
  • तमसा और गंगा के तट पर मां सीता ने समाधि ली थी, इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है.
  • यह वही भूमि है जहां लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था और वीर हनुमान को बंधक बनाया था.
  • जिस स्थान पर भगवान हनुमान बंधक बने थे, वहां 108 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा भी बनाई गई है.
  • लव-कुश के जन्म दिवस के मौके पर सुबह से भक्तों की भारी भीड़ जुटी है.

लोगों का मानना है कि आज के दिन इस स्थान पर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी हो जाती है. जिस वटवृक्ष के नीचे लव-कुश को महर्षि वाल्मीकि ने ज्ञान दिया था, वहां लोग अपनी मनोकामना की रक्षा बांधते हैं. मनोकामना पूरी होने पर लोग वहां से रक्षा खोल देते हैं.

भदोही: भगवान राम और मां सीता के पुत्र लव कुश का जन्मोत्सव सीतामढ़ी में धूमधाम से मनाया जा रहा है. काशी और प्रयाग के मद भदोही में स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम स्थल पर लव-कुश का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. लव कुश के जन्म दिवस के मौके पर सीतामढ़ी में विशेष आरती की गई. सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भारी भीड़ जुटी हुई है.

सीतामढ़ी में मनाया जाता है लव कुश का जन्मोत्सव.

रामायण काल से है सीतामढ़ी का नाता

  • भदोही शहर से 45 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल मौजूद है.
  • सीता समाहित स्थल पर ही मां सीता ने अपने दूसरे वनवास के दिन काटे थे.
  • मान्यता है कि भगवान राम ने जब मां सीता का परित्याग किया था तो वह यहीं महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रुकी थीं.
  • यहीं उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था.
  • यही वजह है कि सीतामढ़ी में इस दिन मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं.

मां सीता ने यहीं ली थी समाधि

  • पुराणों की मानें तो माता सीता ने तमसा नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में समय बिताया था.
  • तमसा और गंगा के तट पर मां सीता ने समाधि ली थी, इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है.
  • यह वही भूमि है जहां लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था और वीर हनुमान को बंधक बनाया था.
  • जिस स्थान पर भगवान हनुमान बंधक बने थे, वहां 108 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा भी बनाई गई है.
  • लव-कुश के जन्म दिवस के मौके पर सुबह से भक्तों की भारी भीड़ जुटी है.

लोगों का मानना है कि आज के दिन इस स्थान पर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी हो जाती है. जिस वटवृक्ष के नीचे लव-कुश को महर्षि वाल्मीकि ने ज्ञान दिया था, वहां लोग अपनी मनोकामना की रक्षा बांधते हैं. मनोकामना पूरी होने पर लोग वहां से रक्षा खोल देते हैं.

Intro:भदोही : भगवान राम और माता सीता के पुत्र लव कुश के जन्मोत्सव और काशी व प्रयाग के मद भदोही के सीतामढ़ी समाहित स्थल में स्थित महर्षि बाल्मीकि आश्रम में जन्मोत्सव को बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है लव कुश के जन्म दिवस के मौके पर सीतामढ़ी में विशेष आरती की गई सुबह से हजारों की संख्या में भारी भीड़ जुटी हुई है आज के दिन भदोही में सरकार की तरफ से छुट्टी भी रहता है


Body:जिले का रामायण काल से गहरा नाता है भदोही शहर से 45 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल आज आस्था और भक्ति का केंद्र बना हुआ है इसी स्थान पर मां सीता ने अपने दूसरे वनवास के दिन काटे थे मान्यता है कि जब भगवान राम ने माता सीता का परित्याग किया था तो यहीं आकर महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहे यहीं पर उन्होंने अपने दोनों पुत्र लव कुश को जन्म दिया आज के दिन ही मां सीता ने लव कुश को जन्म दिया था इसलिए सीतामढ़ी में एक मेले का आयोजन किया जाता है वहां दूर-दूर से भक्त आते हैं


Conclusion:मंदिर में विशेष आरती कर दीप जलाए गए जन्मदिवस पर हर साल सभी सरकारी दफ्तर भी बंद होते हैं पुराणों की मानें तो माता सीता ने अपने कष्ट के उन दिनों को तमसा नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में विधायक यद्यपि उस समय में भदोही का कोई नामोनिशान नहीं था लेकिन तमसा और गंगा के तट पर मां सीता ने समाधि ली इसका उल्लेख बाल्मीकि रामायण में भी मिलता है यह वही भूमि है जहां लव कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था और वीर हनुमान को बंधक बनाया था जिस स्थान पर हनुमान बंधक बने थे वह 108 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा भी बनाई गई है लव कुश जन्म दिवस के मौके पर आज सुबह से भारी भीड़ है लोगों का मानना है कि आज के दिन स्थित स्थान पर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है वह पूरी हो जाती है जिस वटवृक्ष के नीचे लव कुश को महर्षि बाल्मीकि ने ज्ञान दिया था वहां लोग अपनी मनोकामना की रक्षा बांधते हैं और जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह वहां से रक्षा को खोल देते हैं

बाइट मुन्ना पांडे अध्यक्ष राष्ट्रीय रामायण मेला
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