भदोही: भगवान राम और मां सीता के पुत्र लव कुश का जन्मोत्सव सीतामढ़ी में धूमधाम से मनाया जा रहा है. काशी और प्रयाग के मद भदोही में स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम स्थल पर लव-कुश का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. लव कुश के जन्म दिवस के मौके पर सीतामढ़ी में विशेष आरती की गई. सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भारी भीड़ जुटी हुई है.
रामायण काल से है सीतामढ़ी का नाता
- भदोही शहर से 45 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित सीता समाहित स्थल मौजूद है.
- सीता समाहित स्थल पर ही मां सीता ने अपने दूसरे वनवास के दिन काटे थे.
- मान्यता है कि भगवान राम ने जब मां सीता का परित्याग किया था तो वह यहीं महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रुकी थीं.
- यहीं उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था.
- यही वजह है कि सीतामढ़ी में इस दिन मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं.
मां सीता ने यहीं ली थी समाधि
- पुराणों की मानें तो माता सीता ने तमसा नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में समय बिताया था.
- तमसा और गंगा के तट पर मां सीता ने समाधि ली थी, इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है.
- यह वही भूमि है जहां लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था और वीर हनुमान को बंधक बनाया था.
- जिस स्थान पर भगवान हनुमान बंधक बने थे, वहां 108 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा भी बनाई गई है.
- लव-कुश के जन्म दिवस के मौके पर सुबह से भक्तों की भारी भीड़ जुटी है.
लोगों का मानना है कि आज के दिन इस स्थान पर जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी हो जाती है. जिस वटवृक्ष के नीचे लव-कुश को महर्षि वाल्मीकि ने ज्ञान दिया था, वहां लोग अपनी मनोकामना की रक्षा बांधते हैं. मनोकामना पूरी होने पर लोग वहां से रक्षा खोल देते हैं.